अनुज हनुमत ‘सत्यार्थी’
आज भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिशाइल मैंन अब्दुल कलाम साहब हमारे बीच नही हैं । वो अक्सर कहा करते थे की, “सपने वे नहीं जो हम सोते समय देखते हैं ।सपने तो वो हैं, जो हमें सोने नहीं देते ।” जी हाँ उन्होंने इस कथन को अपने कठिन व अनुशासित जीवन शैली के माध्यम से बखूबी समझाया । कलाम साहब जैसा व्यक्तित्व निःसंदेह अब इस धरा पर वापस नही लौटने वाला लेकिन उनका कार्य उन्हें हमेशा जीवित रखेगा । देश की संप्रभुता और अखण्डता को आगे भविष्य के लिये अटल बनाने वाले कलाम सर का आज जन्मदिन है और पूरा देश हर्षोल्लास के साथ उनका जन्मदिवस मना रहा है ।
कलाम सर का पुरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाबदीन अब्दुल कलाम आजाद था । उन्हें सभी डॉक्टर ए॰ पी॰ जे॰ अब्दुल कलाम (15 अक्टूबर 1931 – 27 जुलाई 2015) कहते थे । सबसे खास बात यह की इन्हें मिसाइल मैन और जनता के राष्ट्रपति के नाम से भी जाना जाता है । कलाम सर भारतीय गणतंत्र के ग्यारहवें निर्वाचित राष्ट्रपति थे और वे भारत के पूर्व राष्ट्रपति, जानेमाने वैज्ञानिक और अभियंता के रूप में विख्यात थे।
इन्होंने मुख्य रूप से एक वैज्ञानिक और विज्ञान के व्यवस्थापक के रूप में चार दशकों तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) संभाला व भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयासों में भी शामिल रहे। इन्हें बैलेस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी के विकास के कार्यों के लिए भारत में मिसाइल मैन के रूप में जाना जाने लगा।
कलाम सर ने1974 में भारत द्वारा पहले मूल परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक निर्णायक, संगठनात्मक, तकनीकी और राजनैतिक भूमिका निभाई ।
राजनीति को अपनी जिंदगी में कभी आवश्यक विषय न मानने वाले कलाम सर कहाँ पता था की आने वाले समय में वह देश के राष्ट्रपति बनेगे ! लेकिन शायद नियति को भी यही मंजूर था और सन् 2002 ई. में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी व विपक्षी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों के समर्थन के साथ कलाम सर भारत के राष्ट्रपति चुने गए। पांच वर्ष की अवधि की सेवा के बाद, वह शिक्षा, लेखन और सार्वजनिक सेवा के अपने नागरिक जीवन में लौट आए। इन्होंने भारत रत्न, भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त किये। सबसे खास बात यह है की कलाम सर पहले ऐसे राष्ट्रपति थे जो अविवाहित थे ।
जब एक वैज्ञानिक बना राष्ट्रपति :-
वो तो राजनीति का शुभ संयोग व सौभाग्य ही था कि कलाम सर का नाम राष्ट्रपति पद के लिए उभरा । दीगर उम्मीदवारों के नाम उलझते गए फसानों में । कभी भाजपा, कभी वाजपेयी तो कभी विपक्ष के धड़ों में ना-नुकुर. जब कलाम सर का नाम बतौर कंसेंसस कैंडीडेट आया तो भी वामपंथी माने नहीं और कैप्टन लक्ष्मी सहगल जैसे धुरंधर नाम को आगे कर दिया लेकिन नियति को तो कुछ और ही मंजूर था । सारा विपक्ष कलाम सर के साथ हो गया और कलाम एक बड़े अंतर से जीत गए । जीतने के बाद जब कलाम सर से प्रमोद महाजन ने उन्हें पूछा कि आप कौन से शुभ मुहूर्त में शपथ लेना चाहेंगे तब डॉ कलाम ने कहा कि जब तक सौरमण्डल में पृथ्वी अपने कक्ष में विद्यमान है और सूरज के इर्द-गिर्द अपने पथ पर गतिमान है, हर घड़ी शुभ है । इससे पहले महाजन को वह आकाशगंगा की पवित्रता का माहात्म्य बतलाते, महाजन निकल पड़े , उनके लिए हर वक्त व्यस्त था ।
महान सोच :-
