जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले(22 अप्रैल 2025) के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। गौरतलब है कि इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी।इस हमले(पहलगाम हमले) के बाद भारत ने सिंधु जल समझौता समेत पाकिस्तान के साथ सभी अहम समझौतों को निलंबित कर दिया और पाकिस्तानी नागरिकों को देश छोड़ने का आदेश दिया। इस बीच पाकिस्तान ने भी भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित कर दिया है। सच तो यह है कि हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अनेक सख्त कदम उठाए हैं।इसी बीच भारतीय नौसेना ने अपनी सैन्य ताकत का भी प्रदर्शन किया है। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि भारतीय नौसेना ने आइएनएस सूरत से मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण किया, जो उसकी उच्च परिचालन तत्परता को दर्शाता है। गौरतलब है कि प्रोजेक्ट 15बी गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर कार्यक्रम का हिस्सा आइएनएस सूरत, दुनियाभर में सबसे एडवांस्ड युद्धपोतों में से एक है, जिसमें 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री है और यह अत्याधुनिक हथियार और सेंसर सिस्टम से लैस है। दरअसल, भारतीय नौसेना के इस अभ्यास का उद्देश्य समुद्र में सटीक आक्रामक हमलों के लिए प्लेटफार्मों, प्रणालियों और क्रू को फिर से तैयार करना था। उल्लेखनीय है कि भारतीय नौसेना ने कोलकाता क्लास के विध्वंसक और नीलगिरि और क्रिवाक क्लास के फ्रिगेट सहित युद्धपोतों के बेड़े से ब्रह्मोस एंटी-शिप और एंटी-सरफेस क्रूज मिसाइलों को लॉन्च किए जाने के दृश्य शेयर किए। यहां यह गौरतलब है कि नौसेना ने अपनी एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में यह बात कही है कि , ‘भारतीय नौसेना के जहाजों ने लंबी दूरी के सटीक आक्रामक हमले के लिए प्लेटफार्मों, प्रणालियों और क्रू की तत्परता को फिर से चेक करने और प्रदर्शित करने के लिए कई एंटी-शिप फायरिंग को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। भारतीय नौसेना किसी भी समय, कहीं भी, किसी भी तरह से राष्ट्र के समुद्री हितों की रक्षा करने के लिए युद्ध के लिए तैयार, विश्वसनीय और भविष्य के लिए तैयार है।’ पाठकों को बताता चलूं कि भारतीय नौसेना का यह सफल अभ्यास पाकिस्तान द्वारा अरब सागर क्षेत्र में आगामी मिसाइल फायरिंग के बारे में अधिसूचना जारी करने के तुरंत बाद हुआ है। कहना ग़लत नहीं होगा कि रविवार, 27 अप्रैल 2025 को भारतीय नौसेना द्वारा अरब सागर में ब्रह्मोस लॉन्ग रेंज एंटी-शिप मिसाइल का सफल परीक्षण करने के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया। दरअसल, भारतीय नौसेना का यह परीक्षण भारत और भारतीय नौसेना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उसकी परिचालन तैयारियों को दर्शाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो यह परीक्षण नौसेना के हथियारों, युद्धपोतों और कर्मियों की लंबी दूरी तक सटीक हमले की क्षमता को फिर से प्रमाणित करता है। इस परीक्षण में ब्रह्मोस मिसाइल ने अपनी अचूकता और विनाशकारी शक्ति का प्रदर्शन किया, जो भारत और रूस के संयुक्त उद्यम का परिणाम है। यह मिसाइल 2.8 से 3.0 मैक की गति से उड़ान भरती है और 800 से 900 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन के जहाजों या ठिकानों को तबाह करने में सक्षम है। इसकी मारक क्षमता इतनी है कि यह पाकिस्तान के आर्थिक केंद्र कराची सहित कई महत्वपूर्ण शहरों को निशाना बना सकती है।यह मिसाइल न केवल समुद्री लक्ष्यों, बल्कि जमीनी ठिकानों को भी नष्ट करने में सक्षम है। इसकी सुपरसोनिक गति और कम ऊंचाई पर उड़ान भरने की क्षमता इसे रडार और मिसाइल रक्षा प्रणालियों से बचाने में मदद करती है। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि भारतीय नौसेना का यह परीक्षण आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण व बड़ा कदम है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार ब्रह्मोस मिसाइल का स्वदेशी सीकर और बूस्टर, जो कि डीआरडीओ द्वारा विकसित किए गए हैं, इसकी तकनीकी श्रेष्ठता को और बढ़ाते हैं। नौसेना ने इस परीक्षण को ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का हिस्सा बताते हुए कहा कि यह स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत की प्रगति को दर्शाता है। ब्रह्मोस मिसाइल की सैल्वो फायरिंग क्षमता, जिसमें 2-2.5 सेकंड के अंतराल में कई मिसाइलें दागी जा सकती हैं, इसे और भी घातक बनाती है। यह एक साथ कई लक्ष्यों को नष्ट करने में सक्षम है, जिससे दुश्मन की रक्षा प्रणालियां बेअसर हो जाती हैं। सच तो यह है कि ब्रह्मोस मिसाइल की यह ताकत भारत को समुद्री युद्ध में एक तगड़ी व निर्णायक बढ़त देती है। गौरतलब है कि भारतीय नौसेना के युद्धपोत, जैसे आईएनएस राजपूत और आईएनएस चेन्नई, पहले ही इस मिसाइल से लैस हैं।यह भी उल्लेखनीय है कि नौसेना की नई पीढ़ी के युद्धपोतों और पनडुब्बियों में भी इसे शामिल किया जा रहा है। यह मिसाइल न केवल पाकिस्तान, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में किसी भी संभावित खतरे का मुकाबला करने में भारत की स्थिति को मजबूत करती है। यदि हम यहां पर भारतीय नौसेना और पाकिस्तानी नौसेना की आपस में तुलना करें तो भारतीय नौसेना पाकिस्तान से हर मामले में(तकनीक और आर्थिक रूप से) बहुत ही आगे है। आंकड़े बताते हैं कि भारतीय नौसेना के पास 293 पोत हैं, जिनमें दो विमानवाहक पोत आइएनएस विक्रमादित्य और स्वदेशी निर्मित आइएनएस विक्रांत शामिल हैं। वहीं पर भारत के पास 16 पारंपरिक पनडुब्बियां और दो परमाणु-संचालित पनडुब्बियां आइएनएस अरिहंत और आइएनएस अरिघाट हैं। इसके मुकाबले पाकिस्तान के पास सिर्फ 121 पोत हैं और उसके पास कोई विमानवाहक पोत नहीं है। पाकिस्तान के पास आठ पनडुब्बियां हैं, जिनमें से अधिकतर पुरानी अगोस्ता क्लास की हैं और कुछ नई हेंगशेंग क्लास की पनडुब्बियां चीन से मंगाई गई हैं, जो अभी पूरी तरह से परिचालन में भी नहीं आई हैं।भारत के पास ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, बराक-8 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल और स्वदेशी रूप से विकसित कई आधुनिक हथियार प्रणालियाँ हैं। वहीं पाकिस्तान मुख्य रूप से चीन से प्राप्त हथियारों पर निर्भर है जिनमें सी-802 मिसाइलें और हाल ही में प्राप्त वाईजे-12 सुपरसोनिक मिसाइलें शामिल हैं।