वर्ष 2025 भारत के आर्थिक इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय के रूप में दर्ज हो गया है। अब तक विश्व की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था रहने वाला भारत, जापान को पीछे छोड़ते हुए चौथे पायदान पर पहुँच चुका है। यह उपलब्धि प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व और प्रसन्नता का विषय है। देश की अर्थव्यवस्था अब चार ट्रिलियन डॉलर से अधिक की हो चुकी है, जो न केवल हमारी आर्थिक नीतियों की सफलता का प्रमाण है, बल्कि भारत की वैश्विक पहचान को भी नई ऊँचाइयों तक ले जा रहा है।
वर्तमान में अमेरिका, चीन और जर्मनी अर्थव्यवस्था के मामले में भारत से आगे हैं, किंतु विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले तीन वर्षों में भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। यह लक्ष्य न केवल संभव है, बल्कि जिस गति से भारत प्रगति कर रहा है, उसे देखकर यह आशा और भी प्रबल हो जाती है। देश के अर्थशास्त्री भविष्यवाणी कर रहे हैं कि वर्ष 2047 तक, जब भारत अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मना रहा होगा, तब तक हमारा देश ‘उच्च आय वाले देशों’ की श्रेणी में शामिल हो सकता है।
पिछले एक दशक में भारत ने आर्थिक, औद्योगिक, तकनीकी और आधारभूत ढांचे के क्षेत्र में जितनी तेज़ी से प्रगति की है, वह उल्लेखनीय है। आधार, यूपीआई, डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं ने न केवल अर्थव्यवस्था को सशक्त किया है, बल्कि आम नागरिक की जीवनशैली को भी आधुनिक और सुविधाजनक बनाया है। निरंतर बढ़ती विदेशी निवेश की संभावनाएँ, मजबूत युवा जनसंख्या और नीतिगत सुधार, भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था का नेतृत्वकर्ता बनाने की दिशा में अग्रसर कर रहे हैं।
यह उपलब्धि केवल आर्थिक आँकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस आत्मनिर्भर, सशक्त और विकसित भारत की ओर बढ़ते कदमों का प्रमाण है, जिसकी कल्पना कभी हमारे पूर्वजों ने की थी। आने वाले वर्षों में भारत न केवल आर्थिक महाशक्ति बनेगा, बल्कि विश्व पटल पर अपनी नीति, संस्कृति और मूल्यों के साथ भी एक सशक्त उपस्थिति दर्ज कराएगा।
– -सुरेश गोयल धूप वाला