
हिन्दुत्व का स्वभाव है ऐसा,
जब जैसी विपत्ति आती तब,
रुप धारण कर लेता है वैसा,
हिन्दुत्व की कोख से निसृत,
जैन,बौद्ध,सिक्ख पंथ जैसा!
जैन बौद्ध ने अहिंसा लाया,
निरीह जीव-जंतु को बचाया,
सिख ने असिध्वज फहराया,
चार वर्ण हजार जातियों को,
खंगधारी सिख सिंह बनाया!
निहत्थे हिन्दुजाति की भुजा,
जब से बने गोविंद के सिख,
तब से हिन्दू संस्कृति बची,
सिख हिन्दुत्व की शान बना,
सिक्ख प्रतीक है वीरता का!
प्रारंभ में गुरु नानक वेदी ने
भारतीय वेदान्त और ईरानी
तसब्वुफ मेल से कबीर सा,
धार्मिक जागृति उत्पन्न की
जो सिख-पंथ धर्म कहलाया!
पर जब गुरु अर्जुन देव पर
जहांगीर ने महा कहर ढाया
गुरु ने इस्लाम नहीं कबूला
बल्कि रावी में समाधि ली,
हर गोविंद ने बदली नीति!
अब सिक्ख धर्म गुरु संत,
सिपाही, साहित्यकार बने
मुगल के खूंखार बादशाह
औरंगजेब ने जब जजिया
लगाकर धर्मांतरण बढ़ाया!
औरंगजेब ने कश्मीरियों के
धर्मांतरण के लिए भेजा था,
फरमान गुरु तेगबहादुर को,
गुरु ने गर्दन कटा डाली थी
पर हिन्दु जाति नहीं छोड़ी!
कटे पिता की शीश देखकर
गोविंद ने हिन्दुत्व के लिए
सिख खालसा पंथ चलाया,
सर्ववंशदानी गुरु गोविंद ने
औरंगजेब को धूल चटाया!
आज भी पंजाब में प्रथा है,
हिन्दू घर के ज्येष्ठ सुपुत्र,
कड़ा,कच्छ,कंघा,केश,कृपाण
धारण कर देश धर्म जाति,
सुरक्षा हेतु सिख बनने की!
सिख धर्म का नारा वाहेगुरु
‘वासुदेव हरिगोविंद राम’ है,
गुरु ग्रंथ साहिब राममय है,
गुरु अर्जुन देव हैं संपादक,
सिखधर्म गुरुग्रंथ साहिब के!
सिख धर्मगुरु नानक,अंगद,
अमर दास,रामदास वेदी थे
अर्जुनदेव,हरगोविंद, हरराय,
हरेकृष्ण, तेगबहादुर,गोविंद
सोढ़ी कुल खत्री क्षत्रिय थे!
—विनय कुमार विनायक