‘बाटला हाउस एनकाउंटर’ पर असहज क्यों हो जाती है कांग्रेस!

रामस्वरूप रावतसरे

लोकसभा में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा में 29 जुलाई 2025 को अमित शाह ने बाटला हाउस एनकाउंटर का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि सोनिया गाँधी बाटला हाउस एनकाउंटर पर रो रही थीं लेकिन शहीद पुलिस इंस्पेक्टर मोहन शर्मा की शहादत पर चुप रहीं। लोकसभा में वाकया सुनाते हुए अमित शाह ने कहा, “मैं सलमान खुर्शीद को याद करना चाहूँगा। एक दिन, मैं सुबह ब्रेकफास्ट कर रहा था, तब मैंने टीवी पर सलमान खुर्शीद को सोनिया गाँधी के घर से बाहर निकलते देखा। वो रो रहे थे। मैंने सोचा कुछ बड़ा हो गया है लेकिन खुर्शीद ने कहा कि सोनिया गाँधी बाटला हाउस एनकाउंटर पर रो रही हैं।” अमित शाह ने आगे कहा कि इसका वीडियो उनके मोबाइल में सेव है और वे इसे सुबह से रिपीट पर देख रहे हैं। अगर स्पीकर चाहें तो इस वीडियो को सदन में लगे टीवी पर दिखाने को भी तैयार हैं। अमित शाह की सोनिया गाँधी पर टिप्पणी करते ही विपक्ष ने सदन में हंगामा शुरू कर दिया।

सलमान खुर्शीद के जिस बयान का जिक्र अमित शाह ने लोकसभा में किया, वह बयान सलमान खुर्शीद ने साल 2012 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तहत आजमगढ़ में आयोजित एक जनसभा के दौरान दिया था। इसका वीडियो क्लिप एक बार फिर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में सलमान खुर्शीद बताते हैं कि बाटला हाउस एनकाउंटर की तस्वीरें देख सोनिया गाँधी रोने लग गईं। असल में सलमान खुर्शीद ने कहा था, “हमने सोनिया गाँधी से बात की, उन्हें बाटला हाउस एनकाउंटर की तस्वीर दिखाई तो उनके आँसू फूट पड़े और उन्होंने हाथ जोड़कर कहा कि ये तस्वीर मुझे मत दिखाओ। फौरन जाओ, वजीर-ए-आजम (प्रधानमंत्री) से बात करो।”

हालाँकि, बाद में कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ऐसी किसी भी मुलाक़ात से इनकार कर दिया। सोनिया गाँधी से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल कॉन्ग्रेस नेता परवेज़ हाशमी ने भी सोनिया गाँधी को रोते हुए देखने से इनकार किया। उन्होंने तब स्पष्ट किया था, “वह चिंतित थीं।” इसके 7 साल बाद खुर्शीद ने भी कहा कि वह कभी रोई ही नहीं।

बाटला हाउस एनकाउंटर के बाद पुलिसकर्मियों को जहाँ-तहाँ इस बारे में अपनी बेगुनाही का सबूत देना पड़ा था। यहाँ तक कि उनको साल 2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने भी लंबी पूछताछ के लिए तलब कर लिया था। इसकी जानकारी दिल्ली पुलिस के पूर्व आईपीएस अधिकारी करनैल सिंह ने अपनी एक किताब में दी है। करनैल सिंह दिल्ली पुलिस के ज्वॉइंट पुलिस कमिश्नर थे और वो बाटला हाउस एनकाउंटर मामले में भी जुड़े थे। करनैल सिंह ने अपनी किताब ‘बाटला हाउसः एन एनकाउंटर दैट शुक द नेशन’ में बताया था कि एक दिन दिल्ली के तत्कालीन लेफ्टिनेन्ट गवर्नर तेजेंद्र खन्ना का फोन उन्हें आया था। करनाल सिंह के अनुसार ’’ तेजेंद्र खन्ना ने उन्हें केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल के सामने बाटला हाउस एनकाउंटर की जानकारी रखने के लिए बुलाया था।’’ करनैल सिंह ने किताब में लिखा है कि तेजेंद्र खन्ना ने सिंह को ‘तैयार होकर आने’ की सलाह दी थी। करनैल सिंह लिखते हैं कि सिब्बल ने उन्हें मीडिया सहित कई विभिन्न मुद्दों के बारे में बताने के लिए कहा और उन्होंने हर मुद्दे पर जवाब दिया और पुलिस के पास उपलब्ध सभी सूचनाओं को सिब्बल से शेयर किया।

