संजय सिन्हा
भारत सहित अन्य देशों में एक बार फिर से कोरोना वायरस संक्रमण का खतरा मंडराने लगा है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी हालिया आंकड़ों के अनुसार देश में अब तक कुल 1200 से अधिक कोविड-19 के सक्रिय मामले दर्ज किए जा चुके हैं, जबकि 12 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। एक ओर जहां लंबे समय तक कोरोना के मामलों में गिरावट देखने को मिली थी, वहीं अब नए वेरिएंट्स के साथ यह वायरस एक बार फिर लोगों को चिंता में डाल रहा है। आइये समझते हैं महामारी की वापसी कैसे हुई।
2020 और 2021 में देश ने कोरोना की भयावह लहरों का सामना किया था जिसने लाखों लोगों को प्रभावित किया। टीकाकरण और जनसहभागिता के चलते पिछले कुछ समय से स्थिति नियंत्रण में थी लेकिन अब 2025 में फिर से मामलों में इजाफा देखने को मिल रहा है। भारत में 1200 से अधिक सक्रिय मामले सामने आ चुके हैं और इस बार भी सबसे अधिक असर दक्षिणी राज्यों, विशेषकर केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में देखा जा रहा है। अगर हम राज्यों की स्थिति के बारे में सोचें तोः केरल में 420 से अधिक सक्रिय मामले हैं, तीन मौतें भी हुईं । महाराष्ट्र में 280 केस, दो मौतें। दिल्ली और गुजरात में धीरे-धीरे मामले बढ़ते हुए दिख रहे हैं। नए वेरिएंट्स में जे एन1, एल एफ.7 और एन बी.1.8.1 से खतरा बढ़ा है। वर्तमान में जिन वेरिएंट्स के कारण संक्रमण फैल रहा है, वे हैं जे एन1, एल एफ.7 और एन बी.1.8.1। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि ये वेरिएंट्स पहले के मुकाबले अधिक संक्रामक हैं, हालांकि इनमें से कुछ वेरिएंट गंभीर लक्षण उत्पन्न नहीं करते। विशेषज्ञों की राय है कि येल यूनिवर्सिटी द्वारा हाल में किए गए अध्ययन में यह स्पष्ट हुआ है कि नए वेरिएंट्स तेजी से म्यूटेट हो रहे हैं और यह हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को चकमा दे सकते हैं हालांकि, बूस्टर डोज और अपडेटेड टीकों से इनका प्रभाव काफी हद तक रोका जा सकता है।
गौरतलब है कि नए वेरिएंट्स के लक्षण मुख्यतः समान ही हैं लेकिन कुछ मामलों में हल्के बदलाव देखे जा रहे हैं। अधिकतर मरीजों को हल्के बुखार, गले में खराश, खांसी और बदन दर्द की शिकायत हो रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि लक्षण हल्के हैं परंतु उच्च जोखिम वाले वर्गों (60 वर्ष से ऊपर, पहले से बीमार व्यक्ति) में इसका खतरा अधिक है। सामान्य लक्षणों में गले में खराश, हल्का या तेज बुखार, सिरदर्द, सांस फूलना, बदन दर्द और स्वाद और गंध का जाना (कुछ मामलों में)। मई 2025 की स्थिति को देखते हुए राज्य सरकारें और केंद्र सरकार सतर्क हो चुकी हैं। रेलवे स्टेशनों, एयरपोर्ट्स, बस अड्डों पर फिर से थर्मल स्क्रीनिंग, रैपिड एंटीजन टेस्टिंग, और आर टी पी सी आर टेस्ट को अनिवार्य किया जा रहा है, खासकर उन यात्रियों के लिए जो विदेश या उच्च संक्रमण क्षेत्रों से आ रहे हैं। सरकार के प्रयासों में सभी जिलों में कोविड-हेल्पलाइन नंबर सक्रिय। अस्पतालों में ऑक्सीजन बेड्स की संख्या बढ़ाई गई। स्वास्थ्य कर्मियों को फिर से प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
