
13.05 करोड़ लोगो का वर्ष 2020-21 मे अब तक किया गया रजिस्ट्रैशन ।
भगवत कौशिक।
आज पूरा देश कोरोना महामारी से भयंकर रूप से जुझ रहा है।लाकडाऊन के कारण कामधंधे ठप हो गए।कारखानों व फैक्टरियों पर ताला लगने के कारण मजदूर लोगों के सामने रोजीरोटी का संकट खडा हो गया।सबसे ज्यादा समस्या उन लोगों के सामने आ रही है जो रोजीरोटी कमाने के लिए गांवों को छोड़कर शहर गए, लोकडाऊन व काम धंधे बंद होने के कारण इन लोगों को वापस गांव लोटना पडा।लेकिन काम व पैसा ना होने के कारण इन लोगों के सामने आर्थिक संकट पैदा हो गया ।ऐसे मे केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना “मनरेगा यानि महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम”इन लोगो के लिए वरदान साबित हुई व लोगों को गांव मे ही रोजगार उपलब्ध होने लगा।कोविड-19 महामारी से बचाव को लेकर अन्य प्रांतों से घरों को लौटे प्रवासी श्रमिकों के लिए मनरेगा वरदान बन गई।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत ग्रामीण मजदूर की संख्या चालू वित्तीय वर्ष मे अप्रैल से अब तक पूरे देश मे 13.05 करोड़ पर एक नई ऊंचाई को छू गई। बीते साल की तुलना में दो गुना मनरेगा मजदूरों से कार्य कराया जा रहा है। मजदूरी का भुगतान भी समय से बैंक खातों में प्रेषित किया जा रहा है। बेरोजगारों अपने-अपने गांवों में काम मिलने से परिवार के भरण पोषण के लिए बड़ा सहारा मिल गया है। कोरोना काल मे ग्रामीण गरीबी से लड़ने के लिए सरकार के शस्त्रागार में मनरेगा ही एकमात्र ऐसा हथियार है जो ग्राम विकास मे अहम भूमिका निभा रहा है। हालांकि, योजना को कर्कश, बेकार और अप्रभावी रूप हमने भूतकाल में देखे हैं।
आपको बता दे कि सितंबर 2005 मे यूपीए सरकार ने ग्राम विकास के लिए व लोगों को गांव मे ही रोजगार उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी अधिनियम लागू की। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र के परिवार जो अकुशल श्रमिक के तौर पर कार्य करने के इच्छुक है उनको प्रत्येक वित्तीय वर्ष मे 100 दिन का रोजगार उपलब्ध करवाना सुनिश्चित किया गया। लेकिन राज्य सरकारो व अधिकारियों की बेरुखी के कारण यह योजना ज्यादा कारगर सिद्ध नहीं हुई।लेकिन मौजूदा समय मे कोरोना के कारण काम धंधे चौपट होने के चलते लोगों का रूझान मनरेगा की तरफ बढा है जिसका श्रेय मौजूदा केन्द्र व राज्य सरकारों दवारा इसके क्रियान्वयन व सुधारो को भी जाता है।आज मनरेगा ने गांवों की दिशा व दशा दोनो को बदल दिया है ।केंद्र व राज्य सरकारों दवारा गांव के सभी विकास कार्यों को मनरेगा के तहत करवाना सुनिश्चित किया गया जिससे ग्राम पंचायतों व अधिकारियों ने इस योजना मे रूचि लेना आरंभ किया गया। मौजूदा समय मे वर्ष 2020-21 के तहत अब तक पूरे भारतवर्ष मे रिकॉर्ड 13 करोड़ श्रमिकों दवारा 1538621377 मेंडेज( कुल मजदूरी दिवस) का कार्य किया गया जो एक रिकॉर्ड है और अपनेआप मे इस योजना की अहमियत को दर्शाता है।वही सरकार ने पहले जो मजदूरी 284 रूपये प्रतिदिन थी उसको बढाकर 309 रूपये प्रतिदिन करके कोरोना काल मे लोगों को बडी राहत प्रदान की ।साथ ही काम समाप्ति के 15 दिन के अंदर अंदर सीधे श्रमिकों के बैंक खातो मे मजदूरी भेजना सुनिश्चित किया व मनरेगा योजना पर ज्यादा से ज्यादा फोकस करने का निर्णय लिया ताकि आर्थिक मंदी मे ग्राम विकास पर कोई प्रभाव ना पडे ।वर्ष 2020-21 मे अब तक लगभग 43035.66 करोड़ रुपये मनरेगा के तहत खर्च किए गए हैं।
नोट :: सभी आंकड़े चालू वित्तीय वर्ष 2020-21 के है व भारत सरकार की वेबसाइट www.nrega.nic.in से लिए गए है
भगवत कौशिक