बात-चीत से कुछ नहीं होगा,अब तो सीधा वार करो |

0
346

बात-चीत से कुछ नहीं होगा,अब तो सीधा वार करो | 
बात-चीत का समय खत्म है,अब तो करारी चोट करो ||

लातो के भूत बातो से न माने,अब तुम क्यों बात करो ?
पहले भी बात हुई थी,उनके परिणामो पर जरा गौर करो ||

मिली है छूट अब सेना को,थोडा अब तुम इंतजार करो | 
बात करने इमरान भी आये, उसका तुम बहिष्कार करो ||

मरवाया है जिन शहीदों को, उन जयचंदों को खत्म करो |
अच्छा मौका है अब,धारा तीन सौ सत्तर को खत्म करो ||

दर्द जानो उन मात-पिता का,जिनका बेटा शहीद होता है | 
वे नेता उनका दर्द क्या जाने,जिनका बेटा  नहीं होता है ||

क्यों होता है शहीद गरीब का,क्यों नहीं नेताओ का होता है |
एक नाम बताओ उस नेता का, जिसका बेटा शहीद होता है ||  

सबूत देने का समय नहीं है,अब तुम पाक का संहार करो |
आर पार की लड़ाई लड़नी है,अब तुम किस्सा खत्म करो || 

Previous articleक्यों बर्बाद हुआ अपना कश्मीर
Next articleनामवर सिंह : मुझे जमाने से कुछ भी शिकवा नहीं
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here