13 सितंबर, 2008 को दिल्ली में पाँच बम धमाके हुए। एक धमाका गफ्फार मार्केट में शाम 6 बजकर 7 मिनट पर हुआ। यह धमाका कार के पास विस्फोट रखकर किया गया था। कुछ देर बाद कनॉट प्लेस में दो बम धमाके हुए। प्रत्यक्षदर्शियों ने दावा किया कि दो व्यक्तियों ने कचरे के डब्बे में विस्फोटक रखे थे। इसके कुछ मिनट बाद ही ग्रेटर कैलाश-1 के एम-ब्लॉक मार्केट में दो और ब्लास्ट हुए। बम ब्लास्ट में 26 लोगों की मौत हुई थी और 133 लोग घायल हुए थे। इन बम धमाकों के 5 दिन बाद 19 सितंबर 2008 एनकाउंटर स्पेशलिस्ट मोहन चंद शर्मा की लीडरशिप में दिल्ली पुलिस की टीम बाटला हाउस पहुँची। पुलिस को बाटला हाउस में बम धमाके से जुड़े एक आतंकी के छिपे होने की खुफिया जानकारी मिली थी। पुलिस उसे खोजते हुए बिल्डिंग की दूसरी मंजिल के फ्लैट में घुसी।

तभी दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई। इस गोलीबारी में आतंकी आतिफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए। वहीं, मोहम्मद सैफ को गिरफ्तार कर लिया गया जबकि शहजाद और जुनैद भागने में कामयाब हो गए। माना जा रहा है कि भागने वालों में एक आतंकी आईएसआईएस का रिक्रूटर बन गया। इस एनकाउंटर में पुलिस इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा घायल हुए, इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी। साथ ही हेड कॉन्सटेबल बलविंदर घायल हुए थे। इस पुलिस और आतंकियों के बीच मुठभेड़ को बाटला हाउस एनकाउंटर का नाम दिया गया।

सत्ताधारी कॉन्ग्रेस ने बाटला हाउस एनकाउंटर को हमेशा फर्जी बताया है। कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी एनकाउंटर को फर्जी करार दिया था। उन्होंने मई 2016 मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में कहा था, मैंने हमेशा कहा है कि यह एनकाउंटर फर्जी है और आज भी इस पर अडिग हूँ। यह जाँच एजेंसी की जिम्मेदारी है कि इसकी पुष्टि करे. हमने न्यायिक जाँच की माँग की थी। अगर इसे मान लिया जाता तो सही तथ्य सामने आ जाते। बाद में यह पूरा मामला खुला और सामने आया कि बाटला हाउस एनकाउंटर फर्जी नहीं था बल्कि यहाँ देश पर हमले की फैक्ट्री चल रही थी।

जानकारों की माने तो कॉन्ग्रेस ने तब इस एनकाउंटर के तथ्य जानते हुए भी फर्जी इसलिए बताया क्योंकि उसे मुस्लिम वोटों की चिंता थी। बाटला हॉउस एनकाउंटर मुस्लिम इलाके में हुआ था, यहाँ मारे जाने वाले आतंकी मुस्लिम थे। कॉन्ग्रेस को लगता था कि अगर वह बाटला हाउस पर मुस्लिमों का पक्ष लेगी तो उसे लगातार मुस्लिम वोट मिलते रहेंगे। हैरानी वाली बात यह है कि स्पष्ट सबूत सामने होते हुए भी कॉन्ग्रेस ने तब बाटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताया लेकिन हिन्दू आतंकवाद के नैरेटिव को लगातार हवा देती रही। 26/11 हमले तक को हिन्दुओं पर मढ़ने का प्रयास हुआ। खैर यदि यह एनकाउंटर फर्जी था तो सत्य क्या है, उसे देश के सामने रखना चाहिए था। बम ब्लास्ट में 26 लोगों की मौत हुई थी और 133 लोग घायल हुए थे. इनका दोषी कौन था!

रामस्वरूप रावतसरे

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