चिनगारी का खेल बुरा होता है !

हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले में विदेशी नागरिकों समेत 26 की मौत हो गई, और मरने वालों में अधिकांश पुरुष हैं। वास्तव में यह बहुत ही दुखद व अति निंदनीय घटना है।यह हमला ऐसे समय हुआ है, जब करीब सवा दो महीने बाद अमरनाथ यात्रा होनी है।कहना ग़लत नहीं होगा कि इससे आतंक का घिनौना चेहरा दुनिया के सामने आया है। यह 2019 के पुलवामा हमले के बाद घाटी में सबसे घातक व बड़ा हमला है।हमले के बाद क्षेत्र में ऑपरेशन तेजी से चलाया जा रहा है और पर्यटकों को कश्मीर से जल्द से जल्द निकालने की कोशिश की जा रही है। सहायता के लिए इमरजेंसी नंबर भी जारी किए गए हैं।कितनी बड़ी बात है कि आतंकियों ने टूरिस्ट्स को निशाना बनाया और गोलीबारी की। आतंकी घटना के बाद गृहमंत्री अमित शाह श्रीनगर पहुंचे, और सऊदी दौरा बीच में ही छोड़कर स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी दिल्ली पहुंच चुके हैं और दिल्ली पहुंचते ही उन्होंने एयरपोर्ट पर ही पहलगाम टेरर अटैक पर बैठक की है। बताया जा रहा है कि कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्‍योरिटी की बैठक भी बुलाई गई है। इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने आईबी चीफ, जम्‍मू-कश्‍मीर के डीजी और सेना व सीआरपीएफ के आला अधिकारियों के साथ एक हाई-लेवल मीटिंग भी की और पीएम मोदी इस मीटिंग में वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग से उपलब्‍ध रहे। जम्‍मू-कश्‍मीर के सीएम उमर अब्‍दुल्‍ला भी इस घटना को लेकर काफी गंभीर हैं।बताया जा रहा है कि कुल चार आतंकियों ने इस आतंकी वारदात को अंजाम दिया, जिसमें से तीन पाकिस्‍तानी और एक लोकल कश्‍मीरी हैं। मीडिया में आई रिपोर्ट्स के मुताबिक जब दोपहर को यह वारदात हुई तब सैलानी वहां घुड़सवारी कर रहे थे।तभी आतंकी वहां पहुंचे और उन्‍होंने पंजाबी में टूरिस्‍ट से उनका मजहब पूछा और पहचान स्‍थापित होने के बाद लोगों को मौत के घाट उतारा गया। दरअसल,आतंकी हमले के बाद सामने आए वीडियो में इस बात की पुष्टि हुई है कि हथियारबंद हमलावरों ने नाम पूछकर गोली मारी।जानकारी के अनुसार इस दौरान आतंकियों द्वारा करीब 50 राउड फायरिंग की गई। गौरतलब है कि आतंकी सेना और पुलिस जैसी वर्दी में थे और सभी के पास एके-47 और दूसरे हथियार थे।बहरहाल, यहां यह कहना ग़लत नहीं होगा कि इसे कश्मीर घाटी में ‘जिहादी आतंक’ का अत्यंत घिनौना बर्बर चेहरा ही कहा जा सकता है। वास्तव में,आतंकियों ने पहलगाम में निर्दोष-निहत्थे पर्यटकों की जिस तरह पहचान पता करके(नाम व मजहब पूछकर ) गोलियां बरसाईं, उससे तो यही पता चलता है कि वे केवल कश्मीर घाटी में खौफ ही नहीं पैदा करना चाहते थे, बल्कि बड़ी संख्या में लोगों का खून बहाकर दुनिया का ध्यान भी खींचना चाहते थे। आतंकी धर्म पूछकर गोली मार रहे हैं और यह बात कही जाती है कि आतंकवाद और आतंकियों का कोई धर्म नहीं होता ? आतंकियों ने ऐसे समय में पर्यटकों को निशाना बनाया, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत में हैं और भारतीय प्रधानमंत्री सऊदी अरब में। वास्तव में यह हमला मानव हीनता की पराकाष्ठा ही कहा जा सकता है, क्यों कि आतंकियों ने उन पर्यटकों को निशाना बनाया, जो कश्मीरियों को पर्यटन के रूप में किसी न किसी रूप में सहारा देने