आतंक के गढ़ में भारत का निर्णायक प्रहार
योगेश कुमार गोयल
भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जवाब 15 दिन बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के माध्यम से देकर एक बार फिर यह जता दिया है कि अब वह न तो चुप रहेगा और न ही आतंकी हमलों को बर्दाश्त करेगा। इस हमले में भारत के 26 निर्दोष लोगों की जान गई थी और यह हमला स्पष्ट रूप से पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों से ही संचालित किया गया था। इसके सटीक जवाब में भारत ने 7 मई सुबह डेढ़ बजे पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकियों के 9 ठिकानों को ध्वस्त करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया। भारत की यह एक सुनियोजित, सीमित और सटीक सैन्य कार्रवाई थी, जिसका उद्देश्य स्पष्ट था, आतंकवाद को उसी की जमीन पर कुचलना। इस ऑपरेशन को ‘सिंदूर’ नाम देना भारत की सांस्कृतिक और भावनात्मक सोच को दर्शाता है। ‘सिंदूर’ एक ओर जहां भारतीय संस्कृति में शक्ति, सौभाग्य और सम्मान का प्रतीक है, वहीं इस संदर्भ में यह उन शहीदों के बलिदान की लालिमा भी है, जिनकी शहादत का बदला लेने के लिए यह कार्रवाई की गई।
ऑपरेशन सिंदूर के जरिये भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि यह ऑपरेशन केवल उन आतंकी ढ़ांचों के विरुद्ध था, जो लगातार भारत में घुसपैठ, आत्मघाती हमले और हथियारों की तस्करी को बढ़ावा दे रहे थे। बहावलपुर जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ है, वहीं मुजफ्फराबाद और कोटली लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के लिए लांच पैड के रूप में काम आते हैं। इन स्थानों पर हुए हमलों के माध्यम से भारत ने उन आतंकी गुटों की कमर तोड़ने की कोशिश की है, जो वर्षों से भारत को अस्थिर करने की कोशिश में लगे हुए थे। इस ऑपरेशनके जरिये भारत ने अपने नागरिकों को यह भरोसा भी दिलाया है कि देश की सुरक्षा महज कागजों तक सीमित नहीं है बल्कि उसे धरातल पर भी लागू किया जा रहा है। ऑपरेशन सिंदूर यह विश्वास पैदा करता है कि अब भारत किसी भी आतंकी हरकत का जवाब उसी भाषा में देगा और अपने सैनिकों और नागरिकों की शहादत व्यर्थ नहीं जाने देगा। यह संदेश केवल पाकिस्तान के लिए ही नहीं बल्कि उन ताकतों के लिए भी है, जो सीमा पार से भारत के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं।
भारतीय वायुसेना ने इस ऑपरेशन के तहत अत्याधुनिक मिसाइलों का इस्तेमाल करते हुए बहावलपुर, मुजफ्फराबाद, कोटली, मुरीदके, बाघ और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की कुछ आतंक-प्रवण लोकेशनों पर हमलाकर पूरी दुनिया को यह दिखा दिया है कि आतंकवाद से निपटने के लिए उसे अब किसी की अनुमति की आवश्यकता नहीं है और वह अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाने को तैयार है। इस ऑपरेशन की योजना और क्रियान्वयन अत्यंत गोपनीय और तकनीकी रूप से उन्नत स्तर पर हुई। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने 22 अप्रैल के हमले के बाद जिस तेजी से पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों की पहचान की और सेना के साथ समन्वय किया, वह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति की परिपक्वता का प्रमाण है। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी बयान में स्पष्ट किया गया है कि इस कार्रवाई का उद्देश्य केवल आतंकवाद के अड्डों को निशाना बनाना था, न कि पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों या नागरिक आबादी को। इस ऑपरेशन के दौरान भारत ने कुल 24 मिसाइलें दागी, जिनमें से अधिकांश लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों पर सटीकता से गिरी।
