कविता
नारी तुम नारायणी हो नर का सृजनहार
/ by विनय कुमार'विनायक'
—–विनय कुमार विनायकनारी के ह्रदय में अमृत, मन में प्यार,नारी तुम्हारे सामने,बौना है ये संसार! तुम असीम,अतुलनीय ईश्वरीय शक्ति,तुलना तुम्हारी नर से करना है बेकार! तुम्हीं सरस्वती-भगवती-भवानी-मानवी,तुम अक्षर-जर-शक्ति-संस्कृति आधार! तुम्हारे सिवा ईश्वर को देखा है किसने,ईश्वर-अल्ला-भगवान होते हैं निराकार! राम-कृष्ण-बुद्ध-जिन-ईसा-गुरु-पैगम्बर,पाए हैं सबने तुम्हारी कोख में आकार! हिमगिरि सा उतुंग, तुम सागर सी गहरीतुम दया-माया-ममता-करुणा की […]
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