कोरोना की तीसरी लहर का बढ़ता संकट एवं चुनाव

0
253

  • ललित गर्ग –

वर्ष 2022 की प्रथम तिमाही में पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर व पंजाब के विधानसभा चुनाव की सरगर्मिया उग्र है साथ ही ओमिक्रोन का संकट भी गहराता जा रहा है। देश में कोरोना संक्रमण की संभावित इस ओमिक्रोन लहर की आशंका को देखते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश श्री शेखर यादव ने प्रधानमन्त्री से अपील की थी कि वह इन चुनावों को कुछ समय आगे बढ़ाने के बारे में विचार करें। न्यायालय की इस अपील को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है, इसे जबर्दस्ती राजनीतिक विषयों में न्यायालय का हस्तक्षेप भी कहा जा जा रहा है, लेकिन जन-जन की जीवन रक्षा एवं स्वास्थ्य से जुड़ा मामला होने की बजह से न्यायालय का दखल अनुचित भी नहीं कहा जा सकता। यह तो तय है कि किसी भी राज्य में चुनाव कराने का फैसला केवल चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में ही आता है और आयोग ही तय करता है कि किसी भी विधानसभा की पांच साल की अवधि समाप्त होने से पहले चुनाव किस समय कराये जाने चाहिए, जिससे नई विधानसभा का गठन समय रहते हो सके।
ताजा निर्णय के अनुसार विधानसभा चुनाव नहीं टालें जायेंगे। चुनाव आयोग की स्वास्थ्य सचिवों के साथ ओमिक्रोन के बढ़ते संकट की स्थिति पर हुई बैठक के बाद यह निर्णय सामने आया है। लेकिन न्यायालय की अपील को लेकर चर्चा का बाजार गर्म है, राजनीतिक नफे-नुकसान की बातें हो रही हैं। विपक्षी दलों का मानना है कि हार के डर से आशंकित होकर भाजपा चुनाव को टालना चाहती है। लेकिन सच तो यह है कि चुनावी सभाओं और रैलियों में उमड़ रही भीड़ कोरोना के नये संकट के फैलने का बड़ा कारण बन सकता है, इस संकट की चिन्ता चुनाव से ज्यादा महत्वपूर्ण है। राज्य सरकारों एवं संबंधित विधानसभा चुनाव वाले पांच राज्यों को इस पर ध्यान देना ही चाहिए कि कहीं चुनाव प्रचार से जुड़ी गतिविधियां के कारण कोरोना अनियंत्रित तो नहीं होगा? इसके लिये लगातार निगरानी और समीक्षा भी की जानी चाहिए।
वैसे कोरोना की तीसरी लहर की संभावना राज्यों की सीमाओं को तोड़ कर अखिल भारतीय स्तर पर व्यक्त की जा रही है। लेकिन यह सर्वथा उचित कदम होगा कि चुनाव वाले राज्यों में टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाई जाये। जरूरत पड़ने पर चुनाव रैलियों एवं सार्वजनिक चुनाव सभाओं के स्थान पर प्रचार के अन्य माध्यमों का प्रयोग किया जाये, जैसे समाचार पत्रों में विज्ञापन, रेडियो, टीवी के माध्यम से जन-संबोधन। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हम देख चुके हैं कि किस प्रकार यह संक्रमण बहुत तेजी के साथ फैला था। उस समय प. बंगाल में विधानसभा चुनाव हो रहे थे तो आयोग ने रैलियों जैसे आयोजनों के बारे में संशोधनात्मक दिशा निर्देश दिये थे और मतदान केन्द्रों से लेकर मतों की गिनती होने तक के प्रबन्धन को कोरोना अनुरूप व्यवहार से बांध दिया था। इस बार भी ऐसी व्यवस्थाएं अपेक्षित हो तो करनी ही चाहिए। जो भी राजनीतिक दल ओमिक्रॉन को गंभीर खतरा नहीं बताते हुए इसे भाजपा का चुनावी हथकंडा करार दे रहे हैं, यह उनका संकीर्ण एवं स्वार्थपूर्ण राजनीतिक नजरिया है।
हालांकि अभी तक ओमिक्रोन विदेशों की तुलना में भारत में नियंत्रित है, नये कोरोना वेरियंट की भयावहता के बारे में अभी तक चिकित्सा वैज्ञानिक स्पष्ट कुछ बताने की स्थिति में नहीं हैं सिवाय इसके कि यह पिछले वेरियंटों के मुकाबले तीन गुणा गति से फैलता है। इसे देखते हुए ही चुनाव आयोग ने स्वास्थ्य मन्त्रालय से मन्त्रणा करने के बाद निर्णय लिये हैं। दरअसल कोरोना का मुद्दा राजनीति से हट कर है और इस पर किसी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए। मगर यह भी जरूरी है कि चुनाव आयोग को सभी प्रमुख राजनैतिक दलों को बुला कर उनकी राय भी लेनी चाहिए क्योंकि अन्ततः ये राजनैतिक दल ही चुनाव लड़ते हैं।