कविता ये नौकर September 6, 2017 / September 6, 2017 by बीनू भटनागर | Leave a Comment घर का कोई पुराना नौकर, ईमानदार वफ़ादार सा नौकर, हर व्यक्ति की सेवा करता मुश्किल से मिलता था ये नौकर लैण्ड लाइन सा ना कोई नौकर अब बूढा होकर ये नौकर पड़ा है इक कौने में नौकर कितना सुन्दर था ये नौकर मालिक का सर गर्व से उठता जिसके घर होता ये नौकर। मेज़पर […] Read more » ये नौकर