वैश्विक समस्याओं का समाधान भारतीय चिंतन में !

डॉ.बालमुकुंद पांडेय 

               संघ प्रमुख डॉ. मोहन भागवत वैश्विक समस्याओं का समाधान भारतीय चिंतन, विचार और अनुशासन में देख रहे हैं । भारत वैश्विक स्तर की प्राचीन सभ्यताओं में से एक है। भारत के पास समृद्ध सांस्कृतिक एवं नैतिक आधारित विश्व विरासत हैं जिसका अनुप्रयोग शांति, स्थिरता, स्थायित्व, सतत विकास एवं आर्थिक विकास के उन्नयन के लिए कर रहा है। भारत सामयिक परिदृश्य  में वैश्विक शांति एवं स्थिरता के उन्नयन में महनीय भूमिका निभा रहा है। भारत के नेतृत्व का अपनी उभरती शासकीय क्षमता , वैदेशिक नीति की उपादेयता एवं पड़ोसी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण एवं  सहयोगात्मक संबंध के कारण वैश्विक स्तर पर कद बढ़ा है। भारत  वैश्विक नेतृत्व के साथ योजित होने  एवं संघर्षों के समाधान में  राज्यकर्ता (State actor) की भूमिका को बढ़ा रहा है। वैश्विक स्तर के तनाव – प्रवण क्षेत्र में भारत की कूटनीतिक, शांतिकारक एवं राजनीतिक ट्रैक भूमिका  सराहनीय एवं सम्मानपूर्वक रही है। 

                                        भारत विविधता एवं बहु संस्कृति वाला  देश है। यहां पर परंपरागत मूल्यों, आदर्शों एवं लोकतांत्रिक दृष्टिकोण की  प्रधानता रही है। यह बहुसांस्कृतिक, बहुभाषिक, एवं बहुधर्मी  देश रहा है । यहां पर सभी धर्मावलंबियों एवं मतावलंबियों  की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान  किया जाता है। भारत ने  अपने राष्ट्रीय व्यक्तित्व में  लोकतांत्रिक मूल्यों एवं संसदीय चरित्र में समानता, स्वतंत्रता एवं बंधुता को आवश्यक प्रतिदर्श दिया है। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात अस्तित्व में आया संयुक्त राष्ट्र (पहले संयुक्त राष्ट्र संघ) राष्ट्रों के मध्य शांति, स्थिरता एवं अगस्तक्षेप  के मूल्य एवं नीति को क्रियान्वित करने में असफल रहा है लेकिन भारत ने  सामयिक और सामूहिक चुनौतियों को विभिन्न मंचों से उठाकर विकसित देशों पर दबाव बनाकर पड़ोसियों एवं विकासशील राष्ट्र  – राज्यों को संतुलित किया है।

        भारत ने  भू – मंडलीय तापन के शमन, भू – राजनीतिक संकटों के समाधान में महत्वपूर्ण एवं राज्यकर्ता के रूप में सराहनीय एवं विश्वसनीय काम करके अपने कूटनीतिक क्षमता का वैश्विक स्तर पर परिचय दिया है। युद्ध के विनाशकारी दुष्प्रभाव पर रूस के राष्ट्रपति को कठोर संदेश देना, ईरान के विषय पर संयुक्त राज्य अमेरिका के दरोगा चरित्र की आलोचना करना एवं तिब्बत जैसे ‘ बफर राज्य’ के लिए चीन से विरोध करना ,महामारी जैसे विषय पर  पड़ोसियों के साथ वैश्विक राष्ट्रों को चिकित्सीय सहयोग, पड़ोसी देशों को प्राकृतिक आपदाओं में वित्तीय सहयोग एवं मानवीय रूप से मानवतावादी दृष्टिकोण एवं आतंकवाद को ‘ मानवीय समुदाय’ एवं’ मानवता का शत्रु’ की तरह शून्यसहिष्णुता (जीरो टॉलरेंस) का दृष्टिकोण अपनाकर वैश्विक स्तर के संगठनों एवं देशों  के साथ मिलकर लड़ना भारतीय चिंतन का सकारात्मक दृष्टिकोण है।

           भारतीय चिंतन में भू – मंडलीय तापन एक अति आवश्यक वैश्विक राष्ट्रों के समक्ष चुनौती है। विकासशील देश भूमंडलीय तापन से अत्यधिक प्रभावित हैं जिसे विकसित देशों के अदूरदर्शी औद्योगीकरण एवं आर्थिक विकास प्रतिमानों द्वारा बनाया गया प्रतिदर्श  हैं। भारत सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने एवं ग्लोबल साउथ के देशों  का प्रतिनिधित्व कर रहा है। भारतीय चिंतन का यह प्रत्यय  सभी को ” जननी” के रूप में मानने एवं सभी के प्रति सम्मान एवं सहानुभूति दिखाने के महत्व पर जोड़ देता है।

