संजय सिन्हा
युद्ध पर विराम लगता नहीं दिख रहा। रूस और यूक्रेन के बीच पिछले तीन वर्षों से चल रहा युद्ध एक नई और खतरनाक करवट ले चुका है। इस्तांबुल वार्ता के कुछ ही घंटों बाद यूक्रेन ने अब रूसी कब्ज़े वाले इलाकों में गहरे और सामरिक रूप से संवेदनशील ठिकानों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। चंद दिन पहले रूसी एयरबेसों पर हुए भीषण ड्रोन हमले में यूक्रेन ने कम से कम 40 आधुनिक फाइटर जेट तबाह कर दिए थे जिससे रूस को बड़ा झटका लगा। अब, आगे बढ़ते हुए यूक्रेन ने ज़ापोरिझिया और खेरसॉन क्षेत्रों में बिजली ढांचों पर हमला कर दिया है जिससे 7 लाख से अधिक लोग अंधेरे में डूब गए हैं। रूसी अधिकारियों के मुताबिक यूक्रेनी ड्रोन और तोपों के जरिए किए गए हमलों में ज़ापोरिझिया और खेरसॉन क्षेत्रों के बिजली सबस्टेशनों को भारी नुकसान पहुंचा है। इस हमले के बाद कम से कम 700,000 लोग अंधेरे में जीने को मजबूर हैं जिससे अस्पताल, जलापूर्ति और मोबाइल नेटवर्क जैसी जरूरी सेवाएं भी बाधित हो गईं।
इन हमलों का सबसे गंभीर असर ज़ापोरिझिया परमाणु संयंत्र पर पड़ा है। यह यूरोप का सबसे बड़ा न्यूक्लियर पावर प्लांट है और रूसी नियंत्रण में है। रूसी परमाणु एजेंसी रोसएटम के प्रमुख अलेक्सी लिक्हाचेव ने कहा, “स्थिति नियंत्रण में है लेकिन बेहद जटिल है।” विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर संयंत्र की बाहरी बिजली सप्लाई बाधित रहती है तो कूलिंग सिस्टम फेल हो सकता है और परमाणु रिसाव जैसी गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है।
इस हमले पर यूक्रेन की ओर से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन पश्चिमी मीडिया के मुताबिक यह 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद से रूसी कब्ज़े वाले इलाकों पर सबसे बड़ा हमला हो सकता है। गौर करने वाली बात यह है कि यह हमला तुर्की में हुई रूस-यूक्रेन वार्ता के चंद घंटों बाद ही हुआ। वार्ता में रूस ने कहा कि वह तभी युद्ध समाप्त करेगा अगर यूक्रेन नए बड़े क्षेत्र सौंपे और अपनी सेना के आकार पर सीमाएं स्वीकार करे। वहीं यूक्रेन ने इस मांग को ‘औपनिवेशिक सोच से प्रेरित ज़मीनी कब्ज़ा’ बताया और दो टूक कहा कि वह कूटनीति और सैन्य बल दोनों से अपनी जमीन वापस लेगा। एक साहसिक और अप्रत्याशित हमले में यूक्रेन के सैन्य बलों ने रूसी क्षेत्र के भीतर जाकर लगातार कई हमले किए और रूस के लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियारों या सामरिक बमबारी बेड़े को निशाना बनाया। रूस के अधिकारियों ने इस हमले की पुष्टि की है लेकिन यह नहीं बताया कि कितनी क्षति पहुंची है। रूस के सामरिक बमबारी बेड़े को हुई क्षति की भरपाई संभव नहीं है क्योंकि ये 1950 के दशक के हैं और इन्हें बनाने वाली इकाइयां बहुत पहले बंद हो चुकी हैं।
यूक्रेन की सुरक्षा सेवा ने दावा किया कि उसने एक तिहाई बेड़े को निशाना बनाया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदोमिर जेलेंस्की ने कहा कि रूस को करीब 7 अरब डॉलर मूल्य का नुकसान हुआ है परंतु जिस बात ने दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है और जो आने वाले महीनों और वर्षों तक सैन्य योजनाकारों और सामरिक विशेषज्ञों की चर्चा का विषय रहने वाली है, वह है इस हमले का तरीका। यूक्रेन ने यह हमला रेडियो नियंत्रित ड्रोन के माध्यम से किया। इन्हें सामान्य निर्माण सामग्री की तरह वाणिज्यिक कंटेनर ट्रकों में लादा गया और उसके बाद रूस में हवाई ठिकानों के आसपास के इलाकों में भेजा गया। एक खास समय पर इन सभी ड्रोन को उड़ाया गया और हवाई अड्डों पर खड़े विमानों को निशाना बनाया गया।
यह पहला मौका नहीं है जब यूक्रेन ने नियमित वाणिज्यिक लॉजिस्टिक को हथियार के रूप में इस्तेमाल किया है। खबरें बताती हैं कि 2022 में क्राइमिया द्वीप को रूस से जोड़ने वाले केर्च पुल पर हुए हमले, जिसने कई सप्ताह तक रूस के सैन्य यातायात को बाधित किया था और जो प्रतीकात्मक रूप से बहुत प्रभावी था, उसे भी प्लास्टिक ढोने वाले एक ट्रक की आड़ में अंजाम दिया गया था। विस्फोटकों को प्लास्टिक के ढेर में छिपाया गया था और इसे आर्मीनिया और जॉर्जिया से होते हुए क्रीमिया की ओर भेजा गया था। ऐसे ही तरीके इस्तेमाल करके करीब 120 ड्रोनों की मदद से ताजा हमला किया गया। ये ड्रोन बहुत महंगे या किसी खास गुणवत्ता के नहीं थे।
