…रह जाता कोई अर्थ नहीं !

जब कोई किसी परीक्षा में असफल हो जाता है तो उसका मनोबल बिल्कुल ही गिर जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो वह एकबार तो पूरी तरह से टूट सा ही जाता है। बहुत बार यह देखा गया है कि अच्छी खासी मेहनत के बाद भी कोई बच्चा/बच्ची किसी परीक्षा में असफल हो जाते हैं, हालांकि अन्य बहुत सी परीक्षाएं उन्होंने बहुत ही अच्छे अंकों से उत्तीर्ण की होती है। दरअसल, होता यह है कि बहुत से बच्चे किसी परीक्षा विशेष में स्वयं पर बहुत दबाव महसूस करते हैं। यह दबाव माता पिता, अभिभावकों का हो सकता है, किसी अन्य व्यक्ति यहां तक कि समाज का भी हो सकता है, क्यों कि सभी उस व्यक्ति विशेष से बहुत सी अपेक्षाएं रखते हैं। बहुत बार परीक्षा के समय स्वास्थ्य की दिक्कत हो जाने से भी, अच्छी तैयारी के बाद पेपर बिगड़ जाता है लेकिन ऐसी स्थितियों में किसी भी व्यक्ति को, बच्चे को,बच्ची को जो परीक्षा में असफल हो गए हैं, उन्हें यह कतई नहीं सोचना चाहिए कि यह उसका/उसकी आखिरी परीक्षा थी, अंतिम अवसर था, क्यों कि इस संसार में कहीं भी अवसरों की कोई कमी नहीं है। यह संसार अवसरों से भरा पड़ा हुआ है, बस जरूरत है तो इन अवसरों को भुनाने की। संघर्ष ही जीवन है। जो संघर्ष करते हैं वे अवश्य जीतते हैं। संघर्ष बड़ी चीज है और प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में कोई न कोई संघर्ष करना ही पड़ता है। सकारात्मक सोच के साथ मेहनत ही परीक्षा में सफलता दिलाती है, इसलिए असफलता को लेकर बहुत अधिक भावुक होने की जरूरत नहीं है। यह जीवन वैसे भी फूलों की सेज नहीं है, यहां पग पग पर कांटे हैं, संघर्ष हैं। आज प्रतिस्पर्धा का जमाना है। हरेक क्षेत्र में आज बहुत अधिक प्रतिस्पर्धा है। आप जहां भी चले जाइए, आपको हर तरफ कतारें ही कतारें देखने को मिलेंगी। सच तो यह है कि आदमी यानी हम सब संघर्ष से घिरे हुए हैं और जो सफलता या  सीख हमें मिलती है वो देखा जाए तो संघर्ष की ही तो देन है। संघर्ष ही हमारे जीवन को निखारता, संवारता  व तराशता  हैं। बिना संघर्ष के जीवन में आनंद भी नहीं है। जो संघर्ष से प्राप्त होता है, असली आनंद,खुशी उसी में निहित होती है। जो सरलता से, आसानी से प्राप्त हो जाए, वह लक्ष्य ही क्या ? सच तो यह है कि संघर्ष ही हमें जीवन का अनुभव कराता  हैं, वह हमें लगातार/ सतत सक्रिय बनाता  हैं और हमें जीना सिखाता  हैं। संघर्ष का दामन थामकर न केवल हम आगे बढ़ते हैं, बल्कि जीवन जीने के सही अंदाज़ को जीवन के आनंद को अनुभव कर पाते हैं। संघर्ष जीवन में उतार – चढ़ाव का अनुभव करता है , अच्छे -बुरे, सही ग़लत, नैतिक अनैतिक का ज्ञान करवाता है, सक्रिय रहना सिखाता है और हमें समय की कीमत सिखाता है।आज के प्रतिस्पर्धा के इस युग में सभी जाने-अनजाने तनाव से ग्रस्त हैं। तनाव की वजह चाहे छोटी हो या बड़ी, यह हमारे शरीर, हमारे मन-मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव डालती है। यकीन मानिए

