वीरेन्द्र सिंह परिहार
क्या राहुल गांधी एक गैर जिम्मेदार राजनीतिज्ञ हैं। अब जब 2022 की राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी की इस बात पर कि चीन ने भारत की 2000 कि.मी. जमीन कब्जा ली, सर्वोच्च न्यायालय ने तीखी टिप्पणी करते हुये कहा कि इस बात का क्या सबूत है। अगर आप सच्चे भारतीय हैं तो ऐसी बाते नहीं कर सकते। इस तरह से अनेको बातें है जिससे यह पता चलता है, कि उनका रवैया सदैव ही एक गैर जिम्मेदाराना राजनीतिज्ञ का रहा है। वह चाहे राफेल का मामला हो, चाहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, वीर सावरकर या पैगोसेस का मामला हो, सभी मामलों में वह झूठे और गलत साबित हुये हैं। अब प्रियंका वाड्रा भले ही यह कहे कि यह जज तय नहीं कर सकते कि सच्चा भारतीय कौन है ? पर लाख टके की बात यह कि यदि देशका सर्वोच्च न्यायालय यह तय नहीं करेगा तो कौन करेगा ? क्या यह एक खानदान विशेष करेगा ? इसी तरह से आये दिन राहुल गांधी चुनाव आयोग पर बेसिर-पैर के हमले करते रहते हैं, उस पर वोट चोरी करने और देख लेने की धमकी देते हैं। उस पर जब कर्नाटक चुनाव आयोग ने राहुल से शपथ-पत्र माँग लिया तो साय-पटाय बकने लगे कि वह नेता है और जो सार्वजनिक रूप से कह रहे हैं, वही शपथ-पत्र है।
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प जब अपने निहित स्वार्थों के चलते भारत की अर्थव्यवस्था को डेड/मृत बताते हैं, तो लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी उस पर पूरी तरह सहमति व्यक्त करते हैं। परीक्षण करने का विषय है कि क्या इसमें कुछ सच्चाई है। अन्तराष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं वल्र्ड बैंक की रिपोर्ट यह कहती है कि भारत की अर्थव्यवस्था राकेट बनी हुई है। वर्तमान में भारत की विकास दर जहाँ 6.4 प्रतिशत है वहीं चीन की 4.8 प्रतिशत, अमेरिका 1.9 प्रतिशत, यू.के. की 1.2 प्रतिशत, जर्मनी 0.1 प्रतिशत, जापान 0.7 प्रतिशत फ्रांस 0.6 प्रतिशत विकास दर है। कुल मिलाकर भारत विश्व की सबसे ज्यादा बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। वर्ष 2015 में भारत की अर्थव्यवस्था जहाँ 2.1 ट्रिलियन डालर की थीं, वहीं 2025 में दुगुने से ज्यादा 4.3 ट्रिलियन डालर की हो चुकी है। विनिर्माण क्षेत्र में भारत की स्थिति जहाँ 57.4 प्रतिशत की है, चीन जहाँ 50.4 प्रतिशत है, वहीं अमेरिका 40.1 प्रतिशत में ही अटका हुआ है। कहने का आशय यह कि दुनिया की नम्बर 1 और नम्बर 2 दोनो ही अर्थव्यवस्थाओं से भारत विनिर्माण क्षेत्र में आगे है। आज दुनिया का प्रत्येक
देश भारत से ज्यादा से ज्यादा व्यापार करने के तत्पर है। 25 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ पर देश का शेयर मार्केट धड़ाम हो जाना चाहिए था पर इसका बहुत हल्का असर हुआ।
यदि तुलनात्मक दृष्टि से देखा जाये तो वर्ष 2004 से वर्ष 2014 तक यूपीए शासन के दौर में महगाई की दर 8.2 प्रतिशत वार्षिक थी जबकि मोदी शासन में यह 5.5 से ऊपर कभी नहीं गई। यूपीए शासन में एफडीआई के माध्यम से जहाँ मात्र 305 करोड़ रूपये आये, वहीं मोदी शासन में 595 करोड़ रूपये का निवेश हुआ। जी.एस.टी. का कलेक्शन जुलाई 2025 में 1.96 लाख करोड़ रूपये है जो पिछले वर्ष से 7.5 प्रतिशत ज्यादा है। ऐसी स्थिति में भारत की अर्थव्यवस्था को डेड कहना एक सफेदपोश झूठ और ट्रम्प का फ्रस्टेशन ही कहा जा सकता है। यद्यपि इस मामले में राहुल के रवैये को लेकर उनकी ही पार्टी के नेताओं जैसे राजीव शुक्ला एवं शशि थरूर ने ही असहमति जताते हुये राहुल गांधी को आईना दिखाया। राजीव शुक्ला ने कहा कि हमारी इकोनामी बहुत मजबूत है तो शिवसेना उद्धव गुट की प्रियंका चतुर्वेदी ने भी इस मामले में अपनी असहमति जताई। इसी अर्थव्यवस्था के तहत राहुल गांधी ने म्यूचल फंड एवं शेयर मार्केट के माध्यम से स्वतः भारी कमाई की है। 2014 के बाद जहाँ म्यूचल फंड से वह 3.8 करोड़ और शेयर मार्केट से 4.87 करोड़ अर्जित कर चुके हैं। वर्ष 2014 में राहुल गांधी ने शेयर मार्केट में 83 लाख रूपये का निवेश किया जो 2019 में 5 करोड़ और 2024 में 8 करोड़ रूपये हो गया। राहुल गांधी ने पिछले 5 महीनें में 66 लाख 49 हजार का मुनाफा कमाया। यही स्थिति उनकी माँ सोनिया गांधी और बहन प्रियंका वाड्रा की भी है।
बड़ी सच्चाई यह कि ट्रम्प ने 2014 के पश्चात भारत में स्वतः निवेश किया है। ट्रम्प स्वतः कह चुके हैं कि निवेश की दृष्टि से भारत अच्छी जगह है। ट्रम्प टावर्स के कार्य मुम्बई, पुणे, गुरूग्राम जैसे शहरों में तेजी से फैले हैं तो नोयडा, हैदराबाद, बेंगलुरू जैसी जगहों में 15000 करोड़ के निवेश ट्रम्प रियल स्टेट में कर चुके हैं। वर्तमान में भारत में ट्रम्प का कारोबार 29 लाख करोड़ रूपये का है। ट्रम्प के बेटे स्वतः भारत आकर कई परियोजनाओं की शुरूआत करने वाले हैं। बड़ा सवाल फिर यही कि यदि भारत डेड इकोनामी है तो फिर ट्रम्प की कम्पनियाँ भारत में इतना निवेश क्यों कर रही हैं ?
यदि ट्रम्प भारत को रूस से तेल और हथियार खरीदने को लेकर नहीं झुका पा रहे हैं। भारत के कृषि बाजार, पशुपालन और डेयरी को अमेरिका के लिये नहीं खुलवा पा रहे हैं तो ट्रम्प का भारत के विरोध में खड़ा होना तो समझ में आता है पर यदि राहुल गांधी ऐसे भारत विरोधियों के साथ खड़े हो जाते हैं तो यह समझ के परे है। सिर्फ इतना ही नहीं, वह जब पाकिस्तान के इस दावे कि आपरेशन सिन्दूर के दौरान उसने भारत के पाँच लड़ाकू विमान गिरा दिये, उस पर सुर-से-सुर मिलाते हुये सरकार से पूछते हैं कि बताओं हमारे कितने जहाज गिरे तो यह सब एक तरफ जहाँ राष्ट्र-बोध का अभाव है, वहीं किसी भी कीमत पर पागलपन की हद तक सत्ता पाने की छटपटाहट भी है। जैसा कि शशि थरूर ने कहा, भारत मात्र निर्यात पर निर्भर नहीं, वह एक मजबूत और विशाल बाजार है। बड़ी बात यह कि अमेरिकी धमकी के बाद भारतीय व्यापारियों के संगठन कैट ने ‘भारतीय सम्मान हमार स्वाभिमान’ का अभियान चलाते हुये स्वदेशी वस्तुओं की ही खरीदी और बिक्री पर जोर दिया है। उपरोक्त आधारों पर यह कहा जा सकता है कि राहुल सिर्फ एक गैर जिम्मेदार राजनीतिज्ञ ही नहीं बल्कि भारत-विरोधी मानसिकता के नागरिक भी हैं।