
—विनय कुमार विनायक
अगर हिन्दू धर्म में समग्र एकता चाहिए
तो जाति एकता के नाम
अपनी डफली अपना राग बंद होना चाहिए!
एक जाति में एकता से क्या होगा
स्वजाति छोड़ अन्य जातियों से दूरी बढ़ेगी
हिन्दुओं में एकता कभी नहीं आ पाएगी!
एक जाति तो हमेशा एक ही जाति रहेगी,
फिर किस बात की जाति एकता बताइए?
एक जाति कभी एक से अधिक नहीं होती,
न किसी से बड़ी होती ना बुराई कम होती,
एक जाति की एकता क्या गुल खिलाएगी?
क्या नहीं अन्य जातियों को सताएगी-डराएगी?
उच्च-नीच,घृणा-द्वेष का माहौल और बढ़ाएगी?
जाति एकता की रैली-महारैली के निकालने से
अन्य जातियों में वितृष्णा की भावना फैलेगी!
ब्राह्मण वर्ण कुछ और ब्राह्मण हो जाएगा
धार्मिक कर्मकांड पाखंड कुछ और बढ़ जाएगा!
क्षत्रिय कुछ और होगा क्षत्रिय, बली बाहुबली
सामंतवादी भावना कुछ और फलेगी फूलेगी!
वैश्य कुछ और धनोष्मित हो गुटबंदी करेगा,
छल कपट होगा, कालाबाजारी महंगाई बढ़ेगी!
शूद्र कुछ और उग्र क्षुब्ध होकर क्षुद्र हो जाएगा,
अंत्यज का अंत कुछ और ही जल्द हो जाएगा!
ऐसे में जातिवाद कुछ अधिक उन्मत्त हो जाएगा,
जातिवाद के बढ़ जाने से हिन्दू गर्त में जाएगा!
हिन्दूधर्म की तमाम जातियों में अनबन भी होगा,
छोड़ो जाति एकता के नाम स्वजाति को उकसाना!
गर संभव हो तो अनेक जातियों को एक बनाओ,
जो हिन्दू धर्म से कट गए हैं, उनको वापस लाओ,
अपने प्राचीन गौरवशाली अतीत को नहीं भुलाओ!
अगर एकता लाना है तो परिवार में एकता लाओ,
मां पिता की सेवा करो, भाई बहनों से नेह बढ़ाओ,
घर परिवार समाज से ईर्ष्या द्वेष भावना मिटाओ!
गर सक्षम हो तो अपने भाई-बहनों व पड़ोसियों के
असमर्थ बच्चों को पढ़ाने-लिखाने में मदद पहुंचाओ,
जाति उपाधि से मुक्ति पाकर सबको गले लगाओ!
अपने को उच्च ना समझो, दूसरे को नीच ना कहो,
जितनी जल्दी हो सके जातिवाद को समूल मिटाओ,
हिन्दुत्व से नाता जोड़ो कुछ और मानव बन जाओ!
—विनय कुमार विनायक