            ट्रस्टीशिप (न्यास)एक विचार हैं जिसका आशय पर्यावरण की संरक्षा करना एवं इसको आने वाली पीढ़ियों के लिए संरक्षित करना है। इस विचार को भारतीय चिंतन में एक आंदोलन का रूप दिया है । भारत टिकाऊ जीवन को एक जन आंदोलन बनाना चाहता है एवं सर्व समावेशी वैश्विक समाधानों को उन्नयन करना चाहता है । भारतीय चिंतन पर्यावरण को अधिक समावेशी एवं टिकाऊ वैश्विक व्यवस्था की तरफ है। भारत संसार की पांचवी अर्थव्यवस्था है एवं तीसरी अर्थव्यवस्था की ओर अग्रसर है। भारत की आर्थिक वृद्धि विश्वसनीय है, वैश्विक स्तर पर भारत उन नीतियों का समर्थक  है जो वैश्विक आर्थिक वृद्धि एवं विकास का समर्थन करती है। भारत अपने उदीयमान  नेतृत्व का उपयोग विकासशील देशों में निवेश को बढ़ावा देने, छोटे एवं मध्यम आकार के उद्योगों के लिए वित्त तक पहुंच बढ़ाने एवं व्यापार उदारीकरण को सरल एवं सुगम  करने के लिए कर रहा है ।यह  सरलीकरण  नीतियां संसार के कई हिस्सों में रोजगार सृजन, आय बढ़ाने एवं भौतिक सुविधा को बढ़ाने में किया जा रहा है।

          समकालीन वैश्विक व्यवस्था में भारत की आर्थिक भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। भारत वर्तमान में वैश्विक स्तर की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है , जिसकी वार्षिक वृद्धि दर 7% है। हाल के वर्षों में भारत वैश्विक आर्थिक विकास का प्रमुख चालक रहा हैं ,एवं विश्व के कुल उत्पादन में भारत का योगदान 15% है। भारत एक प्रमुख राजनीतिक एवं  सैन्य शक्ति है। भारत संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में संसार का दूसरे सबसे बड़ा योगदानकर्ता देश है और वैश्विक स्तर की सेनाओं  में प्रमुख स्थान रखता है। भारत मिसाइल ,परमाणु शक्ति संपन्न एवं संप्रभुता का सम्मान करने वाला राष्ट्र है।

               भारत शांति, समृद्धि एवं भाईचारे के उन्नयन में प्रमुख राज्यकर्ता है। यह अपनी राजनयिक नीतियों एवं कूटनीतियों का क्रियान्वयन वैश्विक आर्थिक विकास, नवाचार, नवोन्मेषों एवं सतत विकास में कर रहा है। यह अपने प्रौद्योगिकी का क्रियान्वयन वैश्विक स्वास्थ्य एवं लोक कल्याण के लिए कर रहा है। भारत में समृद्ध नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र है, जिसने अनेक स्टार्टअप एवं नवोन्मेष कंपनियों को जन्म दिया है। यह  अपनी नीतियों का अनुप्रयोग वैश्विक आर्थिक विकास एवं विकास को बढ़ावा देने एवं दुनिया भर के लोगों के जीवन को बेहतर एवं गुणात्मक बनाने में सहयोग कर रहा है।

               भारत एक शक्तिशाली देश के रूप में उभर रहा हैं एवं इसके साथ-साथ इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक शांति के उन्नयन के लिए सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक दृष्टिकोण है। भारत अपने जीवंत लोकतंत्र, तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था एवं बहुसांस्कृतिक संस्कृति  के साथ वैश्विक मंचों पर एक राज्यकर्ता के रूप में ताकतवर स्थिति में  है। यह  अपनी उच्च सांस्कृतिक परंपराओं ,आध्यात्मिक परंपराओं एवं  सनातनी संस्कृति को बढ़ाकर शांति, अहिंसा एवं बंधुत्व के सार्वभौमिक मूल्यों का प्रसार कर रहा है।

वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए निम्न सुझाव हैं:-

1. वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए शांति, अहिंसा, लोकतांत्रिक मूल्यों एवं आदर्शों  से जुड़े भारतीय चिंतन/ विचार एवं दृष्टिकोण को क्रियान्वित करके;

2.  सर्वोदय या सभी के कल्याण का विचार, सर्वोदय विश्व समाज के सभी सदस्यों विशेष कर वंचितों एवं हाशिए  पर रह रहे विकासशील राष्ट्र – राज्यों के विकास की अवधारणा है;

3. वैश्विक शांति, अहिंसा एवं  समृद्धि का प्रत्यय भारत के चिंतन एवं दृष्टिकोण में गहराई से जुड़े हैं; 

4.  वैश्विक समस्याओं के प्रति मानवतावादी दृष्टिकोण का क्रियान्वयन करके समाधान किया जा सकता है;एवं

5. दीन दयाल उपाध्याय जी ‘ के एकात्म मानववाद’ की अवधारणा को अपनाकर वैश्विक समस्याओं का समाधान संभव है।

डॉ.बालमुकुंद पांडेय 

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