
दो बैल जुते इस गाड़ी में,
यह नगर सेठ की गाड़ी है |
लोगों का पीछा करती है,
न उनसे कभी पिछड़ती है|
कितना भी तेज चले जनता,
यह साथ साथ में चलती है|
है बिना रुके ही चढ़ जाती ,
यह ऊंची बड़ी पहाड़ी है|
यह नगर सेठ की गाड़ी है|
गर्दन में घुंघरू बंधे हुए,
खन खन का शोर मचाते हैं|
सब नगर सेठ की गाड़ी को ,
जग में बेजोड़ बताते हैं|
है बैलों की पहचान अलग,
लम्बी मूंछें हैं दाढ़ी है|
यह नगर सेठ की गाड़ी है|
यह नगर सेठ की गाड़ी जब ,
चलती ,तो चलती जाती है|
पड़ते हैं पाँव जहां इसके ,
पग चिन्ह छोड़ यह आती है|
यह सीधी नहीं चली अब तक,
यह चलती तिरछी आड़ी है|
यह नगर सेठ की गाड़ी है|
यह सेठ बड़ा व्यापारी है,
बच्चों से इसकी यारी है|
बच्चों को आगे ले जाना,
इस गाड़ी की तैयारी है|
दम लेगी मंज़िल तक जाकर,
यह गाडी अभी दहाड़ी है|
यह नगर सेठ की गाड़ी है|
बच्चे होते प्रतिभा शाली ,
बच्चे ही देश बनाते हैं|
बच्चों के ओंठों पर आकर,
ही भाग्य देव मुस्काते हैं |
मारा जिसने मैदान वही तो,
होता बड़ा खिलाडी है|
यह नगर सेठ की गाड़ी है|