
—विनय कुमार विनायक
क्यों जाति धर्म के झगड़े हैं
क्यों रंग, वर्ण पर इतराना!
सब मानव की एक है जाति
सबको मानव ही बने रहना!
कुछ नहीं शाश्वत यहां पर
भगवान भी रंग बदलते हैं
कभी गौर, कभी श्याम हुए
तो इंसानों का क्या कहना!
गोरे थे आर्य,शक,हूण,मंगोल
भगवान क्यों होते हैं काले?
इसको समझो एशिया वाले
और जरा हमको समझाना!
सब धर्म जहां उदित हुआ है
वहां ईसा जन्म के पूर्व में ही
सारे भगवान क्यों हुए काले
काले विष्णु,काले राम,कृष्णा!
इन्द्र, वरुण दिकपाल कबके
इतिहास हो चुके हैं धरा से
उत्तर,दक्षिण, पूर्व,पश्चिम में
क्यों करते काली अराधना?
कहां गए थे गोरे आर्य इन्द्र
जब गोवर्धन उठाने वाला था
आर्यों का एक श्याम सलोना!
रसखान,रहीम खानखाना भी
जिनका हो गया था दीवाना!
विश्व ने देखा विश्वविजेता
यवन सिकंदर पराजित हुए
काले ब्राह्मण कौटिल्य से!
वर्ण नहीं है जातीय गहना!
ज्ञान बड़ा, गुणवान बड़ा पर
सबसे बड़ा विनम्र हो जाना!
छोड़ो जाति व धर्म के झगड़े
मिथ्या है बड़प्पन दिखलाना!
यहां नहीं कोई शुद्ध आर्य है,
ब्राह्मण,यवन, अनार्य जन में
सदियों से मानव के तन में
बहुजातीय रक्त का मिलना!
विविध धर्म,वर्ग, वर्ण, नस्ल से
निर्मित हुआ है मानव जीवन!
त्याग दो शुद्धतावादी दंभ को
झूठ है जाति अहं को पालना!