एक गजल -सिगरेट की बदनसीबी

7
263

खुद को जलाकर,दूसरो की जिन्दगी जलाती हूँ मैं
बुझ जाती है माचिस,जलकर राख हो जाती हूँ मैं

पीकर फेक देते है रास्ते में,इस कदर सब मुझको
चलते फिरते हर मुसाफिर की ठोकरे  खाती हूँ मैं

करते है वातावरण को दूषित पीकर जो मुझे
लेते है लुत्फ़ जिन्दगी का बदनाम होती हूँ मैं 

लिखी है वैधानिक चेतावनी,फिर भी पीते है मुझे
उनको कोई कुछ नहीं कहता,गालिया खाती हूँ मैं

किसने बनाया है मुझे,किसने जहर भरा है मुझमे
मैं एक बदनसीब सिगरेट हूँ,बदनसीबी पाती हूँ मैं

तम्बाकू है मेरा बड़ा भाई,कागज है मेरा छोटा भाई
मैं उनकी सगी बहन हूँ,एक अजीब रिश्ता पाती हूँ मैं

समझाता है रस्तोगी,ये सेहत के लिये नहीं है मुफीद
पीते पिलाते है मुझको,कैंसर की बीमारी लाती हूँ मैं

आर के रस्तोगी 

Previous article“विद्यायुक्त सत्य वैदिक धर्म की उन्नति में बाधायें”
Next articleस्वतंत्रता को सार्थक दिशाएं देनी होगी
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

7 COMMENTS

  1. डॉ. मधुसूदन जी ,नमस्कार
    प्रंशसा के लिये बहुत बहुत धन्यवाद| अगर इस तरह की हौशला अफजाई मिलती रहेगी तो मेरी कलम भी चलती रहेगी |

  2. प्रवाही लय के साथ अर्थ भी उत्तम !
    वाह रस्तोगी जी वाह!.
    यह मंच पर सफल प्रस्तुति, और वाह वाही दिलाने वाली गज़ल है.
    लिखते रहिए.
    शुभेच्छाएँ

    • डॉ. मधुसूदन जी ,नमस्कार
      प्रंशसा के लिये बहुत बहुत धन्यवाद| अगर इस तरह की हौशला अफजाई मिलती रहेगी तो मेरी कलम भी चलती रहेगी |

  3. नमस्ते जी,
    आपके​ विचार बहुत ही उत्तम लगे,
    समाज के ​सुधार के लिए आप लिखते हैं, यह यथार्थ में बहुत ही सराहनीय कदम है। ईशकृपा से आप आपका जीवन मंगलमय हो तथा इसी प्रकार से प्रेरणाप्रद तथ्यों को समाज के सम्मुख प्रस्तुत करते रहें, बहुत—बहुत आभार एवं धन्यवाद

    • डॉ. मधुसूदन जी ,नमस्कार
      प्रंशसा के लिये बहुत बहुत धन्यवाद| अगर इस तरह की हौशला अफजाई मिलती रहेगी तो मेरी कलम भी चलती रहेगी |

    • श्री शिवदेव आर्य जी
      नमस्कार
      प्रंशसा के लिये बहुत धन्यवाद | 10 अगस्त को आपसे बात करने का प्रयास किया था पर आपसे बातचीत नहीं हो सकी आपने भी लिखा था की मै कुछ समय के बाद बात करूँगा |

Leave a Reply to Ram Krishan Rastogi Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here