~ कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल
कैलेण्डर वर्ष 2023 लगभग अपनी पूर्णता की बेला में आ पहुंचा है । वर्ष भर हम सबने व्यक्तिगत जीवन से लेकर सामाजिक जीवन में अनेकानेक उतार चढ़ाव देखे हैं। देश और समाज को विभिन्न संकटों का निवारण और संकटों पर विजय प्राप्त करते हुए देखा है।अनेकानेक उपलब्धियां देश के हिस्से में आई हैं और प्रगति के साथ कदमताल करते हुए महान ऋषियों एवं पूर्वजों के भारत को विश्व इतिहास रचते देखा है। इस वर्ष जहां भारतीय संस्कृति के मानबिन्दुओं, उच्चादर्शों से अनुप्राणित नवीन संसद भवन देश को मिला । वहीं संसद भवन में ‘सेंगोल’ (सिंगोल) धर्मदण्ड स्थापना सहित समस्त भारतीय आदर्शों के माध्यम से भविष्य के भारत की राजनीति के नवदिशाप्रबोधन का पथ प्रशस्त भी हुआ है । वसुधैव कुटुम्बकम् पर आधारित जी 20 समूह की अध्यक्षता करते हुए भारत ने अपने वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अतिरिक्त भी अन्य वैश्विक मंचों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की सर्वस्वीकार्यता एक नई कहानी कह रही है ।
देश आज आर्थिक सामरिक कूटनीतिक क्षेत्र में प्रभावी भूमिका में आ पहुंचा है। 4 ट्रिलियन डॉलर के पार वाली अर्थव्यवस्था ने देश को आर्थिक प्रगति के नए पायदान पर ला खड़ा किया है। इसी कड़ी में नवीन उद्यमों की स्थापना, निर्यात में बढ़ोत्तरी, मेक इन इंडिया, नए स्टार्टअप सहित उद्योग स्थापना एवं विदेशी निवेश को लेकर देश में सकारात्मक परिवर्तन दिखाई दे रहा है। इससे आर्थिक समृद्धि के साथ साथ रोजगार में भी पर्याप्त वृद्धि देखी जा रही है । सैन्य सुरक्षा, विकास कार्य , नागरिक कानूनों में सुधार, नारी शक्ति वंदन अधिनियम, चन्द्रयान 3 की सफलता के साथ खेल एवं वैज्ञानिक क्षेत्रों में देश ने युगान्तरकारी परिवर्तन देखे हैं। फिर बात चाहे डिजिटल क्रांति के साथ तकनीकी एवं आधारभूत ढांचे के विनिर्माण की हो या बात
सड़कों के संजाल , रेलवे एवं एयरपोर्ट सहित नागरिक सुविधाओं में सुगमता एवं समावेशी विकास की हो। वर्तमान समय में देश प्रगति की रफ्तार को एक नए अध्याय के रूप में देख रहा है।
श्रीराम जन्मभूमि में भव्य श्रीराम मंदिर की पूर्णता के साक्षी बनते हुए भारत के सांस्कृतिक उन्मेष का सूर्योदय होते हुए भी हम सब देख ही रहे हैं। वहीं आज भारतीय संस्कृति के पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण सभी दिशाओं में स्थापित आस्था केन्द्रों का पुनरुद्धार – पुनर्विकास होना ; राष्ट्र के जन जन के लिए गौरवान्वित करने वाला है। अब देश में संत – महात्माओं पर गोलियां नहीं चलवाई जाती हैं बल्कि संत महात्माओं का आशीर्वाद लेकर सत्ता संचालित हो रही हैं। यह इसीलिए संभव हो रहा है, क्योंकि भारतीय समाज – हिन्दू समाज हर विभाजन को नकार रहा है। वह एकजुटता के साथ यह निर्धारित कर रहा है कि जो भारतीय संस्कृति का संरक्षण सम्वर्धन करेगा उसी को सत्ता सौंपी जाएगी।
इसके साथ ही वैश्विक राजनीति में भारत को विश्व नेतृत्वकर्ता यानी ‘विश्व गुरु’ के रूप प्रतिष्ठित पुनर्स्थापित होते हुए हम सब आह्लादित अनुभूत करते ही होंगे। वस्तुत: समाज जीवन का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं होगा जहाँ राष्ट्र ने नवीन चेतना और स्फूर्ति की गौरव पताका न फहराई हो। विविध क्षेत्रों के विद्वानों, विषय विशेषज्ञों और नेतृत्वकर्ताओं के साथ साथ देश के सशक्त राजनीतिक नेतृत्व ने राष्ट्र के विकास में अपनी अभूतपूर्व भूमिका का परिचय दिया है। राष्ट्र की समृद्धि एवं विश्व कल्याण की उदात्त भावना से ओत-प्रोत भारत पूर्वजों के संकल्पों और नवीन चैतन्यता के साथ अग्रसर हो चला है।
किन्तु इसके साथ ही राष्ट्र और समाज के मध्य विभाजन, वर्ग संघर्ष, नक्सलवाद, माओवाद,
