वैश्विक दक्षिण में भारत का नेतृत्व

डॉ .सुधाकर कुमार मिश्रा 

वैश्विक दक्षिण, जिसे ” तीसरी दुनिया”(3A) के नाम से जाना जाता है, विकासशील नवोदित  राष्ट्र – राज्यों  जो वित्त, शासकीय तकनीकी विशेषज्ञता, तकनीकी शोध एवं नवोन्मेष  में पिछड़े हुए हैं, का समूह है । मौलिक स्तर पर ये राष्ट्र- राज्य गरीबी, बीमारी ,आतंकवाद और उग्रवाद से पीड़ित हैं । विकसित राष्ट्र – राज्यों के द्वारा जलवायु न्याय के लिए अत्याचार, वैश्विक दादाओ( पुतिन जी और जिनपिंग जी) और वैश्विक दरोगा (संयुक्त राज्य अमेरिका) के भौकाल के चंगुल से आर्थिक  स्वायत्तता की आवश्यकता है । समकालीन वैश्विक परिदृश्य में मोदी जी जैसे दूरदर्शी और राजनय  में पारंगत और इच्छा से परिमार्जक ने इन विकासशील राष्ट्र- राज्यों को नेतृत्व दिया है । भारत सुरक्षा और संरक्षा में ‘ बड़े भाई ‘ की भूमिका में नेतृत्व कर रहा है तो विकासशील राष्ट्र – राज्यों को औषधि के क्षेत्र में सहयोगी राज्य प्रत्यय  की भूमिका का निर्वहन कर रहा है. कोविद-19 के दौरान औषधि, मास्क और मानवीय  सहयोग के द्वारा उस ने अपनी उपादेयता सिद्ध की है।

 भारत( वर्तमान में) वैश्विक उत्तर और वैश्विक दक्षिण के खाई को पाटने का सफलतम और दूरदर्शी प्रयास कर रहा है। भारत इन राष्ट्र- राज्यों के लिए संरक्षक की भूमिका में भय और हताशा को हटाने का प्रयास कर रहा है जिससे जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा सुरक्षा और सतत विकास पर एकीकृत और सांगठनिक दृष्टिकोण का उन्नयन किया जा सके। भारत अपने नेतृत्व और उभरते व्यक्तित्व के द्वारा लोकतांत्रिक शासन( वैश्विक स्तर पर तानाशाही की समाप्ति), मानवाधिकार( प्रत्येक राष्ट्र – राज्य अपने घरेलू नीतियों में मानवाधिकार का सुरक्षा और संरक्षण करें) एवं मानवाधिकार की सुरक्षा में अपना यथोचित  सहयोग करें और विधि के शासन जो लोकतंत्र और संविधानवाद  का अनन्य भाग है को बढ़ावा दे । बुनियादी ढांचे और औद्योगिक संरचना में निवेश को प्रोत्साहित करना है। भारत का विचार है कि अंतरराष्ट्रीय संगठनों को स्थानीय चुनौतियों का सामना एवं समाधान करने के लिए सबल करना है। वैश्विक दक्षिण की जटिल सामूहिक चुनौतियों के लिए लोकतंत्र, अर्थव्यवस्था ,प्रौद्योगिकी ,ऊर्जा, जलवायु और बहुपक्षीय शासन को संबोधित करने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की वर्तमान में आवश्यकता है।

                              वैश्विक दक्षिण के समूह राष्ट्र- राज्यों ने नवीकरणीय ऊर्जा ,विकास क्षेत्र, टिकाऊ कृषि,वानिकी प्रथाओं ,पारिस्थितिकी पर्यटन  संरक्षण प्रयास, जलवायु लचीलापन और अनुकूलन पहल और  हरित बुनियादी ढांचा विकास में पहल किया हैं। इन देशों ने डिजिटल परिवर्तन और नवाचार केंद्र बढ़ाने,आईटी,सॉफ्टवेयर उद्योग, मोबाइल भुगतान और वित्तीय समावेशन ,ई-कॉमर्स,ऑनलाइन बाजार ,जैव प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सेवा में प्रबल उन्नति की हैं। इन सभी परिस्थितियों में भारत वैश्विक दक्षिण के राष्ट्र- राज्यों के लिए भारत का नेतृत्व समकालीन में आशा की किरण प्रतीत हुआ है जो अन्य राष्ट्र- राज्यों के लिए समान सहयोग और सतत विकास के लिए अनथक प्रयास कर रहा है ।