गर हम अस्पतालों की तैयारी के बारे में बात करें तो दूसरी लहर जैसी स्थिति की पुनरावृत्ति नहीं है। मध्यप्रदेश के ग्वालियर स्थित जी आर मेडिकल कॉलेज समेत कई सरकारी अस्पतालों में कोविड वॉर्ड्स को दोबारा सक्रिय किया गया है। इनमें अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलेंडर्स, वेंटिलेटर्स और दवाओं का स्टॉक सुनिश्चित किया जा रहा है। इसी प्रकार अस्पताल प्रबंधन में पृथक कोविड वार्डों की स्थापना। बायोमेडिकल कचरे के सुरक्षित निपटान की व्यवस्था। डॉक्टरों और नर्सों की तैनाती में तेजी। याद रहे टीकाकरण अभियान का देश में 2021 से ही आरंभ हो गया था जिसके बाद लाखों लोगों को दोनों डोज़ दी गईं। अब 2025 में यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या पहले ली गई वैक्सीन वर्तमान वेरिएंट्स के विरुद्ध प्रभावी है? विशेषज्ञों का उत्तर है— “आंशिक रूप से हां”। येल यूनिवर्सिटी के शोध में यह निष्कर्ष सामने आया है कि बूस्टर डोज या अपडेटेड वैक्सीन इन वेरिएंट्स से रक्षा में सहायक हो सकती हैं। सरकार द्वारा तीसरी और चौथी डोज़ की सिफारिश की जा रही है, विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को। अब बात आती है कि क्या लॉकडाउन की फिर से जरूरत पड़ेगी? फिलहाल सरकार ने लॉकडाउन की कोई योजना घोषित नहीं की है परंतु ‘माइक्रो-कंटेनमेंट जोन’ की नीति को फिर से लागू किया जा रहा है। संक्रमण की दर बढ़ने पर प्रभावित इलाकों में सीमित आवागमन, दुकानें बंद करना और स्कूल-कॉलेजों को ऑनलाइन करना संभव है।लोगों से अपील है कि सतर्क रहें, घबराएं नहीं।
स्वास्थ्य मंत्रालय और विशेषज्ञों ने साफ तौर पर कहा है कि यह स्थिति 2021 जैसी नहीं है, लेकिन सावधानी जरूरी है। यदि लोग कोविड अनुरूप व्यवहार अपनाएं, तो तीसरी या चौथी लहर जैसे हालातों से बचा जा सकता है। नागरिकों के लिए दिशा-निर्देशों में मास्क पहनें, विशेष रूप से भीड़भाड़ वाले स्थानों पर। हाथों को नियमित रूप से सैनिटाइज करें। सामाजिक दूरी बनाए रखें।लक्षण दिखने पर घर पर रहें और जांच कराएं।इस दौरान मीडिया और सोशल मीडिया की भूमिका अहम है। अफवाहें और भ्रम की स्थिति से बचने के लिए मीडिया को भी जिम्मेदारी से काम करने की जरूरत है। सोशल मीडिया पर चल रहे भ्रामक वीडियो और फर्जी दावा लोगों में डर फैला सकते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आधिकारिक बुलेटिन और विशेषज्ञों की बातों पर ही विश्वास करें।अंत में कह सकते हैं कि भारत एक विशाल देश है और यहां की जनसंख्या के हिसाब से संक्रमण का खतरा कभी भी अधिक हो सकता है। परंतु अगर जनभागीदारी, सरकारी नीतियों और वैज्ञानिक सलाहों को गंभीरता से लिया जाए, तो इस संकट को बड़े स्तर पर फैलने से रोका जा सकता है। हमें याद रखना चाहिए कि “हम सुरक्षित तभी हैं जब हर कोई सुरक्षित है।”
संजय सिन्हा