कश्मीर गये थे। निश्चित ही इस आतंकी हमले का असर वहां के पर्यटन व दैनिक जीवन पर पड़ेगा, क्यों कि हमले के बाद घाटी में डर व खौफ का माहौल पैदा हो गया है। कहना ग़लत नहीं होगा कि हमले के बाद पूरे देश में आक्रोश की बड़ी लहर है। वास्तव में, अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पहली बार कश्मीर में इतना बड़ा आतंकी हमला हुआ है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आतंकवाद और आतंकियों को करारा जवाब दिया जाना आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य हो गया है। जिन आतंकियों ने हमले को अंजाम दिया है, उनमें से तीन पाकिस्तानी बताये जा रहे हैं, ऐसे में आज जरूरत इस बात की है कि भारत पाकिस्तान को इस हमले का मुंहतोड़ व करारा जवाब दे। आज पाकिस्तान आर्थिक रूप से बदहाली झेल रहा है और उस पर बहुत पहले से आतंकवाद और आतंकियों का ठप्पा लग चुका है। पाकिस्तान की यह आदत रही है कि वह भारत के खिलाफ छद्म युद्ध का खेल खेलता रहता है। एक तरफ़ तो वह भारत से शांति, सौहार्द और भाईचारे की बात करता नज़र आता है तो दूसरी तरफ आतंकवाद का घिनौना खेल खेलता रहता है। यहां पाठकों को बताता चलूं कि कुछ समय पहले ही पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में ओवरसीज पाकिस्तानियों के पहले सालाना सम्मेलन में पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर ने भारत, हिंदू धर्म, दो-राष्ट्र सिद्धांत, कश्मीर और गाजा जैसे मामलों पर बयान दिए थे और मुनीर के ये बयान न केवल विवादित थे, बल्कि विभाजनकारी और नफरत फैलाने वाले भी थे। गौरतलब है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने कुछ समय पहले ही कश्मीर मुद्दे को हवा देते हुए इसे अपने देश की ‘गले की नस’ बताया था और यह बात कही थी कि इस्लामाबाद ‘इसे नहीं भूलेगा।’ उल्लेखनीय है कि पिछले साल यानी कि फरवरी 2024 में भी जनरल मुनीर ने सेना की एक बैठक को संबोधित करते हुए यह कहा था कि ‘भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय कानूनों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है और उसका असली चेहरा दुनिया के सामने आना चाहिए।’पाठकों को यहां यह भी जानकारी देना चाहूंगा कि मई 2024 में भी भारत को अपना ‘कट्टर-प्रतिद्वंद्वी’ बताते हुए, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल सैयद असीम मुनीर ने कश्मीर को इस्लामाबाद के ‘नैतिक, राजनीतिक और कूटनीतिक समर्थन’ जारी रखने का वादा किया था। कहना ग़लत नहीं होगा कि कट्टरपंथियों को जनरल मुनीर की बातों से कहीं न कहीं ताकत मिली होगी।सच तो यह है कि जनरल मुनीर के बयानों से आतंकियों का दुस्साहस निश्चित रूप से बढ़ा है, और इसका जीता-जागता प्रमाण कश्मीर में हुआ आतंकी हमला है। यहां यह भी कहना चाहूंगा कि बांग्लादेश में तख्तापलट और वहां भारत विरोधी भावनाओं के उभार के बाद पाकिस्तान के मंसूबे और अधिक बढ़ गये हैं कि वह भारत में आतंकवाद फैलाए और आतंकियों और आतंकवाद के ज़रिए अपना उल्लू सीधा करे। पाकिस्तान को यह उम्मीद है कि अब उसे बांग्लादेश का साथ भी मिल जाएगा। गौरतलब है कि अमेरिका, पाकिस्तान से नाराज़ है और इसका पता हमें इस बात से चलता है कि कुछ समय पहले ही अमेरिका ने आतंकी खतरों के कारण अपने नागरिकों को पाकिस्तान की यात्रा न करने के लिए एक एडवायजरी जारी की थी। दरअसल, यह चेतावनी/एडवायजरी अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी की गई थी, जिसमें बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा जैसे क्षेत्रों में सुरक्षा चिंताओं को उजागर किया गया था, जहां चरमपंथी समूह सक्रिय हैं और लगातार हमलों को अंज़ाम दे रहे हैं।