भारतीय मेटल एक्सपोर्ट पर पड़ेगा सीधा असर

संजय सिन्हा

अमेरिका ने ग्लोबल ट्रेड वॉर के क्षेत्र में  एक फैसला लिया है। इस फैसले से भारत को नुकसान हो सकता है। दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने  4 जून से स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर अमेरिकी टैरिफ को दोगुना करके 50% कर दिया है। इससे भारतीय मेटल एक्‍सपोर्ट पर सीधा असर पड़ने की आशंका है। कारण है कि यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लिया गया है। इससे ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन में व्यवधान पैदा हो सकता है। भारत ने इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए विश्व व्यापार संगठन (WTO) में जवाबी शुल्क लगाने का संकेत दिया है। वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से अमेरिकी घरेलू उद्योगों पर दबाव बढ़ेगा। पर्यावरण पर नकारात्मक असर पड़ेगा क्योंकि अमेरिका आर्थिक राष्ट्रवाद को प्राथमिकता दे रहा है। ट्रंप की यह पॉल‍िसी भारत के स्‍टील और एल्यूमीनियम एक्‍सपोर्टर्स के लिए बड़ा झटका है। इससे उनकी प्रॉफिटेबिलिटी कम हो जाएगी।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह पॉलिसी भारत पर एक प्रत्यक्ष हमला है। इसके गंभीर आर्थिक परिणाम हो सकते हैं। विशेषज्ञों  ने ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के लिए तीन अमेरिकी कानूनी उपकरणों का जिक्र किय है। उन्‍होंने कहा है  कि 1974 के अमेरिकी व्यापार अधिनियम की धारा 301 अमेरिका को अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ शुल्क लगाने की अनुमति देती है जो विशेष रूप से चीन को टारगेट करती है।1962 के व्यापार विस्तार अधिनियम की धारा 232 राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिमों पर केंद्रित है। इसका इस्‍तेमाल स्‍टील, एल्यूमीनियम और ऑटोमोटिव इम्‍पोर्ट पर टैरिफ लगाने के लिए किया गया है।अंतरराष्ट्रीय कानून राष्ट्रपति को व्यापक रूप से शुल्क लगाने के लिए आपातकालीन शक्तियां देता है। इसका इस्‍तेमाल ट्रंप ने ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ शुरू करने के लिए किया।

‘लिबरेशन डे’ टैरिफ में 10% का ब्‍लैंकेट टैरिफ और 57 देशों से आयात पर विशिष्ट देश के लिए ऊंचे टैरिफ (जैसे भारत पर 26% और चीन पर 245% तक) शामिल थे हालांकि, विशेषज्ञों  ने एक कानूनी मोड़ की ओर इशारा किया। उन्‍होंने कहा, ’28 मई, 2025 को अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय ने फैसला सुनाया कि IEEPA-आधारित ‘लिबरेशन डे’ टैरिफ अवैध थे जिसमें कहा गया था कि व्यापार घाटा IEEPA के तहत आवश्यक ‘असामान्य और असाधारण खतरे’ मानक को पूरा नहीं करता है।’

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर टैरिफ को दोगुना कर दिया है जिससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान होगा। भारत ने डब्ल्यूटीओ में जवाबी शुल्क लगाने का संकेत दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अमेरिकी उद्योगों पर दबाव बढ़ेगा और महंगाई बढ़ने की आशंका है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर फिर ‘बम’ गिराया है। ग्‍लोबल ट्रेड वॉर में एक और कदम बढ़ाते हुए उन्‍होंने 4 जून से स्टील और एल्यूमीनियम के आयात पर अमेरिकी टैरिफ को दोगुना करके 50% कर दिया है। इससे भारतीय मेटल एक्‍सपोर्ट पर सीधा असर पड़ने की आशंका है। कारण है कि यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर लिया गया है। इससे ग्‍लोबल सप्‍लाई चेन में व्यवधान पैदा हो सकता है। भारत ने इस पर प्रतिक्रिया जताते हुए विश्व व्यापार संगठन (WTO) में जवाबी शुल्क लगाने का संकेत दिया है। वहीं, विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से अमेरिकी घरेलू उद्योगों पर दबाव बढ़ेगा। पर्यावरण पर नकारात्मक असर पड़ेगा, क्योंकि अमेरिका आर्थिक राष्ट्रवाद को प्राथमिकता दे रहा है। ट्रंप की यह पॉल‍िसी भारत के स्‍टील और एल्यूमीनियम एक्‍सपोर्टर्स के लिए बड़ा झटका है। इससे उनकी प्रॉफिटेबिलिटी कम हो जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पॉलिसी भारत पर एक प्रत्यक्ष हमला है। इसके गंभीर आर्थिक परिणाम हो सकते हैं।ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने इसे सीधा हमला करार द‍िया है। उन्‍होंने कहा क‍ि भारतीय स्‍टील और एल्यूमीनियम उत्पादों को अब भारी अमेरिकी शुल्क का सामना करना पड़ रहा है। इससे मार्जिन कम होगा और प्रतिस्पर्धात्मकता प्रभावित होगी।

श्रीवास्तव ने ट्रंप की टैरिफ पॉलिसी के लिए तीन अमेरिकी कानूनी उपकरणों का जिक्र किया। उन्‍होंने कहा कि 1974 के अमेरिकी व्यापार अधिनियम की धारा 301 अमेरिका को अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ शुल्क लगाने की अनुमति देती है, जो विशेष रूप से चीन को टारगेट करती है।1962 के व्यापार विस्तार अधिनियम की धारा 232 राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिमों पर केंद्रित है। इसका इस्‍तेमाल स्‍टील, एल्यूमीनियम और ऑटोमोटिव इम्‍पोर्ट पर टैरिफ लगाने के लिए किया गया है।

