कविता निजत्व की ओर November 2, 2023 / November 2, 2023 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment मेरा नगर शाश्वत काल से अत्यन्त रमणीक और सुन्दर रहा है और उसका महाशून्य कार आकाश शाश्वत निर्मल असीम नीलिमा लिये रहा है। न जाने कहां से मॅडराते घने काले बादलों ने मेरे नगर के सौन्दर्य को निगल लिया है। मैं दूसरे नगर में गया हूँ तब मेरे नगर में ये बादल शुभ्र रहे थे […] Read more » निजत्व की ओर