अपेक्षा और चुनौतियों बीच कमलनाथ का मुख्यमंत्री बनना

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मनोज कुमारवरिष्ठ पत्रकार

 मध्यप्रदेश संभावनाशील प्रदेश है और जिस भी राजनेता ने इस प्रदेश की कमान सम्हाली है, वह नवाचार का हितैषी रहा है. 15 सालों के लम्बे अंतराल के बाद सत्ता परिवर्तन हुआ और मध्यप्रदेश को कमलनाथ के रूप में एक ऐसा अनुभवी नेता मिला जिनके पास लम्बा अनुभव है. वे उस मिथक को तोडऩे में भी कामयाब रहेंगे जो अब तक बना हुआ है कि सरकार को नौकरशाही चलाती है. वे केन्द्र में मंत्री रहे हैं और कांग्रेस संगठन में उनकी जवाबदारी हमेशा बड़ी रही है. नौ बार के सांसद रहे कमलनाथ की ताजपोशी प्रदेश में बदलाव का संकेत है लेकिन 15 सालों से जो अपेक्षा आम आदमी ने पाल रखी है, उसे पूरा करना उनके लिए कठिन चुनौती है. अपेक्षा और चुनौती के बीच वे रास्ता निकाल लेंगे और मध्यप्रदेश के विकास के लिए जो रोडमेप कांग्रेस ने तैयार किया है, उसे पूरा करने में वे कामयाब होंगे. कमलनाथ समन्वयवादी नेता हैं. वे सबको साथ लेकर चलने की कोशिश करते हैं. अपने ही दल के लोग नहीं बल्कि विपक्षी दलों का साथ भी. उन्होंने इस बात का संकेत दे दिया है कि निवृत्तमान शिवराजसिंह सरकार के कार्यकाल में जो विकास कार्य आरंभ किया गया है, उसे आगे बढ़ाने की कोशिश करेंगे. नव-निर्वाचित मुख्यमंत्री कमलनाथ का यह बयान इस बात का संदेश है कि ना काहू से बैर, ना काहू से दोस्ती को अंजाम देंगे. कमलनाथ जी के पास लगभग साठ वर्षों का लम्बा सार्वजनिक जीवन का अनुभव है. 20 वर्ष की उम्र में राजनीति में आ गए थे. ऊर्जावान नेता के रूप में उन्होंने जो काम शुरू किया, वह नेतृत्व आज एक अनुभवी राजनेता के रूप में मध्यप्रदेश को मिला है. उनका मिजाज सख्त नहीं है तो वे नरम भी नहीं हैं. वे जो ठान लेते हैं, उसे अंजाम तक पहुंचा कर ही आराम करते हैं. बीते नवम्बर महीने की 18 तारीख को उन्होंने अपना जन्मदिन मनाया था. साल 1948 में जन्मे कमलनाथजी की पहचान एक उद्योगपति के रूप में भी है. उनकी इस खूबी का लाभ मध्यप्रदेश को मिलेगा. जिन उद्योगों को मध्यप्रदेश मे स्थापित करने की बातें होती रही हैं, उन्हें जमीन पर उतारने का समय आ गया है. मध्यप्रदेश में उद्योागों के विस्तार की असीम संभावना है और इसके लिए शिवराज सरकार ने अथक प्रयास किए लेकिन परिणाम में बदल नहीं पाए तो इसमें कई तकनीकी दिक्कत भी हो सकती है किन्तु मुख्यमंत्री कमलनाथ जी के लिए यह कोई मुश्किल नहीं है. इस दिशा में उनकी दृष्टि साफ है क्योंकि प्रदेश में बेरोजगार हाथों को काम देना है तो उद्योगों का विस्तार अहम है. साथ में वे कुटीर और लघु उद्योगों को भी बढ़ावा देंगे ताकि गांधीजी का स्वरोजगार का सपना पूरा हो सके.कमलनाथजी केन्द्र से मिलने वाली सहायता का प्रदेश के विकास में भरपूर उपयोग करेंगे. अपने गृह जिला छिंदवाड़ा में उन्होंने जो विकास मॉडल बनाया है, वह पूरे प्रदेश में लागू होगा. इस छिंदवाड़ा विकास मॉडल में नए उद्योग, पानी, बिजली, सडक़, पर्यावरण और स्वच्छता का एक ऐसा समग्र स्वरूप है जो प्रदेश को नई पहचान देगा. मध्यप्रदेश को विकास के आगे ले जाने के लिए अभी कई चुनौतियों का सामना मुख्यमंत्री कमलनाथजी को करना पड़ेगा क्योंकि राज्य का खजाना खाली है और निवृत्तमान सरकार ने घोषणाओं का जो पुलिंदा आम आदमी को थमा दिया है. यह तय है कि कमलनाथजी एक व्यवहारिक व्यक्ति हैं अत: वे लोकलुभावन घोषणाओं के स्थान पर ठोस काम को स्थान देंगे. खाली खजाने को भरना, प्रदेश की कर्जमुक्ति और वचनपत्र में किए गए वायदे पूर्ण करना उनकी प्राथमिकता होगी. वे राजनीति के मंझे हुए राजनेता हैं अत: उन्हें इस बात का इल्म है कि पटरी से उतरी गाड़ी को वापस कैसे पटरी पर लाया जाए. वे परिणाममूलक योजनाओं को तरजीह देंगे और इसके लिए वे प्रशासनिक कसावट भी करेंगे.कसौटी पर जो खरा उतरेगा, वह सरकार के साथ होगा, इस बात का भी खयाल मुख्यमंत्री कमलनाथ करेंगे. वे उत्सवधर्मी नहीं हैं सो किफायत के साथ बजट का खर्च प्लान करेंगे. नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री उच्च शिक्षित हैं इसलिए प्रशासनिक कसावट रहेगी.  इस बात को हमेशा प्रचारित किया जाता है कि केन्द्र लगातार मध्यप्रदेश को मिलने वाली राशि में कटौती कर रहा है लेकिन इसमें कुछ खामियां भी रहती हैं और तकनीकी कारणों से भी बजट में कटौती की जाती है. इस समस्या को भी मुख्यमंत्री कमलनाथ दूर करने में अपने अनुभवों का लाभ उठाएंगे. केन्द्र और राज्य के बीच सौहाद्र्रपूर्ण संबंध बनाने में वे कामयाब रहेंगे और मध्यप्रदेश की योजनाओं के लिए केन्द्र से मिलने वाली धनराशि लाने में कामयाब रहेंगे. इस समय मध्यप्रदेश कई संकटों से जूझ रहा है और इसका एकमात्र कारण है बजट का अभाव. एक उद्योगपति के नाते उनकी प्लानिंग परिणामदायी होती है और केन्द्र से मध्यप्रदेश के हक का बजट प्राप्त करने के लिए प्लानिंग की जरूरत होती है जिसमें वे कामयाब होंगे.  मध्यप्रदेश में बदलाव की बयार ना केवल राजनीति मंच पर हुई है बल्कि प्रदेश के हित मेें भी इसे देखा जाना चाहिए. लोकलुभावन नीतियों से ऊपर उठकर कमलनाथ सरकार प्रदेश के सभी वर्गों की भलाई के लिए प्रयासरत रहेगी. किसानों की बेहतरी की दिशा में ना केवल कर्जमाफी बल्कि उन्हें स्वयं के पैरों में खड़ा करने की कोशिश होगी. महिलाओं को सशक्त बनाने की बात हो, उनकी सुरक्षा की चर्चा की जाए, बच्चों के समग्र विकास की बात हो, शिक्षा का स्तर बनाये रखने की चिंता हो, भ्रष्टाचार और भयमुक्त समाज के निर्माण की दिशा में कार्य करने की बात हो या कि सत्ता में जनता की भागीदारी की बात हो. युवाओं को रोजगार और लघु एवं मध्यम वर्ग के व्यापारियों को राहत देेने के ठोस प्रयास होंगे. मध्यप्रदेश के 30वें मुख्यमंत्री कमलनाथजी की तासीर में उतावलापन नहीं है. वर्तमान में वे कांग्रेस के प्रथम पंक्ति के नेता में गिने जाते हैं. वे धीर-गंभीर हैं. वे शांत हैं और सादगी से जीवन जीते हैं. उनकी संवाद शैली मोहक है और वे भाषा की मर्यादा में हमेशा बंधे होते हैं. सांसद के रूप में कमलनाथजी छिंदवाड़ा के नागरिकों के लिए हमेशा उपलब्ध रहे हैं तो मुख्यमंत्री के रूप में कमलनाथ जी पूरे प्रदेश के नागरिकों के लिए सहज रूप से उपलब्ध रहेंगे. मध्यप्रदेश की जनता उनका तहेदिल से स्वागत करती है, अभिनंदन करती है. 