‘लिबरेशन डे’ टैरिफ में 10% का ब्‍लैंकेट टैरिफ और 57 देशों से आयात पर विशिष्ट देश के लिए ऊंचे टैरिफ (जैसे भारत पर 26% और चीन पर 245% तक) शामिल थे।महत्वपूर्ण बात यह है कि फैसले ने धारा 232 टैरिफ को गैरकानूनी नहीं ठहराया। इससे ट्रंप को अदालत के हस्तक्षेप के तत्काल जोखिम के बिना स्‍टील और एल्यूमीनियम टैरिफ बढ़ाने की अनुमति मिल गई।

अमे‍र‍िका में महंगाई बढ़ने की आशंका

आर्थिक परिणाम पहले से ही दिखाई दे रहे हैं। अमेरिकी स्टील की कीमतें पहले से ही अधिक हैं। ये लगभग 984 डॉलर प्रति टन हैं। यूरोपीय कीमतों 690 डॉलर और चीनी कीमतों 392 डॉलर से यह बहुत ज्‍यादा है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) ने हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा स्टील और एल्युमीनियम पर आयात शुल्क को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की घोषणा पर चिंता व्यक्त की है। संगठन ने कहा है कि इससे भारत के स्टील और एल्युमीनियम निर्यात, विशेष रूप से मूल्यवर्धित और तैयार स्टील उत्पादों और ऑटो-कंपोनेंट में व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, FIEO के अध्यक्ष एस.सी. रल्हन ने कहा कि अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमीनियम आयात शुल्क में प्रस्तावित वृद्धि से भारत के स्टील निर्यात पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा, विशेष रूप से स्टेनलेस स्टील पाइप, स्ट्रक्चरल स्टील कंपोनेंट और ऑटोमोटिव स्टील पार्ट्स जैसी अर्ध-तैयार और तैयार श्रेणियों में।

उन्होंने कहा, “ये उत्पाद भारत के बढ़ते इंजीनियरिंग निर्यात का हिस्सा हैं और उच्च शुल्क अमेरिकी बाजार में हमारी मूल्य प्रतिस्पर्धात्मकता को कम कर सकते हैं।” भारत ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में अमेरिका को लगभग 6.2 बिलियन डॉलर मूल्य के स्टील और तैयार स्टील उत्पादों का निर्यात किया, जिसमें इंजीनियर्ड और फैब्रिकेटेड स्टील घटकों की एक विस्तृत श्रृंखला और लगभग 0.86 बिलियन डॉलर के एल्युमीनियम और उसके उत्पाद शामिल हैं। अमेरिका भारतीय स्टील निर्माताओं के लिए शीर्ष गंतव्यों में से एक है, जो उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादन और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण के माध्यम से धीरे-धीरे अपने बाजार में हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं। FIEO के अध्यक्ष ने आगे कहा कि हालांकि यह समझ में आता है कि यह निर्णय अमेरिका में घरेलू नीतिगत विचारों से उपजा है, टैरिफ में इतनी तेज वृद्धि वैश्विक व्यापार और विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखलाओं को हतोत्साहित करने वाले संकेत भेजती है।इस फैसले की घोषणा के बाद स्टील निर्माता कंपनी क्लीवलैंड-क्लिफ्स इंक (Cleveland-Cliffs Inc) के शेयरों में बाजार बंद होने के बाद 26% की तेजी दर्ज की गई। निवेशकों को उम्मीद है कि टैरिफ बढ़ने से घरेलू कंपनियों को लाभ होगा।

ट्रंप ने यह घोषणा यूएस स्टील के मॉन वैली वर्क्स प्लांट से की, जो एक समय अमेरिका की औद्योगिक ताकत का प्रतीक था। अब यह क्षेत्र ट्रंप के लिए चुनावी दृष्टि से भी बेहद अहम है। पेंसिल्वेनिया जैसे राज्यों में इस तरह की घोषणाएं उन्हें मजदूर वर्ग के बीच समर्थन दिलाने में मदद कर सकती हैं।

गौरतलब है कि ट्रंप ने जनवरी में सत्ता में लौटते ही स्टील और एल्युमिनियम पर 25% टैरिफ लगाया था। अब यह दूसरी बार है जब उन्होंने शुल्क बढ़ाया है। इससे पहले 2018 में उन्होंने चीन पर 50 अरब डॉलर मूल्य के औद्योगिक उत्पादों पर टैरिफ लगाया था।नए टैरिफ के दायरे में केवल कच्चा स्टील ही नहीं बल्कि स्टेनलेस स्टील सिंक, गैस रेंज, एसी की कॉइल, एल्युमिनियम फ्राइंग पैन और स्टील डोर हिंज जैसे उत्पाद भी शामिल हैं। 2024 में इन उत्पादों का कुल आयात मूल्य 147.3 अरब डॉलर रहा, जिसमें दो-तिहाई हिस्सा एल्युमिनियम और एक-तिहाई स्टील का था।

वाणिज्य विभाग के मुताबिक, अमेरिका 2024 में 26.2 मिलियन टन स्टील आयात कर चुका है, जो इसे यूरोपीय संघ को छोड़कर दुनिया का सबसे बड़ा स्टील आयातक बनाता है। ऐसे में इस टैरिफ का असर व्यापक रूप से उद्योग और आम उपभोक्ताओं की जेब पर भी पड़ सकता है।

संजय सिन्हा

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