इसके अलावा भारत के पास समुद्र-आधारित परमाणु प्रतिरोधक क्षमता भी है, जो पाकिस्तान के पास नहीं है। इतना ही नहीं,भारत के पास मजबूत रसद आधार भी है, जिसमें 56 प्रमुख बंदरगाह और व्यापारिक टर्मिनल शामिल हैं, जो समुद्री आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करते हैं। पाठकों को जानकारी देना चाहूंगा कि भारत की तटरेखा लगभग 7000 किलोमीटर लंबी है, और उसके पास अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में एक महत्वपूर्ण सामरिक स्थिति है, जिससे मलक्का स्ट्रेट पर नजर रखी जा सकती है। वहीं पड़ौसी पाकिस्तान के पास केवल तीन बड़े बंदरगाह हैं – कराची, ग्वादर और पोर्ट कासिम, जो उसकी समुद्री क्षमता को सीमित करते हैं और इस तरह रसद और रणनीतिक स्थिति में भी भारत का स्पष्ट दबदबा है। बहरहाल कहना ग़लत नहीं होगा कि पाकिस्तान किसी भी मोर्चे पर भारत के समक्ष कहीं पर भी नहीं ठहरता है लेकिन वह आतंकवाद और आतंकियों के ज़रिए समय-समय पर भारत में अशांति फैलाता रहता है। आर्थिक रूप से कमजोर पाकिस्तान बात-बात पर भारत को गीदड़ भभकियां देता रहता है और उसकी यह सोच बन चुकी है कि वह जेहाद और आतंक के नाम पर भारत में सौहार्द और सद्भावना को तहस-नहस कर देगा, लेकिन उबका यह सपना/मंसूबा कभी भी पूरा नहीं होने वाला है। पाकिस्तान को यह बात याद रखनी चाहिए कि वह भारत से अनेक बार मुंह की का चुका है और यदि हम यहां पर इतिहास की बात करें तो भारत ने 1971 के युद्ध में भी कराची बंदरगाह को नष्ट करके अपनी नौसेना की क्षमता का प्रदर्शन किया था और आज भी भारतीय नौसेना संयुक्त राष्ट्र के तहत समुद्री डकैती-रोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभा रही है। कहना ग़लत नहीं होगा कि पाकिस्तान को एक ओर जहां भारत के अंदरूनी मामलों पर टीका-टिप्पणी करने की बेमानी आदत रही है, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की पोल अब दुनिया के सामने खुल चुकी है कि वह आतंकवाद और आतंकियों का गढ़ है और इनको लगातार पोषित करता आ रहा है। बहरहाल , पाठकों को बताता चलूं कि हाल ही में ‘मन की बात’ रेडियो प्रसारण में हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहलगाम हमले की निंदा करते हुए यह बात कही है कि, ‘आतंकवादी हमले(पहलगाम हमले)के बाद हर भारतीय का खून खौल रहा है। उनमें से हर कोई उन लोगों का दर्द महसूस कर रहा है जिन्होंने अपने लोगों को खो दिया है। कश्मीर में शांति लौट रही थी, लेकिन देश के दुश्मनों को यह पसंद नहीं आया।’ आज पहलगाम आतंकी हमले को लेकर पूरे विश्व में प्रदर्शन(टोरंटो, फ्रैंकफर्ट, ह्यूस्टन) हो रहे हैं और पाकिस्तान को दुनिया का बड़ा आतंकी देश घोषित करने की लगातार मांगें उठ रही हैं। सच तो यह है कि पाकिस्तान को ‘आतंकियों का स्वर्ग’ और ‘विश्व का सर्वाधिक खतरनाक देश’ कहा जाता रहा है। पाठक जानते हैं कि प्रमुख इस्लामी आतंकी संस्थाएँ जैसे लश्कर-ए-तैयबा, लश्कर-ए-ओमर, जैश-ए-मोहम्मद, हरकतुल मुजाहिद्दीन, सिपाह-ए-सहाबा, हिज़्बुल मुजाहिदीन आदि सब के सब पाकिस्तान में रहकर अपनी आतंकी गतिविधियाँ चलाते हैं। अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को कड़ा से कड़ा संदेश दिया जाए।
सुनील कुमार महला