राहुल के आरोपों पर सर्वोच्च सवाल?

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विजय सहगल 

संसद मे विपक्ष के नेता राहुल गांधी एक बार फिर विवादों के घेरे मे हैं। 4 अगस्त 2025 को देश की सर्वोच्च नयायालय की पीठ ने राहुल गांधी को भारतीय सेना पर अपमान जनक टिप्पणी  और चीन द्वारा भारत की  भूमि पर कब्जे के उनके गैरजिम्मेदाराना बयान के लिये जहां एक तरफ लताड़ लगाई, वही दूसरी ओर सीमा सड़क संगठन के पूर्व निदेशक  उमाशंकर श्रीवास्तव द्वारा उनके विरुद्ध मानहानि के एक लंबित आपराधिक वाद मे लखनऊ  और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा कर राहत भी दे दी है। विदित हो कि अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान  राहुल गांधी ने 25 अगस्त  2022 को कारगिल की एक सभा को संबोधित  करते हुए उन्होने, गलवान घाटी संघर्ष पर टिप्पणी  करते हुए आरोप लगाया था कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किमी॰ भूमि पर कब्जा कर लिया। इस संघर्ष मे भारत के 20 सैनिक शहीद हुए थे। उन्होने यह भी आरोप लगाया था कि चीनी सैनिक अरुणाचल मे हमारे सैनिकों की पिटाई कर रहे है!! राहुल गांधी का ये  बयान  न केवल काफी मर्मांतक, वेदना और आहत करने वाला था अपितु उन सैनिकों का अपमान था जिन्होने वीरता पूर्वक देश के लिये लड़ते हुए अपना आत्मबलिदान कर प्राणों की आहुति दे दी। उस वीडियो को देश के करोड़ों करोड़ देशवासियों ने स्वयं देखा।

देश के सर्वोच्च न्यायालय ने राहुल गांधी के कानूनी सलाहकार अभिषेक मनु सिंघवी से तीखे सवाल करते हुए बड़ी आधारभूत टिप्पणी  की, कि राहुल गांधी को कैसे पता कि चीन ने भारत की 2000 वर्ग किमी॰ जमीन पर कब्जा कर लिया? चीन द्वारा जमीन कब्जाने का आधार क्या है? चीनी सेना द्वारा भारतीय सैनिकों की पिटाई जैसे आरोपों पर माननीय न्यायालय ने राहुल गांधी के भारतीय होने पर तीखी और सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि जब सीमा पर पड़ौसी  देश के साथ युद्ध की स्थिति और तनाव हो तो  कोई सच्चा भारतीय कैसे सेना का अपमान कर ऐसे वक्तव्य दे सकता है? माननीय न्यायाधीशों ने अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर कुछ भी कहने और बोलने पर आपत्ति की। संसद मे विपक्षी दल के मुखिया जैसे संवैधानिक पद रहते हुए, सरकार से सवाल पूंछने  के अपने अधिकार का प्रयोग न कर सोश्ल मीडिया पर सवाल पूंछ सनसनी फैलाना अनुचित और असंगत है। उच्चतम न्यायालय द्वारा उक्त आशय के सवाल पर न केवल राहुल गांधी अपितु सभी राजनैतिक पदों पर बैठे महत्वपूर्ण व्यक्तियों के लिये भी एक संदेश हैं कि “बोलने की आज़ादी के नाम पर बगैर किसी प्रमाण और आधार के आरोप-प्रत्यारोप अनुचित, असंगत और अन्यायपूर्ण है।

चीन द्वारा भारत की भूमि पर कब्जा करने के आरोपों पर राहुल गांधी की गंभीरता को इस बात से समझा जा सकता है कि अक्टूबर 2020 राहुल गांधी ने चीन द्वारा भारत की 1200 वर्ग किमी॰ जमीन कब्जाने का आरोप लगाया, वहीं दिसंबर 2022 मे 2000 वर्ग किमी॰  और अप्रैल 2025 मे 4000 वर्ग किमी भारतीय जमीन को चीन द्वारा कब्जाने का आरोप लगाया। कहने का तात्पर्य यह है कि राहुल गांधी किसी भी आरोप पर संजीदा नहीं रहते। वे बड़े चलताऊ ढंग से स्वयं ही  मामले को उठा कर उसकी विश्वसनीयता पर स्वयं ही प्रश्न चिन्ह खड़ा कर देते हैं जो उचित प्रतीत नहीं होता।     