बताया जा रहा है कि इन हमलों में कई आतंकियों के मारे जाने की खबर है, जिनमें लश्कर और जैश के कई शीर्ष कमांडर भी शामिल हैं, जो भारत में आतंकी हमलों की योजना बनाते रहे हैं। पाकिस्तान का स्थानीय मीडिया और प्रशासन पहले इस हमले को नकारते रहे, फिर अलग-अलग बयान देकर भ्रम फैलाने की कोशिश की। पाकिस्तानी सेना के आईएसपीआर प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने दावा किया कि भारत ने 6 अलग-अलग स्थानों पर मिसाइलें दागी, जिनमें 8 नागरिकों की मौत हुई। वहीं दूसरी ओर, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने जियो टीवी पर दावा किया कि भारत ने अपने ही हवाई क्षेत्र से हमला किया और मिसाइलें रिहायशी इलाकों पर गिरी। पाकिस्तान के दावे आपस में ही विरोधाभासी हैं, जो इस बात का स्पष्ट संकेत है कि वे न तो इस हमले के लिए तैयार थे और न ही उनके पास इसकी ठोस जानकारी है। वहीं, भारत ने इस ऑपरेशन के तुरंत बाद अमेरिका को इस कार्रवाई की जानकारी दी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अमेरिकी एनएसए और विदेश मंत्री मार्को रुबियो से बात कर उन्हें स्पष्ट रूप से बताया कि यह कार्रवाई पूरी तरह आतंकवाद के खिलाफ थी, न कि पाकिस्तान की संप्रभुता के विरुद्ध। भारतीय दूतावास ने अमेरिका में बयान जारी कर बताया कि भारत ने किसी भी पाकिस्तानी नागरिक, सैन्य या आर्थिक ठिकानों को निशाना नहीं बनाया, केवल उन्हीं आतंकी शिविरों पर हमला किया गया, जो भारत के खिलाफ साजिश रच रहे थे।
इस ऑपरेशन के पूरे समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी निगरानी कर रहे थे। उन्होंने सेना को पूर्ण स्वतंत्रता दी थी और इस ऑपरेशन की बारीकियों पर लगातार नजर बनाए रखी। ऑपरेशन पूरा होने के बाद भारतीय सेना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर ‘जस्टिस इज सर्व्ड’ यानी ‘न्याय हो गया’ लिखा जबकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ‘भारत माता की जय’ के नारे के साथ इस कार्रवाई को राष्ट्र के प्रति समर्पित किया। इस ऑपरेशन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ना स्वाभाविक था। पाकिस्तान की ओर से फायरिंग और जवाबी बयानबाजी जारी रही। पाकिस्तान के मीडिया ने प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए यह दावा किया कि पाकिस्तान ने भारत के 6 फाइटर जेट मार गिराए हैं, जिसमें 3 राफेल, 2 मिग-29 और 1 सुखोई शामिल हैं, साथ ही भारतीय सेना की 12वीं इन्फैंट्री ब्रिगेड के मुख्यालय को नष्ट करने का झूठा दावा भी किया गया। हालांकि भारत द्वारा इन बेबुनियाद झूठे दावों को सिरे से खारिज कर दिया गया है।
भारत का अगला कदम अब इस कार्रवाई को कूटनीतिक और रणनीतिक स्तर पर वैश्विक समर्थन में बदलना होगा। ऑपरेशन सिंदूर के बाद अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत आतंकवाद के खिलाफ अपने दृष्टिकोण को और मजबूत तरीके से प्रस्तुत करेगा। अमेरिका, फ्रांस, रूस और इजरायल जैसे देश पहले ही भारत के साथ खड़े नजर आ रहे हैं परंतु संयुक्त राष्ट्र और इस्लामी देशों के संगठन (आईओसी) में पाकिस्तान अपने झूठे प्रचार को हवा देने की कोशिश अवश्य करेगा, इसलिए भारत को अब इस कूटनीतिक लड़ाई में भी स्पष्टता और तथ्यों के साथ आगे बढ़ना होगा। बहरहाल, ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य और कूटनीतिक परिपक्वता का प्रतीक है। इसने साबित कर दिखाया है कि भारत अब संयम और जवाबदेही के साथ अपनी रक्षा नीति पर अमल कर रहा है। ‘सिंदूर’ का रंग भले ही सांस्कृतिक दृष्टि से सौभाग्य और शक्ति का प्रतीक हो परंतु इस सैन्य कार्रवाई में यह रंग आतंकवाद के विरुद्ध प्रतिशोध और शौर्य का प्रतीक बन गया है। भारत ने दुनिया को यह बता दिया है कि वह न तो युद्ध चाहता है, न टकराव लेकिन यदि उसकी सीमाओं, नागरिकों और संप्रभुता को कोई चुनौती देगा तो उसका जवाब भी उतना ही सटीक, तीव्र और निर्णायक होगा। भारत का यह बदलता हुआ रवैया उसकी सुरक्षा नीति को नई दिशा दे रहा है और यह संकेत है कि आने वाले समय में कोई भी आतंकी घटना भारत को मूकदर्शक नहीं बनाएगी बल्कि तत्काल और निर्णायक प्रतिघात से दुश्मन की कमर तोड़ी जाएगी।