षड्यंत्र, हिंसा सहित अनेकानेक उत्पात मचाने वाली आसुरी शक्तियाँ भी राष्ट्र व समाज जीवन को नष्ट-भ्रष्ट करने के लिए आतुर हैं । भारत विरोधी हिन्दू विरोधी राजनीति के पैरोकार लगातार सनातन धर्म, संस्कृति, हिन्दुत्व एवं मानबिन्दुओं पर हमले बोल रहे हैं । और वे जिन जिन राज्यों , स्थानों में सत्ता में हैं वहां-वहां वे हिन्दू धर्म संस्कृति के विरुद्ध योजनाबद्ध ढंग से आक्रमण, आघात जारी किए हुए हैं । कन्वर्जन सहित हिन्दू विरोधी प्रत्येक कार्य वे अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखकर करने पर जुटे हुए हैं। इसमें विदेशी षड्यंत्र और सांठगांठ की भूमिका को भी नकारा नहीं जा सकता है।
आज वे सभी संगठित गिरोह के माध्यम से साम, दाम दण्ड भेद को अपनाते हुए मुखौटा लगाकर चारो ओर गिध्द दृष्टि जमाए घूम रहे हैं। उनके उद्देश्यों में ‘राजनीति और सत्ता ‘ पहला लक्ष्य हो सकती है। किन्तु सत्ता या राजनीति केवल उनके छिपने का जरिया ही है। बल्कि ये सभी आसुरी शक्तियां स्पष्ट रूप से भारत और भारत की संस्कृति, अस्मिता और गौरवबोध को खत्म करने के बड़े अभियान में ही जुटी हुई हैं । उनके एजेण्डे और प्रोपेगैंडा एकदम स्पष्ट हैं कि भारतीय समाज यानि हिन्दू समाज शनै: शनै: समाप्त कर देना । प्रत्यक्ष रूप से हम सभी देख ही रहे हैं कि कन्वर्जन, लव-जिहाद, आतंकवाद, कुटुम्ब विखण्डन सहित सामाजिक जीवन के मूल्यों एवं आदर्शों को नष्ट करने के कुकृत्यों से समाज किस प्रकार जूझ रहा है। ऐसे अनेकानेक देशविरोधी संविधान विरोधी कार्य वे सभी आसुरी शक्तियाँ निरन्तर करने पर जुटी हुई हैं। वर्तमान में भारत और भारतीयता के विरुद्ध ये हमले लगातार – सिनेमा, सोशल मीडिया, ओटीटी प्लेटफार्म, साहित्य , मीडिया, कला आदि के सभी माध्यमों से जारी हैं। सैकड़ों , हजारों करोड़ रुपये के विदेशी वित्तपोषित एनजीओ, पुरस्कार आदि के माध्यम से वे ‘सेवा और सहायता’ का मुखौटा रखकर भी समाज को ग्रास बनाने में जुटे हुए हैं । इनका स्पष्ट उद्देश्य है भारत के ‘स्व’ और मूल्यादर्शों पर प्रहार कर आत्मविस्मृत कर देना । चारों ओर विभाजन व हिंसा के द्वारा अस्थिरता उत्पन्न कर भारत की गति प्रगति को रोक देना।
ऐसे प्रगति एवं संकट के कालखण्ड में प्रत्येक व्यक्ति की — एक व्यक्ति, परिवार और समाज जीवन में भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है। हमें यह समझना पड़ेगा कि हमारा ‘स्व’ क्या है ? स्व यानि प्रत्येक वह कार्य, विचार और दृष्टि जो भारत की अपनी है। जो भारत की महान परम्परा में वर्षों से सत्य , न्याय और धर्म पर आधारित है और हमारे सामाजिक जीवन का आदर्श है।अतएव हम सभी अपने कार्यों एवं विचारों में ‘स्व’ के लिए प्रतिबद्ध होना पड़ेगा।
चाहे युवा हों, प्रौढ़ हों, वरिष्ठ हों, मातृशक्तियां और विद्यार्थी हों ; सभी को कर्त्तव्य पथ पर बढ़ते हुए कदम कदम पर सचेत और सतर्क रहने की भी आवश्यकता है। इस दिखाई देने और न देने वाले संकट और संक्रमण काल में माताओं बहनों को अपनी अहम भूमिका निभानी होगी।बच्चे-बच्चे में नैतिकता एवं भारतीय जीवन मूल्यों के आदर्शो को पिरोना होगा । ताकि एक ऐसी पीढ़ी का निर्माण हो सके जो राष्ट्रीयता से पल्लवित एवं पुष्पित हो ।
भारत को वैज्ञानिक ढंग से भारतीयता के स्वत्वबोध के साथ अग्रसर रहना है। किन्तु अपने आस-पास होने वाले किसी भी षड्यंत्र एवं कृत्य को पहचानना और उसका मुखर प्रतिकार भी करना है । अतएव समाज में जागरण के लिए प्रत्येक व्यक्ति को एक योध्दा की भूमिका निभानी पड़ेगी । राष्ट्र और समाज के शत्रु कौन हैं? वे किस रूप में समाज पर आक्रमण कर रहे हैं? इन सभी बातों- तत्वों को स्वयं समझना और सभी समझाना पड़ेगा । प्रतिकार के लिए तैयार रहते हुए राष्ट्र के सर्वांगीण विकास एवं उन्नति के सहभागी बनना पड़ेगा। हमें संवैधानिक व्यवस्था के अन्तर्गत काम करते हुए राष्ट्र और समाज के शत्रुओं के ताबूत में अंतिम कील भी ठोंकनी है। क्योंकि जिस दिन एक एक व्यक्ति ‘स्व’ पर आधारित राष्ट्रबोध और शत्रुबोध को जीवन में उतार लेगा। उसी दिन से चहुंओर ‘कृण्वन्तो विश्वमार्यम ‘ का शाश्वत संदेश साकार होने लगेगा ।
~ कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल