-मनोहर पुरी-
‘‘कनछेदी ऐसा क्या हो गया कि आपके नेता जहां जा रहे हैं उनको थप्पड़ पड़ रहे हैं।’’ मैंने सड़क पर गिरे हुए कनछेदी का उठाते हुए कहा।
‘‘ राजनीति में आप हार डालने और थप्पड़ मारने को एक जैसा मान कर ही आगे बढ़ सकते हैं।’’ कनछेदी ने अपनी पेंट पर लगी धूल को झाड़ते हुए कहा।
‘‘ कनछेदी क्या यह कोई साजिश है अथवा जनता का आक्रोश जो उमड़ा पड़ रहा है। कोई आपके नेताओं के मुंह पर स्याही फेंक रहा है और कोई घूंसें मार रहा है। इस पर भी आप कह रहे हैं कि आपकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ रही है। यह आम आदमी वाली कैसी राजनीति है।’’ मैंने व्याकुल हो कर पूछा।
‘‘यही तो राजनीति है। राजनीति के इस रंग कोे आप अभी समझ नहीं पा रहे।’’ कनछेदी ने बिना किसी झिझक के उत्तर दिया।
‘‘ इतने वर्ष हो गये मुझे संसदीय चुनाव देखते हुए मैंने तो ऐसा रंग कभी देखा नहीं।’’
‘‘लगता है कि आपने विश्वविद्यालय में कभी चुनाव नहीं लड़े। वहां पर भी हम चुनाव जीतने के लिए अपने ही लोगों द्वारा स्वयं अपने आप पर हमले करवाया करते थे। यदि ऐसा नहीं हो पाता था तो हमारे प्रत्याशी स्वयं ही सिर पर पट्टी बांध कर अथवा टांग पर पलस्तर चढ़वा कर चुनाव प्रचार में निकल जाया करते थे। जानते हैं कि छात्र-छात्रायें बहुत भावुक होते हैं। विश्वास मानें भाई साहब ऐसे हथकंडों से हमें लड़कियों के वोट बड़ी संख्या में मिल जाया करते थे।’’कनछेदी ने कहा।
‘‘परन्तु यह किसी कॉलेज अथवा विश्वविद्यालय के चुनाव नहीं हैं। ये चुनाव लोक सभा के लिए हो रहे हैं। इन चुनावों में ऐसे ओछे हथकंडे कम से कम मेरी समझ के तो बाहर हैं।’’ मैंने बुरा सा मुंह बनाते हुए कहा।
‘‘हां, आज आप हम पर यह आरोप लगा सकते हैं कि हमारी राजनीति ओछी अथवा अपरिवक्व है। परन्तु यह आजमाई हुई है। इसके परिणाम हमेशा अच्छे ही होते हैं।’’
‘‘यदि आपके यह हमले प्रायोजित हैं तो इसे परिवक्व राजनीति नहीं कहा जा सकता। इसके लिए तुम्हें शर्म आनी चाहिए।’’ मैंने कनछेदी की भर्त्सना करते हुए कहा।
‘‘अन्य पार्टियों के नेताओं की भांति यहीं तो मात खा गये आप भी। भैया आप ने यह भुला दिया कि आज हमारे अधिंकांश मतदाता युवा हैं। वे अभी विश्वविद्यालीय राजनीति से बाहर नहीं निकले हैं। उन्हें प्रभावित करने के लिए हमारा यह हथकंड़ा आज भी कारगार सिद्ध हो चुका है। देश की राजनीति समझने में उन्हें कुछ समय लगेगा। तब तक हमारी राजनीति चमक जायेगी। क्या किसी और पार्टी को इतना अधिक प्रचार मिलता है जितना हमें मिलता है। जो गुर पुरानी पार्टियां इतने सालों में नहीं सीख सकीं वह हमने एक साल में ही सीख ही नहीं लिये उनका सफल प्रयोग करके भी दिखा दिया। हम बहुत जल्दी में हैं। विश्वास मानें कि यह नाटक एक बार फिर सफल होगा। युवा वर्ग क्योंकि उत्साह में रहता है इसलिए उसे अराजकता की सीमा तक ले जाना हमारा लक्ष्य रहता है। इसीलिए हमें स्वयं को अराजक कहलवाने में भी कतई एतराज नहीं है। यदि दो चार थप्पड़ खाने से चुनावों में सफलता मिलती हो तो सौदा बुरा नहीं है।’’ कनछेदी ने मुझे आराम से समझाने का असफल प्रयास किया।
‘‘सो तो ठीक है परन्तु क्या आप ईमानदारी की राजनीति का दम भरने के बाद इसे नैतिक मानते हैं।’’ मैंने प्रश्न उछाला।
‘‘हमने तो कभी अपनी नैतिकता का दावा किया ही नहीं। दूसरों पर ही आरोप लगाये हैं और आरोप लगाते ही वहां से निकल लिये हैं। और आपतो जानते हैं कि प्रेम और जंग में सब चलता है। आज चुनावों से बड़ा कोई और जंग तो होता नहीं। हम तो ऐसे मुद्दे उठाते हैं जो लोगों के दिलों को प्रभावित करें, भले ही उनके सिर के ऊपर से निकल जायें। इसलिए हमने बहुत से ऐसे प्रश्न उठाये हैं जिनका हल हमारे पास भी नहीं है परन्तु उसका क्षणिक प्रभाव तो लोगों पर पड़ता ही है। हमें कौन सा समस्यायों का समाधान करना है। हमें तो आम जनता में असंतोष का बीज बोना है। इसीसे हमारा लक्ष्य तो पूरा हो ही जाता है।’’
‘‘ऐसा कौन सा लक्ष्य प्राप्त हो गया आपको।’’ मैंने पूछा।
‘‘ क्या एक ही चुनाव में हम लोग आम से खास नहीं हो गये। क्या दूसरे दलों की अपेक्षा हमारे पास अधिक धन एकत्र नहीं हो रहा। हमने कितने ही लोगों को भूतपूर्व मंत्री और विधायक बना कर उनको उज्ज्वल भविष्य दिया है। अच्छा आप बतायें यदि हमने ऐसे झूठे सच्चे वायदे करके चुनाव जीत लिया तो क्या बुरा किया। कितने ही लोगों को पूर्व मंत्री बना डाला। कितने ही विधायकों की जीवन भर के लिए पेंशन लगावा दी। उन्हें समाज में एक सम्मानजनक पद पर बिठा दिया। भले ही हमारा नेता कुछ दिन का मुख्यमंत्री रहा परन्तु जीवनभर के लिए पूर्व मुख्यमंत्री तो बन ही गया। कांग्रेस और भाजपा में कितने ही ऐसे नेता हैं जो वर्षों से ऐसे पद के लिए एड़ियां रगड़ रहे हैं, परन्तु आज तक इस परम पद को प्राप्त नहीं कर पाये।’’ कनछेदी ने मुझ समझाया।
‘‘मैं तो यह समझ रहा था कि लोग आप पर अपने आप हमले कर रहे हैं।’’ मेरा स्वर विस्मय से भरा था।
‘‘ किसमें इतना साहस है जो आम आदमी पर हमला करे। हमला तो हमेशा खास आदमी पर ही होता है। फिर वे भला ऐसा क्यों करेंगे। हमारा तो ऐसा कोई इतिहास है नहीं जिससे लोग हमसे नाराज हों।’’ कनछेदी बोला।
‘‘मेरी धारणा थी कि लोग आपके सामने अपनी योग्यता का प्रदर्शन करनेे के लिए ही आप पर थप्पड़ और घूंसे बरसा रहे हैं।’’ मैंने अपनी शंका व्यक्त की।
‘‘आपको ऐसा क्यों लगा।’’ उसने पूछा।
‘‘आपने स्वयं यह माना है कि आपके दल का नैतिकता से कुछ लेना देना नहीं हैं। आपका एक ही ध्येय है किसी भी तरह अपना लक्ष्य प्राप्त करना। अन्य लोग भी इससे प्रभावित हो कर आपके दल की ओर आकर्षित हो सकते हैं और अपनी योग्यता सिद्ध करने के लिए आप पर घूंसे थप्पड़ बरसा सकते हैं। वे जानते हैं कि आपने एक ऐसे पत्रकार को लोकसभा का प्रत्याशी बना दिया जिसने पत्रकारिता की नैतिकता का त्याग करके कांग्रेस के मंत्री चिदम्बरम पर जूता फेंका था। यदि उसे मंत्री के प्रति किसी बात पर आक्रोश था, तो उसे किसी अन्य स्थान पर यह कार्य करना चाहिए था पत्रकार वार्ता में नहीं। उसे आक्रोश अपने साथ हुए किसी व्यक्तिगत अन्याय पर था न कि पत्रकारिता के विरूद्ध उठाये गये किसी कदम पर। परन्तु आप के नेताओं ने जूता फेंकने को उसकी योग्यता का पैमाना मान लिया। इसी से सबक लेते हुए बहुत से लोग आपके सम्मुख अपनी क्षमता का परिचय देने के लिए आने लगे हैं। ताकि आप स्वयं अपनी आंखों से उनकी योग्यता को परख लें और आने वाले चुनावों में टिकट देने का मन बना लें। जिस व्यक्ति की योग्यता आपके नेता स्वयं देख लेंगे उनको इसका लाभ तो भविष्य में मिलेगा ही।’’ मैंने अपनी बात को विस्तर से बताया।
‘‘यह ठीक है कि लोग इस प्रकार से भी हमारे नेताओं की नजरों में चढ़ना चाहते हैं और हम इसका डेटाबेस तैयारी भी कर रहे हैं। आप जानते ही हैं कि हम डाटा बैस बनाने और चुराने में बहुत माहिर हैं। भविष्य में ऐसे थप्पड़ और घूंसे मारने तथा मुंह पर कालिख मलने वाले योग्य व्यक्तियों को टिकट देने में वरीयता देने में हमारे नेता यदि पहल करेंगे तो मुझे कोई अश्चर्य नहीं होगा। आखिर आप जानते ही हैं कि देश की भावी राजनीति कुछ इसी दिशा में प्रगति कर रही है। हमारे नेता यदि भावी राजनीति की नब्ज पर अभी से हाथ रख रहें हैं तो आपको जलन क्यों हो रही है।’’ कनछेदी ने मेरा मुंह बंद करते हुए कहा और अपने नेता के रोड़ शो में सम्मिलित होने के लिए आगे बढ़ गया।
मैं अनायास ही जेब से रुमाल निकालकर अपने चेहरे पर भविष्य में लगने स्याही साफ करने लगा।
सब आधुनिक मेघनाद-कुम्भकर्ण- रावण ( मोदी + अम्बानी + कांग्रेस ) का कमाल है ! इन सबने मिलकर पूरे देश को बड़ी चालाकी से अपने वश में कर लिया है !! और जो भी इनकी सच्चाई कहेगा ये उसे बटबाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे !!! केजरीवाल जैसे ईमानदार और आई.ए.एस. कैडर का आदमी इन्हीं की घटिया मानसिकता का शिकार हो रहे हैं ।
ऐसा मैं इसलिए कह सकता हूँ क्योंकि १४ सालों से गुजरात में रहकर मैं अपनी आँखों से सब देख ही नहीं रहा हूँ बल्कि भोग भी रहा हूँ । पाकिस्तानी बॉर्डर पर रिलायंस टाउनशिप जामनगर में हिन्दी दिवस के दिन ( १४ सितम्बर ) को भी प्रात:कालीन सभा में प्राचार्य सुंदरम द्वारा बच्चोँ के मन में राष्ट्रभाषा हिन्दी और भारतीय सभ्यता – संस्कृति के खिलाफ जहर भरा जाता है । ऐसा न करने के विनम्र अनुरोध पर हिन्दी शिक्षक- शिक्षिकाओं को जानवरों की तरह प्रताड़ित करके निकाल दिया जाता है उनके बच्चों और निर्दोष महिलाओं तक के साथ रिलायंस प्रबंधन द्वारा अमानवीय व्यवहार किया गया है ————–
अभी भी सम्हल जाओ नीचे से ऊपर तक सबको रिलायंस ने खरीदा हुआ है तभी तो नीरा राडिया टेप मामले पर न्यायालय भी चुप है !!! ऐसे ही देशद्रोहियों मैं लड़ रहा हूँ ! मोदी के घनिष्ठ मित्र अम्बानी के रिलायंस टाउनशिप जामनगर (गुजरात ) के बारे में आप जानते नहीं हो – वहाँ आए दिन लोग आत्महत्याएँ कर रहे हैं ! उनकी लाश तक गायब कर दी जाती है या बनावटी दुर्घटना दिखाया जाता है और इस अन्याय में कांग्रेस-बी.जे.पी.-मोदी बराबर के जिम्मेदार हैं — इन सब का विनाश होना ही चाहिए ——क्योंकि ये सभी आँखें बंद करके रिलायंस के जघन्य अपराधों को मौन स्वीकृति दे रहे हैं —— इन बातों की जरा भी आहट लग जाती तो मैं अपनी परमानेंट डी०ए०वी० की नौकरी छोड़कर यहाँ नहीं आता, मेरी पत्नी सेल की सरकारी नौकरी छोड़कर यहाँ नहीं आतीं इसलिए हम चाहते हैं कि नौकरी के लालच में इन लोगों के झांसे में कोई और न फंसे और ये बताना धर्म और ईमान का काम है विशेषकर मीडिया पर्सनल की ये जिम्मेदारी भी है पर रिलायंस के आगे सब चुप हैं, रिलायंस वाले कहते भी हैं हम सबको ख़रीदे हुए हैं, आए दिन वहां लोग आत्महत्याएं करते हैं पर पैसे की महिमा ..सब शांत रहता है, गरीब को जीने का जैसे हक़ ही नहीं है ५) मैंने कई पत्र स्थानीय थाने के इंचार्ज से लेकर मुख्यमंत्री गुजरात तक को लिखा है — बी.जे.पी. के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजनाथ सिंह, महामहिम राज्यपाल गुजरात, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति महोदया के यहाँ से चीफ सेक्रेटरी गुजरात को पत्र भी आया है पर वे उसे दबाकर बैठे हैं, गुजरात में सब रिलायंस की हराम की कमाई डकार कर सो रहे हैं ——— ऐसे पोस्ट पर अंध मोदी भक्त गालियां ही देते हैं क्योंकि वे विचार कर ही नहीं सकते हैं उससे पहले मैं उनसे कुछ बातों पर विचार करने और सही जवाब मांगता हूँ :- ……………………..बी.जे.पी. वाले कोर्ट का हवाला देते हैं मैं उनसे पूछना चाह्ता हूँ क्यों नीरा राडिया टेप मामले पर कार्यवाही नहीं हो रही है ? ? ?..यदि मीडिया बिकी नहीं है तो बंगला कब्जाने वाले इन लोगों ( बी.जे.पी. – कांग्रेस के नेताओं ) का पर्दाफास क्यों नहीं करती है — 2010 से मैं गुजरात में हिंदी विरोधियों से लड़ रहा हूँ ! सभी मीडिया ग्रुप को अप्रोच किया पर किसी ने एक शब्द नहीं लिखा क्योंकि लगभग सब रिलायंस के हाथों बिके हैं !! 41-बी,सेक्टर-6 (निकट – दावड़ा कैंटीन ), रिलायंस टाउनशिप जामनगर ( गुजरात ) में रहने वाले धनंजय शर्मा ( रिलायन्स के हैवी मेंटीनेंस इंजीनियर और सबसे पहले हिंदी फॉन्ट को भारत में लाने वाले ) को रिलायंस से प्रताड़ित होकर राममंदिर के पीछे के तालाब में कूदकर आत्महत्या करना पड़ता है शायद उनके हिंदी प्रेम के ही कारण पर मीडिया बिल्कुल चुप ?… के.डी.अम्बानी विद्या मंदिर रिलायंस स्कूल के फिजिक्स टीचर अकबर मुहम्मद स्कूल क्वार्टर में ही फाँसी लगाकर आत्महत्या कर लेते हैं कहाँ है मीडिया ? ———-बी.जे.पी. आधुनिक कंस और हिंदी विरोधी राजठाकरे से गठबंधन करके केवल उत्तर भारत को ही नहीं बाबा रामदेव को भी धोखा दे रही है —-केजरीवाल ने स्विस बैंक एकाउंट तक बता दिया है और उसे मुकेश अम्बानी ने स्वीकार भी किया है, महँगाई विशेषकर रिलायंस की लूट और मोदी से उनकी नजदीकियाँ जनता अपनी आँखों से देख रही है ! ==–पाँच सालों में एक भी अविश्वास प्रस्ताव बी.जे.पी. कांग्रेस के खिलाफ क्यों नहीं ला सकी ?—– === क्यों मोदी अप्रैल में बढाने जाने वाले डीजल-पेट्रोल और गैस के रिलायन्स कम्पनी के निर्णय पर चुप हैं ? ? ?