—विनय कुमार विनायक
तेरे मेरे सपनों की उड़ान है गजल
कविता सुबह है तो शाम है गजल!

गजल में शिकवा शिकायत होती है
ये दर्द-ए-दिल की पहचान है गजल!
गजल एक तन्हाई का सिलसिला है
वाहवाही ना मिले, बेजान है गजल!
गजल गाने गुनगुनाने की विधा है
शायर के दिल-ए-अरमान है गजल!
अरबी गजल में इश्क-ए-औरत होती
फारसी में इश्क-ए-खुदाई हुई गजल!
गजल औरताना से सुफियाना हुई है
इश्केमजाजी से इश्केहकीकी गजल!
उर्दू हिन्दवी में जमीनी हकीकत हुई
हिन्दी में बहुआयामी हो गई गजल!
जबतक उर्दू में लिखी होती अनबूझ
मंच से सुनो तो आसान है गजल!
हिन्दी का दामन थाम लिया जबसे
सुविधा सम्पन्न सरेआम है गजल!
गजल गले से निकलती तैरती हुई
जन-सामान्य बीच आम है गजल!
फिलवक्त तिरे मिरे बीच का तीर
बड़े तीरंदाजों का सामान है गजल!
गजल का दिल से रिश्ता रहा सदा
दिल को आहत ना करना है गजल!
गजल है कि दिल में सीधे उतरती,
पिए ना पिए मगर जाम है गजल!
—विनय कुमार विनायक, झारखण्ड