सुनील कुमार महला
आज मनुष्य की जीवनशैली में आमूलचूल परिवर्तन आए हैं। विज्ञान और तकनीक के साथ निश्चित रूप से आज स्वास्थ्य सेवाओं में प्रगति हुई है, जन्म-दर बढ़ी है और मृत्यु दर घटी है। मनुष्य की औसत आयु में भी निश्चित रूप से बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन बावजूद इन सबके भारत में बहुत से लोग आज गंभीर बीमारियों के शिकार हो रहे हैं और स्ट्रोक इनमें सबसे प्रमुख समस्या है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज बढ़ते शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या, ग्लोबल वार्मिंग और तकनीकी प्रगति ने लोगों की दिनचर्या को इतना अधिक बदल दिया है कि आज मनुष्य की शारीरिक गतिविधियां बहुत कम हो गई हैं।आधुनिक युग में मनुष्य मशीन पर ज्यादा निर्भर हो गया है और इससे हमारी जीवनशैली पूरी तरह से असंतुलित हो गई है। हम न समय पर सोते हैं और न ही समय पर उठते हैं। खान-पान का समय भी अस्त-व्यस्त हो चुका है। फास्ट फूड, जंक फूड की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है। डिब्बा बंद खान-पान से हमारे स्वास्थ्य पर बहुत ही ज्यादा कुप्रभाव आज पड़े हैं और आज औसत आयु में वृद्धि के बावजूद कम उम्र में ही मौतें हो रहीं हैं। सच तो यह है कि आज अस्वास्थ्यकर खानपान ने स्ट्रोक के जोखिम को और अधिक बढ़ा दिया है। आज स्ट्रोक की समस्या जन्म ले रही है तो इसका प्रमुख कारण है मोटापा, धूम्रपान और शराब का अत्यधिक सेवन। असंतुलित जीवनशैली तो स्ट्रोक की प्रमुख वजह है ही । आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव और अवसाद मानव जीवन का एक अनिवार्य पहलू हो गया है। लगातार व्यस्त जीवन, अव्यवस्थित खान-पान, चिंता और नींद की कमी से मनुष्य का जीवन अस्वास्थ्यकर या बीमारियों से भरा जीवन हो गया है।
कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत में स्ट्रोक का बोझ बढ़ रहा है। सच तो यह है कि स्ट्रोक अब मृत्यु का चौथा प्रमुख कारण और विकलांगता का पाँचवाँ प्रमुख कारण है। आंकड़ों की बात करें तो एक शोध से पता चलता है कि भारत में स्ट्रोक की घटना प्रति वर्ष 105 से 152/100,000 लोगों के बीच होती है । विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 1990 से 2019 के बीच स्ट्रोक की घटनाओं में 70 फीसदी और इससे होने वाली मौतों में 43 फीसदी की वृद्धि हुई है जो वाकई बहुत ही चिंताजनक हैं। इससे बचने के लिए यह बेहद जरुरी है कि लोग स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं और नियमित स्वास्थ्य जांचें भी कराएं।
योग, ध्यान, प्राणायाम, व्यायाम, वाकिंग आज के समय में बहुत ही जरूरी है। भारत में चार में से एक व्यक्ति को अपने जीवनकाल में स्ट्रोक का खतरा बताया गया है।आंकड़े बताते हैं कि पिछले 17 वर्षों में स्ट्रोक का खतरा 50 प्रतिशत तक बढ़ गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार हर साल विश्वभर में 15 मिलियन यानी कि 1.5 करोड़ लोग स्ट्रोक से पीड़ित होते हैं और इनमें से करीब 5 मिलियन (50 लाख) लोगों की मृत्यु हो जाती है।इतना ही नहीं, स्ट्रोक के बाद जिंदा बचने वाले करीब 50 लाख लोग स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं, जो यह दर्शाता है कि स्ट्रोक एक बहुत ही गंभीर स्वास्थ्य संकट है।
आमतौर पर मस्तिष्क के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति बाधित या कम हो जाने के कारण स्ट्रोक होता है। यह दो प्रकार का होता है-इस्केमिक स्ट्रोक और हेमोरेजिक (रक्तस्रावी) स्ट्रोक। वास्तव में, रक्तस्रावी स्ट्रोक मस्तिष्क में रक्त वाहिका के रिसाव या फटने के कारण होता है। चिकित्सकों के अनुसार स्ट्रोक की स्थिति में सिर में बहुत असहनीय दर्द हो सकता है। स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्ति भ्रमित हो सकता है, उसे बोलने या किसी की बातों को समझने में कठिनाई हो सकती है। स्ट्रोक होने पर चेहरा, हाथ या पैर सुन्न हो सकते हैं, या इनमें कमजोरी या लकवा जैसी समस्या हो पैदा हो सकती है। स्ट्रोक पीड़ित व्यक्ति का शारीरिक संतुलन भी बिगड़ जाता है, जिससे चलना कठिन हो जाता है। बहरहाल, कहना ग़लत नहीं होगा कि भारत में स्ट्रोक के बढ़ते बोझ से निपटने के लिए, स्वास्थ्य देखभाल नीतियों में और अधिक सुधार किए जाने की जरूरत है।
आज भी भारत में अनेक दूरस्थ व ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधाओं की कमी है, हालांकि पहले की तुलना में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार तो जरूर हुआ है लेकिन अभी भी इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाएं नाकाफी हैं। स्ट्रोक व अन्य बीमारियों से बचने के लिए हमें अपनी जीवनशैली में भी बदलाव लाने होंगे। वास्तव में एक स्वस्थ जीवनशैली हमें अधिक ऊर्जा, बीमारियों से लड़ने की क्षमता और बेहतर मानसिक स्वास्थ्य प्रदान कर सकती है। परिष्कृत खाद्य पदार्थों को समाप्त करके और ताजे फल और सब्जियों, साबुत अनाज, हर्बल प्रोटीन और स्वस्थ पॉलीअनसेचुरेटेड वसा के साथ शरीर को पोषण देकर स्वास्थ्य और जीवन की समग्र गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है।
शरीर को सही पोषण देना बहुत जरूरी है। हाइड्रेट रहना भी बहुत आवश्यक है।एंटीऑक्सिडेंट और फाइबर शरीर के लिए बहुत जरूरी हैं।शारीरिक रूप से सक्रिय होना भी उतना ही आवश्यक है।नींद स्वस्थ रहने का सबसे शक्तिशाली साधन है, क्योंकि अच्छी नींद तनाव और अवसाद को दूर करने में हमारी मदद करती है। अच्छी नींद हमें बेहतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रदान करती है। अच्छी नींद हमारी कार्यकुशलता और उत्पादकता को बढ़ाती है, और हमारी प्रतिरक्षा को भी बढ़ाती है। धुम्रपान और शराब दोनों ही शरीर को नुक्सान पहुंचाते हैं, इसलिए नशीले पदार्थों के सेवन से स्वयं को दूर रखना चाहिए।
अंत में , यही कहूंगा कि स्ट्रोक के बचाव व प्रबंधन के लिए आज स्वस्थ जीवनशैली अपनाना और नियमित स्वास्थ्य जांच कराना तो जरूरी है ही, सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इसे लेकर लोग अधिक से अधिक जागरूक व सतर्क बनें। कहना ग़लत नहीं होगा कि स्वास्थ्य ही सबसे बड़ा धन है, इसलिए हमें सबसे पहले अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा। वास्तव में, स्ट्रोक के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए हमें व्यक्तिगत, सामुदायिक और राष्ट्रीय स्तर पर ठोस कदम उठाने होंगे।
सुनील कुमार महला