डॉ. रमेश ठाकुर
बरेली में गिरे ‘झुमके’ वाला विश्व प्रसिद्ध किस्सा काल्पनिक है या वास्तविक? दरअसल, ये ऐसी अनसुलझी कड़ी है जो दशकों बीतने के बाद भी नहीं सुलझ सकी। असल सच्चाई पर पर्दा आज भी पड़ा हुआ है। बरेली में जन्में ख्याति प्राप्त शायर वसीम बरेलवी साहब से लेकर तमाम बुजुर्ग-युवा इतिहासकार भी झुमके की पहेली को नहीं सुलझा पाए। हालांकि, झुमके का संबंध वैसे तथ्यात्मक रूप से दो किस्सों से ज्यादा जोड़ा जाता है जिसमें पाकिस्तान के लोग आज भी मानते हैं कि उनके यहां की एक लड़की जब लाहौर से बरेली पहुंची तो उनका झुमका बरेली के बाजार में गिर गया। वह लड़की कोई और नहीं बल्कि सदी के महानायक अभिनेता अमिताभ बच्चन की माता तेजी सूरी थीं।
आजादी के कुछ साल पहले यानी 1941 के आखिरी दिन था महाकवि हरिवंश राय बच्चन अपने बरेली के दोस्त ज्योति प्रकाश जौहरी के घर मिलने पहुंचे तो वहां पहले से मौजूद तेजी सूरी से मुलाकात हुई जो लाहौर से पहुंची थी। यह तेजी और हरिवंश जी की पहली मुलाकात थी जो कुछ घंटों में प्यार में तब्दील हो गई जबकि तब तेजी की सगाई इंग्लैंड के किसी व्यापारी संग हो रखी थी। उस सगाई को उन्होंने तोड़ा और हरिवंश जी के साथ जीवन जीने का निर्णय लिया।
हरिवंश जी से मुलाकात के दूसरे दिन तेजी सूरी बरेली के बाजार में घूमने गईं जहां उनका लाहौर में बना डेढ़ तोले का सोने एक झुमका गिर गया। ये बात लौटकर तेजी ने सभी को बताई। मुलाकात के बाद तेजी लाहौर और हरिवंश इलाहाबाद चले गए । कुछ महीनों बाद लेखक राजा मेहदी साहब की मुलाकात तेजी सूरी से लाहौर में एक कार्यक्रम के दौरान हुई. तेजी सूरी थियेटर आर्टिस्ट थी, स्टेज शोज करती थीं। तब उन्होंने तेजी से मजाकिया लहजे में पूछ डाला कि आप दोनों शादी कब कर रहे हैं? इस बात का जवाब तेजी ने बड़े ही खूबसूरत और निराले अंदाज से दिया। बोली- ’मेरा झुमका तो बरेली के बाजार में ही गिर गया था, पहले वो तो मिल जाए? लेखक ने उनके शब्दों को गाने का रूप दे डाला।
सन-1966 आई फिल्म ‘मेरा साया’ की अभिनेत्री साधना पर वह गाना फिल्माया गया। गाने बोल थे ”झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में” जो आज भी दुनिया भर के लोगों की जुबान पर है। उसके बाद झुमके का जिक्र अदा-कदा हिंदी फिल्मों में खूब हुआ और होता भी है। अभी हाल ही में रणवीर सिंह और आलिया भट्ट अभिनीत फिल्म ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी में भी ‘झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में’ को रिमिक्स करके प्रस्तुत किया गया।
साल 2019 में बरेली प्रशासन ने एक चौराहे पर विशाल ‘झुमका चौहराया’ स्थापित करवाया जो शहर में आने वाले पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। वहां लोग रखकर सेल्फी और फोटो लेते हैं। 2 क्विंटल वजन के झुमके की ऊंचाई 14 फीट है जिसके निर्माण में पीतल और तांबे का इस्तेमाल किया गया है। बरेली का पुराना नाम वैसे कैथेर हुआ करता था। वो नाम मुगल शासक द्वारा दिया गया था। बाद में, 1537 में, दो राजकुमारों बंसलदेव और बरलदेव ने जिनके नाम पर शहर का नाम “बांस-बरेली“ पड़ा, ने यहां एक दुर्ग का निर्माण भी करवाया था। झुमके के अलावा बरेली का सुरमा, बांस और लस्सी भी फेमस रही है। 16वीं शताब्दी में बरेली रोहिलों के नियंत्रण में थीं जो बाद में रोहिलखंड के नाम से जानी गई।
झुमके से जुड़ी दूसरी कहानी भी काफी दिलचस्प और मजेदार है। आजादी महोत्सव के 75वें साल के मौके पर बरेली में आयोजित एक रंगारंग कार्यक्रम में ‘लाइट एंड साउंड शो’ में झुमके का वाक्या गुलाम भारत के दौरान एक कड़क सिपाही से जोड़कर प्रस्तुत किया गया। प्रस्तुति के जरिए बताया गया कि अंग्रेजी हुकूमत में एक सिपाही जिसका नाम ‘झुमका सिंह’ था जो चलते-चलते बरेली के एक बाजार में गिर पड़ा था। उसके गिरने की रिपोर्ट उनके साथियों ने वरिष्ठ अधिकारियों से यह कहकर की थी कि ‘सर झुमका बरेली के बाजार में गिर गया हालांकि उसकी गिरने के कुछ घंटों बाद मौत भी हो गई थी। सिपाही की मौत को जेल में बंद क्रांतिकारियों ने जश्न के रूप में इसलिए मनाई क्योंकि वह जेलियों पर बहुत अत्याचार करता था, यातनाएं देता था।
सिपाही की कहानी पर इतिहासकार ज्यादा इत्तेफाक नहीं रखते पर, अमिताभ बच्चन की माता से जुड़े किस्से को थोड़ा बहुत विश्वास करते हैं। कुल मिलाकर झुमके की कहानी साहित्यकार हरिवंश राय बच्चन से निगाहें मिलाने के बाद अपने प्यार का ’झुमका’ गिरा बैठीं तेजी सूरी की कहानी ही दिखाई पड़ती है। ’झुमका गिरा रे’ तेजी सूरी की हरिवंश जी के प्रति प्यार जताने के तरीके से प्रेरित है। कम ही लोग जानते हैं कि हरिवंश राय बच्चन की शादी तेजी सूरी से पहले श्यामा बच्चन से हुई थी जिनका 1936 में अचानक निधन हो गया था। उसके बाद 1941 में हरिवंश राय बच्चन की मुलाकात तेजी सूरी से बरेली में हुई और अगले वर्ष दोनों की शादी हो गई।
डॉ. रमेश ठाकुर