कहते हैं ना व्यक्ति अपने कर्मों से ही महान बनता है और एपीजे अब्दुल कलाम उन्हीं महान हस्तियों में से एक थे जिन्होंने अपने जीवन पर्यन्त इतने महान काम किये हैं जो कि हमारे देश की आने वाली पीढ़ियों के लिए किसी अजूबे से कम नहीं है। महात्मा गांधी के बाद लोगों के लिए पूज्यनीय बने कलाम सर के बारे में कहा जाता है कि वे क़ुरान और भगवद् गीता दोनों का अध्ययन करते थे। कलाम सर मानवता के पुजारी थे । इसी कारण उनके व्यक्तित्व के अंदर गीता का ठहराव था तो वहीं वाणी में कुरान की मिठास दिखायी देती थी जिसके चलते वो सबको अपना बना लेते थे। डॉक्टर कलाम अपने व्यक्तिगत जीवन में पूरी तरह अनुशासन, शाकाहार और ब्रह्मचर्य का पालन करते थे जिसकी वजह से ही वो सिर से पांव तक लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत थे। निःसंदेह वो आज अगर होते तो मौजूदा समय के आतंकवाद से बहुत दुखी होते ।
अमर ‘कलाम’ :-
कलाम साहब का दुनिया से चले जाना देश के लिये एक बहुत बड़ी क्षती है। खैर उनकी मौत ने जहां हमें दुखी किया वहीं उनका जीवन हमारे लिये किसी मार्गदर्शन से कम नहीं रहा। डा. कलाम को विमानों से खास लगाव था, उनके वैज्ञानिक बनने के पीछे की प्रेरणा भी एक विमान ही थी। उनके उन्हीं अनुभवों को आज हम आपसे साझा करने जा रहे हैं। बचपन से ही पायलट बनने की शौक रखने वाले कलाम सर महज कुछ् नम्बरो के कारण परीक्षा क्वालीफाई नही कर पाये लेकिन कहते हैं की जिस चीज को आप शिद्दत से चाहते हैं वो आपको जरूर नसीब होती है और ये हुआ जून, 2006 को जब तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने 30 मिनट के लिए लड़ाकू वायुयान सुखोई-30 एमकेआई को उड़ाया था, तो उन्हें देखने वालों की निगाहें आसमान में ठिठक गई थीं। शायद दुनिया ने पहली बार भारत के राष्ट्रपति और मिसाइल मैन के हाथों में विमान की स्टीयरिंग देखी थी। उस समय उनके साथ सहयोगी पायलट विंग कमांडर अजय राठौर थे।
जिस व्यक्ति ने हिन्दूस्तान को एक परमाणु ताकत वाला देश बनाया। अग्नि व पृथ्वी जैसी मिसाइलें दी। वे कहते ही नहीं थे कि महान सपने देखने वालो के सपने हमेशा श्रेष्ट होते है। बल्कि खुद उन्होंने ने मनसा, वाचा, कर्मणा जिन्दगी की आखिरी सांस तक इसे फलिभूत करके भी दिखाया।
इसलिए याद आयेंगे कलाम सर :-
कलाम सर 84 साल के सबसे युवा भारतीय थे। मृत्यु से कुछ क्षण पहले तक उनमें वैसा ही जोश और उत्साह था जैसा आप युवाओं में देखते है। उनकी मृत्यु स्वाभाविक तौर पर ऐसे समय हुई जब वे अपने सबसे प्रिय विषय में युवाओं को संबोधित कर रहे थे। कलाम सर महान भारत के वास्तविक प्रतिक, आदर्श नागरिक और सर्वाधिक सकारात्मक भारतीय थे। कलाम सर के जीवन की सबसे ख़ास बात ये रही की रामेश्वरम में गरीब मछुआरा परिवार में पैदा हुए कलाम अपनी प्रतिभा, मेहनत और लगन के दम पर उंचाई पर पहुँचे। कुछ और बातें जो उन्हें सबसे ख़ास बनाती हैं वो ये की कलाम वीणा वादक और कुरान के साथ-साथ भागवत गीता का बराबर ज्ञान भी जानते थे ।यही नही कलाम सर डीआरडीओ के सचिव भी रहे । देश के राष्ट्रपति भी बने और विज्ञान लेखन में बेस्ट सेलर किताबें भी लिखी ।
पूरे विश्व में करोड़ों लोगो के प्रेरणास्रोत डॉ. कलाम खुद डाक्टर विक्रम साराभाइ, प्रोफेसर सतीश धवन और डाक्टर ब्रम्हप्रकाश को अपना प्रेरणास्त्रोत मानते थे ।कलाम सर के जीवन की सबसे खास बात यह रही की उन्होने अपने जीवन में सिर्फ दो अवकाश लिए – एक पिता और दूसरी माता के निधन पर।
मैंने फेस बुक पर डॉक्टर कलाम को उनके जन्म दिवस,(१५अक्टूबर )पर निम्न निम्न लिखित श्रद्धांजलि अर्पित की थी.:”आज पंद्रह अक्टूबर डॉक्टर ए.पी.जे.अब्दुल कलाम का जन्म दिन है.उस बहु आयामी महाप्राण को मैं आज किस किस रूप में याद करूँ? उनका सम्पूर्ण जीवन एक ऐसा आदर्श प्रस्तुत करता है,जो अतुलनीय है.वे एक कर्म योगी थे.एक विद्वान थे.शास्त्रीय संगीत पर भी उनका पकड़ था.वे एक वैज्ञानिक थे.वे भारत के राष्ट्रपति भी थे,पर मेरे विचार से उनका सर्वोपरि व्यक्तित्व एक शिक्षक का था.उनका अनुकरणीय चरित्र,उनका अगाध ज्ञान ,जिसको वे जब अवसर मिलता था,अगली पीढ़ी तक पहुंचाने में लगे रहते थे, उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी. उस महापुरुष को उनके जन्म दिन पर कोटि कोटि नमन.”