लब्बोलुआब यह कि अपेक्षाकृत छोटा और मुश्किलों से जूझ रहा देश, जिसके पास अपनी मजबूत वायु सेना तक नहीं है, उसने आधुनिक लॉजिस्टिक्स और सस्ते ड्रोन की मदद से एक महाशक्ति के सामरिक बेड़े को क्षति पहुंचा दी जो उसके परमाणु प्रतिरोधक तंत्र का हिस्सा था। ड्रोन और वैश्वीकृत दुनिया में आपसी व्यापार संपर्क के इस मेल से सुरक्षा की दृष्टि से सर्वथा नई और अप्रत्याशित चुनौती उत्पन्न हुई है। भारत में इसे खासतौर पर महसूस किया जाएगा क्योंकि हमारे कई सामरिक क्षेत्र इस लिहाज से संवेदनशील हैं। इनमें कई तो प्रमुख औद्योगिक केंद्र भी हैं।
राष्ट्रपति जेलेंस्की के मुताबिक यूक्रेन ने इस हमले की योजना 18 महीने पहले बनाई थी। जाहिर है यूक्रेन ने रूस में भी कुछ पकड़ बना रखी है. हालांकि उन्होंने दावा किया ऐसे सभी लोगों को पहले ही वापस बुला लिया गया है परंतु इस हमले की लागत की बात करें तो समय और संसाधन के मामले में इसमें ज्यादा खर्च नहीं आया। इस मामले में तो ये तरीके ऐसी सरकार ने आजमाए जो तीन साल से जंग में है परंतु ऐसी कोई वजह नहीं है कि छद्म युद्ध में लगे दूसरे गैर सरकारी तत्व इस तरीके को नहीं आजमाएंगे। भारत के योजनाकारों को अपनी सैन्य और अधोसंरचना संबंधी संवेदनशील स्थितियों का आकलन करते हुए ड्रोन की इस जंग जैसे हालात के लिए तैयार रहना होगा। इस तरह की जंग कतई आसान हो सकती है। कई गैर सरकारी तत्व 100-150 ड्रोन जुटा सकते हैं और उन्हें दूर से संचालित कर सकते हैं। बिना संदेह वाले ट्रक और वाणिज्यिक वाहनों का इस्तेमाल करके इन ड्रोन को हमले की जगह तक पहुंचाया जा सकता है। भारत पर किसी बड़े हमले के परिणाम, उस लागत के अनुपात में बहुत अधिक होंगे जो उस शत्रु ने सोची होगी। तो नए दौर के खतरों से अहम अधोसंरचना की रक्षा पर पुनर्विचार करने के सिवा कोई विकल्प नहीं है।
शेयरों में तेजी आ गई है। इन शेयरों में तेजी की मुख्य वजह दुनिया भर में बढ़ते जियो-पॉलिटिकल तनाव हैं।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध ने हाल ही में फिर से भयानक रूप ले लिया है। 31 मई को रूस ने यूक्रेन पर युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया जिसमें 472 ड्रोन और 7 मिसाइल दागे गए। यूक्रेन ने दावा किया कि उसने 385 ड्रोन मार गिराए। इसके जवाब में, यूक्रेन ने 1 जून को इस्तांबुल में शांति वार्ता से ठीक एक दिन पहले रूस के सैन्य हवाई अड्डों पर बड़ा हमला किया। यूक्रेनी अधिकारियों के अनुसार, इस सरप्राइज ड्रोन अटैक में रूस के भीतरी इलाकों में तैनात 40 से ज्यादा लड़ाकू विमान नष्ट हो गए। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने इसे “शानदार ऑपरेशन” बताते हुए कहा कि यह इतिहास में दर्ज होगा। दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है, लेकिन हालिया हिंसक घटनाओं ने आशंका जताई है कि युद्ध और भी भीषण रूप ले सकता है। इसके अलावा, संयुक्त राष्ट्र की परमाणु निगरानी एजेंसी IAEA ने आरोप लगाया है कि ईरान ने परमाणु हथियार बनाने के लिए जरूरी समृद्ध यूरेनियम का उत्पादन बढ़ा दिया है। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान के पास अब 60% शुद्धता वाला 400 किलो से ज्यादा यूरेनियम है जो हथियार-ग्रेड सामग्री के लिए जरूरी 90% शुद्धता के करीब है।
ईरान और अमेरिका के बीच तनाव
इससे ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ गया है। अमेरिका ने कई दौर की वार्ता के बाद ईरान को परमाणु समझौते का नया प्रस्ताव भेजा है। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने सोशल मीडिया पर लिखा कि “ईरान इस प्रस्ताव का जवाब अपने राष्ट्रीय हितों और जनता के अधिकारों के अनुरूप देगा।”
संजय सिन्हा