हर कार्य को उचित व सहि ढंग से पूर्ण मेहनत, लगन व ईमानदारी से करना सिर्फ और सिर्फ हमारे हाथ में है। सफल-असफल होना परिस्थितियों व कुछ हद तक भाग्य द्वारा निर्धारित होता है। अत: असफल होने का डर फिजूल है। हमारी एक कमी यह होती है कि हम हमारे जीवन व परिस्थितियों की दूसरे लोगों से से सदैव तुलना करते रहते हैं। हम सोचते हैं कि वह ऐसा बन गया,उसको यह प्राप्त हो गया, मुझे क्यों नहीं ? यही हमारी असफलता का कारण बनता है। हमें कभी भी तुलना नहीं करनी है,उस परम पिता परमेश्वर ने इस संसार के प्रत्येक व्यक्ति को किसी न किसी विशेष गुण से लैस किया है, हमें जरूरत है तो बस अपने गुणों, अपनी क्षमताओं को पहचानने की। सकारात्मक सोच बहुत ही महत्वपूर्ण व जरूरी है। सकारात्मक सोच का का अर्थ है सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जीवन की हरेक चुनौतियों का सामना करना, उनका मुकाबला करना। याद रखिए कि एक व्यक्ति जो सकारात्मक तरीके से सोचता है, वह अपने आसपास के लोगों और घटनाओं के उज्‍ज्‍वल पक्ष पर ही ध्‍यान केंद्रित करता है। उसे घटनाओं का नकारात्मक पक्ष कभी दिखता या महसूस नहीं होता है। सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए हमें यह चाहिए कि हम रोज मुस्कुराएं। यह महसूस करें कि आज का दिन हमारा अपना दिन है। हम यह महसूस करें कि हम सबसे बेस्ट हैं और हम दुनिया को अमुक कार्य, चीज करके दिखा सकते हैं। हम यह महसूस करें कि हम विजेता हैं और हम जीतेंगे। हम अपना भाग्य खुद चुन सकते हैं। हम यह महसूस करें कि यह हम कर सकते हैं और जरूर कर सकते हैं। हमें यह विश्वास होना चाहिए कि हम मेहनत से अपने मुकाम को जरूर हासिल कर लेंगे। हमारे ईश्वर हमारे साथ हैं। हमें यह महसूस करना चाहिए कि हमारे लिए कोई भी काम मुश्किल नहीं है। हम महसूस करें कि हम अमुक काम को जरूर कर पायेंगे। हमें कड़ी से कड़ी मेहनत का संकल्प लेना है, क्यों कि सफलता का कभी भी कोई शार्टकट नहीं होता है। सकारात्मक सोच लाने के लिए मूलमंत्र यह है कि हम विश्वास रखें कि खुशी एक प्रकार का विकल्प है और अपने लिए हम इसे चुन सकते हैं। हमें यह चाहिए कि हम हमेशा नकारात्मक भरी जिंदगी से दूर रहें और हर परिस्थिति और मुश्किल में सकारात्मक पात्र सोचें। हमेशा खुशियां दूसरों के साथ बांटें। नकारात्मक लोगों से दूरी बनाए और हमेशा सकारात्मक सोच वाले लोगों से जुड़ कर रहें। लैस ब्राउन ने कहा है कि ‘हर दिन मे 1440 मिनट होते हैं। इसका मतलब रोज हमारे पास सकारात्मक होने के 1440 अवसर होते हैं। याद रखिए कि मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता हैं, जैसा वो विश्वास करता हैं वैसा वो बन जाता हैं। हम परेशानियों पर फोकस नहीं करें, अपितु हमेशा अच्छा सोचें,अपना नजरिया बदलें और अच्छी किताबें पढ़ें, महापुरुषों की जीवनियों से प्रेरणा लें।जोएल ओस टीन ने कहा है कि -‘मेरा मानना है कि अगर आप भरोसा बनाए रखते हों, अपना विश्वास और अच्छा आचरण रखते हों, अगर आप आभारी हो, तो आप ईश्वर को नए दरवाजे खोलते हुए देखोगे।’ याद रखिए कि कामयाबी कुछ नहीं बस एक नाकामयाब व्यक्ति के संघर्ष की कहानी होती है। सफलता की ऊंचाइयों को छूना है तो एक समय में एक काम करो, और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें ड़ाल दो, मतलब कि पूरी मेहनत और लगन, और बाकी सबकुछ भूल जाओ। अंत में रामधारी सिंह दिनकर जी के शब्दों में बस यही कहूंगा कि -नित जीवन के संघर्षों से,

जब टूट चूका हो अंतर मन।तब सुख के मिले समंदर का, रह जाता कोई अर्थ नहीं। जब फसल सूख कर जल के बिन, तिनका तिनका बन गिर जाये।

फिर होने वाली वर्षा का, रह जाता कोई अर्थ नहीं।

सम्बन्ध कोई भी हो लेकिन, यदि दुःख में साथ न दे अपना। फिर सुख के उन संबंधों का, रह जाता कोई अर्थ नहीं। छोटी छोटी खुशियों के क्षण, निकले जाते हैं रोज जहाँ। फिर सुख की नित्य प्रतीक्षा का,

रह जाता कोई अर्थ नहीं। मन कटु वाणी से आहात हो,

भीतर तक छलनी हो जाये। फिर बाद कहे प्रिय वचनो का, रह जाता कोई अर्थ नहीं। सुख साधन चाहे जितने हों, पर काया रोगों का घर हो। फिर उन अगनित सुविधाओं का, रह जाता कोई अर्थ नहीं।’

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