लेख शख्सियत आज भी तुलसी दास एक पहेली हैं July 28, 2020 / July 28, 2020 by प्रेमकुमार मणि | Leave a Comment प्रेमकुमार मणि कवि तुलसीदास का जन्म,जीवन,जन्मस्थान,वय और यहां तक कि उनकी जाति आज भी एक पहेली है. पहेली बने रहने के कुछ लाभ हैं. और ये लाभ उस निहित स्वार्थ वाले तबके को ही मिल सकते हैं, जो तुलसी और उनके साहित्य के मनमाने अर्थ सम्प्रेषित करता आ रहा है. तुलसी -विषयक वैज्ञानिक अध्ययन की […] Read more » Tulsidas तुलसी दास
आलोचना मीडिया संचार क्रांति और तुलसीदास April 14, 2011 / December 14, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | Leave a Comment जगदीश्वर चतुर्वेदी आज यह बात बार-बार उठायी जा रही है कि आम लोगों में पढ़ने की आदत घट रही है। सवाल उठता है क्या तुलसीदास आज कम पढ़े जा रहे हैं ? क्या ‘रामचरितमानस’ कम बिक रहा है ? तुलसीदास आज भी सबसे ज्यादा पढ़े,सुने और देखे जा रहे हैं। सवाल उठता है पढ़ने की […] Read more » Tulsidas तुलसीदास
आलोचना पितृसत्ता से भागते तुलसीदास के आलोचक May 4, 2010 / December 23, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on पितृसत्ता से भागते तुलसीदास के आलोचक -जगदीश्वर चतुर्वेदी हिन्दी की अधिकांश आलोचना मर्दवादी है।इसमें पितृसत्ता के प्रति आलोचनात्मक विवेक का अभाव है।आधुनिक आलोचना में धर्मनिरपेक्ष आलोचना का परिप्रेक्ष्य पितृसत्ता से टकराए, उसकी मीमांसा किए बगैर संभव नहीं है। मसलन्, अभी तक तुलसी पर समीक्षा ने लोकवादी जनप्रिय नजरिए से विचार किया है और पितृसत्ता को स्पर्श तक नहीं किया है। आधुनिक […] Read more » Tulsidas तुलसीदास पितृसत्ता
आलोचना देरिदा का वायनरी अपोजीशन और तुलसीदास May 3, 2010 / December 24, 2011 by जगदीश्वर चतुर्वेदी | 1 Comment on देरिदा का वायनरी अपोजीशन और तुलसीदास जगदीश्वर चतुर्वेदी• तुलसीदास ने अभिव्यक्ति की शैली के तौर पर रामचरित मानस में वायनरी अपोजीशन की पद्धति का कई प्रसंगों में इस्तेमाल किया है। इस क्रम में रावण और राम दोनों के गुण और अवगुणों की प्रस्तुति को रखा जा सकता है। रावण का राम के प्रत्येक कार्य और अवस्था में विपक्ष में रहना, मन्दोदरी […] Read more » Tulsidas तुलसीदास देरिदा