लेकिन दक्ष और सक्रिय राजनैतिक पंडितों को माननीय उच्चतम न्यायालय की राहुल गांधी के  विरुद्ध तीखी फटकार और टिप्पणियों पर कोई आश्चर्य नहीं हुआ होगा क्योंकि ये कोई पहला मौका नहीं था जब माननीय न्यायालय द्वारा उनके वक्तव्यों  और कथनों पर उनके विरुद्ध सख्त और अप्रिय टिप्पणी या कठोर निर्णय न लिये गए  हों। राहुल गांधी द्वारा पहले भी बिना किसी आधार और सबूतों  के व्यक्तियों, समुदायों और अपने विरोधियों पर  असहज, अशोभनीय और अपमानजनक टिप्पणियाँ की जाती रही हैं । राहुल गांधी के इन कृत्यों पर विभिन्न न्यायालयों ने  समय समय पर डांट और फटकार कर माफी मांगने, चेतावनी देने और सजा देने के निर्णय दिये हैं। माननीय पाठकों को स्मरण होगा कि मई 2019 मे “चौकीदार चोर है” पर अदालत को गलत ढंग से उद्धृत करने के लिये सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी थी।

13 अप्रैल 2019 को कर्नाटक के कोलार मे एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि “सभी चोरों के सरनेम मोदी क्यों?” इस  आरोप के विरुद्ध मानहानि के  केस मे सूरत के एक न्यायालय ने 23 मार्च 2023 को राहुल गांधी  को दोषी ठहराते हुए  दो साल की सजा सुनाई  जिसके कारण उनकी संसद सदस्यता समाप्त हो गयी थी पर उच्चतम न्यायालय द्वारा रोक के बाद अभी मामला कोर्ट मे लंबित है।

14 दिसम्बर 2018 मे  राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद पर राहुल गांधी द्वारा बेबुनियाद, निरधार और तथ्यहीन आरोपों पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय मे किसी भी तरह की अनियमिताओं और भ्रष्टाचार से इंकार किया। 14 नवंबर 2019 को अपने निर्णय पर पुनर्विचार की याचिका को खारिज करते हुए अपने निर्णय को कायम रक्खा। इस तरह राहुल गांधी के झूठे आरोपों की हवा निकाल दी। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय पर सरकार ने  इसी बात का संज्ञान लेते हुए राहुल गांधी को संसद के भीतर और बाहर जनता से माफी मांगने की मांग की थी। आरएसएस पर आरोप, स्वतन्त्रता सेनानी वीर सावरकर पर अशिष्ट टिप्पणी, अमित शाह को मर्डर अभियुक्त कहने जैसे  अनेक मामले हैं, जब राहुल गांधी ने आरोप लगा कर सनसनी फैला कर वाहवाही लूटी पर कभी कोई प्रमाण आदि नहीं दिये। राहुल का ये स्वभाव है,  लोकतन्त्र मे बोलने की आज़ादी के नाम पर आरोप लगाओ और भाग जाओ।                  

राहुल गांधी जैसे जिम्मेदार नेता चीनी सेना के सैनिकों द्वारा भारतीय “सैनिकों की पिटाई” जैसे गली छाप, ओछे  शब्दो का उपयोग कैसे कर सकते है? बड़ा खेद और अफसोस है नेहरू-गांधी जैसे देश के सबसे बड़े प्रभावशाली राजनैतिक परिवार के सदस्य होने के नाते राहुल गांधी, क्या  अपने आप को देश के कानून और संविधान से उपर समझते हैं? लेकिन लोकतन्त्र का तक़ाज़ा हैं कि राहुल गांधी को संवैधानिक संस्थाओं, लोगों, समूहों के स्वाभिमान और  सम्मान को ठेस पहुंचाये बिना, उनके विरुद्ध अनर्गल, आधारहीन और ओछे आरोप लगाने से बचना चाहिये। माननीय सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी राहुल गांधी सहित उन सभी नेताओं को चेतावनी है कि बिना किसी आधार और प्रमाण के गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी से बचें।

विजय सहगल 

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