डॉ.वेदप्रकाश
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल आरोपजीवी राजनेता हैं। शायद ही कोई दिन ऐसा जाता होगा जब वे स्वयं अथवा उनकी पार्टी के बड़े नेता प्रेस कांफ्रेंस न करते हों। उनके पास दूसरों पर आरोपों की एक लंबी सूची है। सर्वविदित है कि राजनीति में अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी की पहचान फ्री संस्कृति को बढ़ावा देने वाले, कभी एलजी पर तो कभी केंद्र सरकार पर आरोप लगाने वाले, ख्याली पुलाव बनाने वाले, बड़े-बड़े सपने दिखाने वाले के रूप में रही है।
यह भी सर्वविदित है कि समाजसेवी अन्ना हजारे के संघर्ष का लाभ उठाते हुए आम आदमी पार्टी अस्तित्व में आई। भ्रष्टाचार खत्म करेंगे,साफ सुथरी राजनीति करेंगे, दिल्ली को स्वीटजरलैंड बनाएंगे, दिल्ली की शिक्षा का मॉडल अच्छा बनाएगे, कूड़े के पहाड़ को खत्म कर देंगे, पूरी दिल्ली को फ्री वाई-फाई देंगे, हर घर में 24 घंटे पानी, यमुना की सफाई और विश्व स्तरीय सड़कें आदि नारों के सहारे वे दिल्ली की राजनीति में जम गए लेकिन राजनीति का अनुभव न होने से और विकास की समुचित दिशा व दृष्टि न होने से दिल्ली में मुफ्त और केवल मुफ्त की संस्कृति से अनेक प्रकार की समस्याएं खड़ी होती चली गई। जनकल्याण के अनेक आवश्यक काम ऐसे ही पड़े रहे। जब कभी उनकी चर्चा भी हुई तो स्वयं अरविंद केजरीवाल दिल्ली के एलजी पर अथवा केंद्र सरकार पर पैसा न देने का आरोप लगाकर पल्ला झाड़ते रहे हैं।
हाल ही में आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में जल संकट की स्थिति पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि हरियाणा की भाजपा सरकार जान बूझ कर दिल्ली में जहरीला पानी भेज रही है। उन्होंने इसे नरसंहार की साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जनता भाजपा को वोट नहीं दे रही है इसलिए हरियाणा की भाजपा सरकार उन्हें जहर मिला पानी पिलाकर मारना चाहती है। हरियाणा की भाजपा की सरकार ने दिल्ली वालों की पानी की आपूर्ति को बाधित करने के लिए हरियाणा से अपनी फैक्ट्रियों का सारा प्रदूषण डीडी 8 से यमुना नदी में छोड़ना शुरू कर दिया है। इससे दिल्ली के 30 प्रतिशत लोगों को पीने का पानी नहीं मिलेगा। इस आरोप के जवाब में दिल्ली जल बोर्ड की सीईओ शिल्पा शिंदे ने आप नेताओं के आरोपों को भ्रामक बताया है। साथ ही हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज एक बार फिर साबित किया कि घटिया और झूठ की राजनीति करने के मामले में उनका कोई सानी नहीं है। उन्होंने हरियाणा पर जो बेबुनियाद, शर्मनाक, मनगढ़ंत और झूठे आरोप लगाए हैं, उनको लेकर हम चुनाव आयोग को शिकायत करेंगे और मानहानि का मामला दर्ज करेंगे।
आरोप- प्रत्यारोपों का सिलसिला जारी है। चुनाव आयोग ने भी अरविंद केजरीवाल से यमुना के पानी में जहर घोलने का आरोप प्रमाणित करने को कहा है। ध्यातव्य है कि यमुना लंबे समय से प्रदूषण की शिकार है। दिल्ली में वह दम तोड़ रही है। दिल्ली में यमुना के बहाव क्षेत्र में जैव संपदा पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। कई बड़े नालों के अतिरिक्त यमुना के बहाव क्षेत्र में छोटे-बड़े कई दर्जन नाले प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से सीधे गिर रहे हैं। सीवेज ट्रीटमेंट के नाम पर आईटीओ, ओखला और कौंडली आदि में जो संयंत्र लगे हैं वह आधे अधूरे हैं। दिल्ली की अनेक औद्योगिक इकाइयों का कचरा सीधे यमुना में जा रहा है। यमुना एक्शन प्लान के अंतर्गत यमुना की प्रदूषण मुक्ति हेतु जो योजनाएं बननी चाहिए थी, वे नहीं बन पाई हैं। यमुना जल में ऑक्सीजन की कमी और अनेक प्रदूषकों के साथ-साथ अमोनिया की बढ़ोतरी पिछले लंबे समय से जारी है। यमुना से गाद निकालने का मामला और यमुना से जुड़े नालों की सफाई का मामला एवं सीवरेज शोधन संयंत्रों के लगाने का मामला भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। दिल्ली में लगभग 35 स्थानों पर सीवरेज शोधन संयंत्र लगने थे लेकिन भ्रष्टाचार के कारण वह प्रक्रिया न हो सकी।
यह भी ध्यान रहे कि न तो यमुना में प्रदूषण का मामला नया है और न ही यमुना जल में अमोनिया की मात्रा बढ़ने का। चुनाव के समय यमुना की सफाई, कूड़े के पहाड़ों को खत्म करना जैसे अनेक चुनावी वादे जोर पकड़ते हैं और फिर धरातल पर कुछ काम नहीं होता है। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन सहित कई बड़े नेता घोटालों के आरोप में लंबी सजा जेल काटने के बाद जमानत पर बाहर हैं। क्या दिल्ली की बदहाली के लिए ये सीधे जिम्मेदार नहीं है? ये दिल्ली की कितनी भलाई कर रहे हैं और आगे कितनी करेंगे, यह भी विचारणीय है लेकिन यमुना के पानी में जहर मिलाकर नरसंहार का आरोप अरविंद केजरीवाल की बौखलाहट, इस बार चुनाव में हार के भय और मानसिक दिवालियापन को प्रमाणित करता है। चुनाव आयोग उनके इस आरोप पर गंभीर है। आयोग ने इस संबंध में केजरीवाल से पुन: पांच सवालों के जवाब देने को कहा है।
यह भी चिंताजनक है कि विगत लंबे समय से जाति, संप्रदाय, क्षेत्रीयता, भाषा, संविधान, किसान, युवा ,महिलाएं ,बेरोजगारी आदि अनेक मुद्दों पर समूचा विपक्ष निहित स्वार्थों की पूर्ति हेतु समाज में जहर घोलने का प्रयास कर रहा है। भिन्न-भिन्न रूपों में भ्रम और भय फैलाकर आपसी सद्भाव भंग करने के प्रयास सामान्य होते जा रहे हैं। दिल्ली में अब केवल गर्मी में ही नहीं अपितु सर्दियों में भी जल संकट सामान्य होता जा रहा है। दिल्ली की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। यहां जनसंख्या के अनुपात में शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और मूलभूत सुविधाएं कम पड़ रही हैं और उन्हें समुचित रूप में व्यवस्थित करने के कोई प्रयास भी फिलहाल तो नजर नहीं आ रहे हैं। पानी के माध्यम से लोगों के मन- मस्तिष्क में जहर घोलने की राजनीति घातक है।
डॉ.वेदप्रकाश