अब चीन के साथ संबंध मजबूत करके पाकिस्तान अमरीका की कमी को पूरी करने में लगा हुआ है। दरअसल, पाकिस्तान के मंसूबे ठीक नहीं है और वह कश्मीर घाटी में आतंकवाद फैलाकर कश्मीर हथियाने का सपना देखता रहा है, लेकिन पाकिस्तान का यह सपना कभी भी पूरा नहीं होने वाला है।पाकिस्तान वर्ष 1971 का बदला भी भारत से लेना चाहता है और वह भारत में रह-रहकर अशांति फैलाने की नए सिरे से कोशिश करता रहता है। अब पहलगाम हमले के बाद यह पूरी तरह से साफ हो गया है कि पाकिस्तान, भारत में आतंकी हमलों के साथ धार्मिक अलगाव की भावना भी पैदा करना चाहता है। भारत को यह चाहिए कि वह पाकिस्तान की नापाक व कुटिल हरकतों को समझे और अमन-चैन को प्राथमिकता दें। देश के आम नागरिकों को भी ऐसे समय में शांति,संयम से काम लेना होगा और इस बात के प्रयास करने होंगे कि समाज और देश का माहौल न बिगड़ने पाए। निश्चित रूप से सरकार आतंकवाद और आतंकियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेगी, इसमें कोई दोराय नहीं है क्यों कि आतंकवाद और आतंकियों के खिलाफ हमारे देश की नीति ‘जीरो टोलरेंस'(शून्य सहनशीलता) की रही है। आज हमारे देश की विभिन्न सुरक्षा एजेंसियां चौकस व सजग हैं और आतंकियों/आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हाल फिलहाल, हमारे देश के गृहमंत्री अमित शाह पूरी स्थिति पर निगाह रखे हुए है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी फुल एक्शन पर हैं।प्रधानमंत्री मोदी ने यह संकल्प जताया है कि हमले के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। वास्तव में, इस संवेदनशील मौके पर सभी राजनीतिक दलों को एकजुटता दिखाने की जरूरत है। हमें यह चाहिए कि हम पाकिस्तान के मंसूबों को विफल करने और उसे कड़ा जवाब देने की रणनीति की दिशा में एकजुटता से काम करें। वास्तव में हमें आतंकवाद और आतंकियों से लड़ने का संकल्प लेने के साथ ही उसे पूरा करने की ठोस रणनीतियां बनानी होंगी और इस पर पूरी तन्मयता और ईमानदारी से काम करना होगा। आज पाकिस्तान सुलगते बलूचिस्तान से पूरी दुनिया का ध्यान हटाना चाहता है और उसे यह बिलकुल भी रास नहीं आ रहा है कि कश्मीर में 370 हटाये जाने के बाद स्थितियां तेजी से सामान्य होती चलीं जा रही हैं। कहना ग़लत नहीं कि पाकिस्तान भरोसे के लायक देश नहीं है और उसका मकसद भारत में आतंकवाद फैलाना है। अंत में अटल बिहारी वाजपेई जी के शब्दों में यही कहना चाहूंगा कि -‘एक नहीं दो नहीं करो बीसों समझौते, पर स्वतन्त्र भारत का मस्तक नहीं झुकेगा।अगणित बलिदानों से अर्जित यह स्वतन्त्रता, अंश्रु स्वेद शोणित से सिंचित यह स्वतन्त्रता।त्याग तेज तपबल से रक्षित यह स्वतन्त्रता, दुःखी मनुजता के हित अर्पित यह स्वतन्त्रता। इसे मिटाने की साजिश करने वालों से कह दो, चिनगारी का खेल बुरा होता है औरों के घर आग लगाने का जो सपना, वो अपने ही घर में सदा खरा होता है।’

सुनील कुमार महला

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here