गुटनिरपेक्ष आंदोलन (नाम) का नेतृत्व करने के अपने गरिमामई और उज्जवल इतिहास के साथ उभरता भारत समकालीन में वैश्विक भू – राजनीति में एक गतिशील एवं ऊर्जावान भूमिका निभाने के लिए अपनी आर्थिक, सामाजिक , सामरिक सुरक्षा ,संरक्षण और भू- राजनीतिऔर  शक्ति की उपादेयता का उन्नयन कर रहा है। वैश्विक स्तर पर महाशक्तियों  के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में  सहयोग की संकल्पना दुर्लभ वस्तु हो चुकी है। कोविद-19 महामारी ,रूस- यूक्रेन युद्ध ,इसराइल संकट और वैश्विक स्तर पर गुटिकरण की राजनीति, आर्थिक एवं राजनीतिक संकटों ने वैश्विक दक्षिण की संकल्पना को प्रासंगिक बना दिया है।

                           वैश्विक स्तर पर भारत दक्षिण वैश्विक के लिए प्रमुख राज्य कारक  के रूप में उभर रहा है जो वैश्विक दक्षिण के राष्ट्र – राज्यों के राष्ट्रीय हितों और भू – राजनीति के मुद्दों को वैश्विक मंच पर जोरदार ढंग से उठा रहा हैं। वैश्विक स्तर पर सामाजिक आर्थिक असमानता ,भुखमरी, आतंकवाद हथियारबंद, अंतर राज्य जुड़ाव की समस्याएं बढ़ी हैं। भारत ने  विकसित राष्ट्र- राज्यों और विकासशील राष्ट्र – राज्यों के मध्य सेतु के रूप में वैश्विक स्तर के संस्थानों को बहुपक्षवाद  और बहुध्रुवीय दुनिया के रूप में तब्दील करने का दबाव डाला है । भारत में वर्ष 2023 में जी – 20 की अध्यक्ष की मंच से वैश्विक दक्षिण की आवाज को बढ़ाया है। वैश्विक संबंधों में यह क्रांतिकारी अवसर संस्थाओं को समावेशी विश्व व्यवस्था बनाने में महत्वपूर्ण और उत्प्रेरक भूमिका निभा रहा है। भारत वैश्विक दक्षिण राष्ट्रों में एक अग्रणी  की भूमिका में नेतृत्व कर रहा है जिसने वैश्विक स्तर के मंचों के भीतर एवं उनमें एक मजबूत समर्थन नेटवर्क बनाने के लिए अपने राज्य कारक  नेतृत्व में रणनीतिक कारक की उपादेयता बना रहा है।

 विश्व व्यापार संगठन (WTO)  में भारत द्वारा अपने किसानों, मछुआरों और राष्ट्र के विकास के लिए पुरजोर समर्थन करता है। भारत  का उद्देश्य वैचारिकी के द्वारा उत्तर- दक्षिण के मध्य खाई को पाटना है। भारत अंतरराष्ट्रीय संबंधों को  लोकतांत्रिक बनाने, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता को व्यापक बनाने की वकालत कर रहा है। भारत का दृष्टिकोण सम्मान, संवाद ,सहयोग, शांति और समृद्धि पर आधारित है। लोकतंत्र के प्रचार ,विकास और गुण को बढ़ावा देने के लिए भारत वैश्विक दक्षिण देश को तकनीकी और मानव संसाधन उपलब्ध कराता है।

भारत जलवायु शिखर सम्मेलनों में वैश्विक उत्तर के राष्ट्र- राज्यों का विरोध कर रहा है । जलवायु परिवर्तन, उत्सर्जन मानदंडों और ऐतिहासिक प्रदूषण जिम्मेदारियों के लिए दक्षिण के हितों की प्रबल  पैरवी  की है। वैश्विक दक्षिण में भारत का नेतृत्व ‘ सबका साथ ,सबका विकास और सबके विश्वास’ पर आधारित है। वर्ष 2023 में आयोजित जी-20 के शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता में भारत ने विकसित और विकासशील देशों के बीच खाई को पाटने की अपनी क्षमता का समुचित  प्रदर्शन किया है  और समावेशी व्यवस्था के समर्थन के रूप में प्रशंसा अर्जित की है। ‘ एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य ‘ के अपने मार्गदर्शन मंत्र के साथ भारत वैश्विक मंच पर वैश्विक मंच के हितों का प्रबल समर्थक रहा है।

 वैश्विक दक्षिण की शक्ति एकता ,सामंजस्य और अपनापन आधारित था । भारत ने वैश्विक दक्षिण के राष्ट्र – राज्यों को एक स्वर में बोलने और एक दूसरे के संकटों में संकट मोचक बनकर काम करने के लिए प्रेरित किया है। भारत ने वैश्विक दक्षिण के देशों को आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद के उभरते खतरों के साथ-साथ तकनीकी विभाजन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने का आवाहन किया है। वैश्विक दक्षिण के राष्ट्रों की  तात्कालिक एकता और सामंजस्य की भावना का उन्नयन करना है और वैश्विक दक्षिण को 21वीं सदी  की ज्वलंत समस्याओं से निजात दिलाने में सहयोग करना है।

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