व्यंग्य अभिव्यक्ति और प्रतिबन्ध [व्यंग्य] August 1, 2013 by राजीव रंजन प्रसाद | 1 Comment on अभिव्यक्ति और प्रतिबन्ध [व्यंग्य] राजीव रंजन प्रसाद “सर जी सहारा प्रणाम” “काहे का सहारा वो तो डूब गया भाई, और कौन सा प्रणाम? आज कल हम लाल सलाम करते हैं” “कल तक तो वहीं की गा रहे थे” “भाई वो खिला रहे थे, हम खा रहे थे” “कल यह लाल कहीं हरा, नीला या पीला हो गया तो?” “देख […] Read more » अरुंधती नक्सलवाद राजेंद्र यादव वामपंथ