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मनोज कुमार
सन् उन्नीस सौ पैंसठ के अक्टूबर माह की सात तारीख को छत्तीसगढ़ के रायपुर में जन्म। शिक्षा रायपुर में। वर्ष 1981 में पत्रकारिता का आरंभ देशबन्धु से जहां वर्ष 1994 तक बने रहे। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से प्रकाशित हिन्दी दैनिक समवेत शिखर मंे सहायक संपादक 1996 तक। इसके बाद स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कार्य। वर्ष 2005-06 में मध्यप्रदेश शासन के वन्या प्रकाशन में बच्चों की मासिक पत्रिका समझ झरोखा में मानसेवी संपादक, यहीं देश के पहले जनजातीय समुदाय पर एकाग्र पाक्षिक आलेख सेवा वन्या संदर्भ का संयोजन। माखनलाल पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय, महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी पत्रकारिता विवि वर्धा के साथ ही अनेक स्थानों पर लगातार अतिथि व्याख्यान। पत्रकारिता में साक्षात्कार विधा पर साक्षात्कार शीर्षक से पहली किताब मध्यप्रदेश हिन्दी ग्रंथ अकादमी द्वारा वर्ष 1995 में पहला संस्करण एवं 2006 में द्वितीय संस्करण। माखनलाल पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय से हिन्दी पत्रकारिता शोध परियोजना के अन्तर्गत फेलोशिप और बाद मे पुस्तकाकार में प्रकाशन। हॉल ही में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा संचालित आठ सामुदायिक रेडियो के राज्य समन्यक पद से मुक्त.

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