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मत का ख्याल रखते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त श्री सुशील चन्द्र ने राय व्यक्त की कि आयोग इस बारे मेें अगले सप्ताह ही उत्तर प्रदेश का दौरा करेगा और वहां चुनावी तैयारियों का जायजा लेगा। यह बहुत स्पष्ट है कि चुनाव आयोग ही अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए समस्त चुनावी प्रक्रिया का कार्यक्रम व रूपरेखा तैयार करता है और तदनुसार चुनाव नतीजों की घोषणा करके नई विधानसभाओं का गठन करता है। इन पांच राज्यों के चुनाव समानान्तर रूप से कराने के लिए उसे इस तरह का कार्यक्रम तैयार करना पड़ेगा जिससे मार्च महीने तक चार राज्यों को नई विधानसभा मिल सके जबकि उत्तर प्रदेश को मई महीने तक। सामान्य काल में इन विधानसभाओं के कार्यकाल को आगे बढ़ाने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है, आपातस्थिति में चुनाव समय पर नहीं हो पाते हैं तो राष्ट्रपति शासन की व्यवस्था लागू करनी होगी। अतः चुनाव आयोग को ऐसा रास्ता खोजना होगा जिससे कोरोना संक्रमण की आशंका भी कम से कम हो सके और चुनावी कार्यक्रम भी समय पर पूरा हो सके।
देश में सबसे बड़ी आबादी वाला राज्य उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहा है। इस बार उत्तरप्रदेश में 403 सीटों वाली 18वीं विधानसभा के लिए ये चुनाव होना है। बता दें 17वीं विधानसभा का कार्यकाल 15 मई तक है। पिछली बार 17वीं विधानसभा के लिए 403 सीटों पर चुनाव 11 फरवरी से 8 मार्च 2017 तक 7 चरणों में हुए थे। इनमें लगभग 61 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। लेकिन कोरोना संकट के चलते चुनाव टलने से फायदे की स्थिति में तो कोई भी राजनीतिक दल नहीं होगा, भले ही वह भाजपा हो, कांग्रेस हो, सपा हो, बीएसपी हो या आम आदमी पार्टी। अन्य चार राज्यों एवं यूपी का चुनाव अपने फुल मोड में आ चुका है। सभी दल चुनाव प्रचार पर काफी खर्च कर चुकी है। लेकिन इन स्थितियों के बावजूद किसी आपात स्थितियों में केवल अर्थ या राजनीतिक नफा-नुकसान से ज्यादा जरूरी है जन-जन की स्वास्थ्य-रक्षा।
कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए विभिन्न राज्य सरकारों के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में रात्रिकालीन कोरोना कर्फ्यू लगाने का निर्णय किया है। इसके साथ ही अब शादी-विवाह आदि सार्वजनिक आयोजनों में कोविड प्रोटोकॉल के साथ अधिकतम 200 लोगों के भागीदारी की अनुमति होगी। इनके आयोजनकर्ता को स्थानीय जिला तथा पुलिस प्रशासन को इसकी सूचना भी देनी होगी। देश के विभिन्न राज्यों में कोविड के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। ऐसे में कुछ कड़े कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। अभी तक कोविड से बचाव के लिए ट्रेसिंग, टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और टीकाकरण की नीति के सही क्रियान्वयन से स्थिति नियंत्रित है। कोरोना की तीसरी लहर को किसी तरह से रोकना है। अतः बचाव ही सर्वाधिक सुरक्षित माध्यम है। इसके लिये चुनाव प्रचार, चुनाव गतिविधियां एवं चुनाव को आगे-पीछे करने की जरूरत महसूस हो तो बिना किसी राजनीतिक स्वार्थ के बेहिचक उन्हें लागू किया जाना चाहिए। राजनीतिक पार्टियां विवेक, मानवीय दृष्टि एवं संवेदनशीलता से अपना नजरिया तय करते हुए चुनाव प्रचार टीवी और अखबारों के माध्यम से करें। एक-दो माह के लिए चुनाव टालना अपेक्षित हो तो उस पर भी सकारात्मक दृष्टिकोण से निर्णय में सहभागिता पर भी विचार करें, क्योंकि जान है तो जहान है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,862 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress