सुहाना सपना

-रवि श्रीवास्तव-

poem

सपनों ने दिखाये अरमान, देश में बनाओ अपनी पहचान,
हक़ीक़त से मैं था अंजान, सपनों में था जो बहुत असान।

चल दिये उसी मंजिल पर, जिसको पूरा करना था,
हुआ वही जो सपना देखा, पर मेरा ख्बाव अधूरा था।

हर रास्ते पर मिली ठोकरें, मंजिल तक न पहुंच पाने को,
हिम्मत नहीं हारी है मैंने, ये वक्त है कुछ कर दिखाने को।

देखा सपना पूरा करूंगा, डालूंगा मैं इसमें जान,
सपनों ने दिखाये अरमान, देश मैं बनाओ अपनी पहचान।

याद करेगा मुझे ज़माना, दिल में मैंने अपने ठाना,
उदास न हो ऐ मेरे साथी, कहीं तो होगा अपना ठिकाना।

हर तरफ फिर धूम मचेगी, खुशियों की कलियां खिलेंगी,
जीवन के इस सुर में फिर, मिल जायेगा ताल से ताल,

सपनों ने दिखाये अरमान, देश में बनाओ अपनी पहचान।

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