कुछ और उठो सत्यार्थी

0
249

इंसान ज्वालामुखी बन चुके थे,
पहले ही,
इंसानो के बच्चे भी मासूमियत छोड़कर,
ज्वालामुखी बनने लगे हैं,
जो कभी भी फट कर
सब कुछ जला सकते हैं।
कोई चार साल की उम्र में हैवानियत
कर गया,
किसी किशोर ने बच्चे को मार दिया,
इमतिहान के डर ने गुनाह करवा डाला!
दोष किसे दूँ
सीखा तो कंही न कहीं
किसी बड़े से ही होगा,
कुछ देखा ,
कुछ समझा या न समझा
पर कुछ ऐसा कर डाला
कि हर इंसान डर रहा है,
बच्चा क्यों हैवान हो रहा है!
बच्चे तो हो रहे है
न खेलने की जगह है
ना मां बाप की निगरानी।
पढ़ाई का ख़ौफ है
न दादी नानी की कहानी,
इंटरनैट, विडियो गेम, टीवी
में उलझ गया है बचपन
न रह गई नादानी
कैलाश सत्यार्थी ने बचपन बचाया
कुछ और उठो सत्यार्थी
जनसंख्या पर अंकुश लगाओ
मां बाप को समझाओ
इतने बच्चे रोज़ होंगे,
तो गुनाह भी रोज़ होंगे
ज्वालामुखी पैदा करने से,
बहतर है बालमज़दूरी,
आओ सत्यार्थी उन्हे रोको
ज्वालामुखी पैदा नहों
कुछ ऐसे क़दम बढाओ।

Previous articleगीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-10
Next articleचोर चोर मौसेरे भाई
बीनू भटनागर
मनोविज्ञान में एमए की डिग्री हासिल करनेवाली व हिन्दी में रुचि रखने वाली बीनू जी ने रचनात्मक लेखन जीवन में बहुत देर से आरंभ किया, 52 वर्ष की उम्र के बाद कुछ पत्रिकाओं मे जैसे सरिता, गृहलक्ष्मी, जान्हवी और माधुरी सहित कुछ ग़ैर व्यवसायी पत्रिकाओं मे कई कवितायें और लेख प्रकाशित हो चुके हैं। लेखों के विषय सामाजिक, सांसकृतिक, मनोवैज्ञानिक, सामयिक, साहित्यिक धार्मिक, अंधविश्वास और आध्यात्मिकता से जुडे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here