कविता

आज के दफ्तरों पर एक कुण्डली

अफसर करे न अफसरी,बाबू करे न काम | 
चपरासी भी सो रहा,लेकर कुर्सी है थाम ||
लेकर कुर्सी है थाम,अब कैसे काम चलेगा |
रिश्वत देने वाला आये,पूरा ऑफिस दौड़ेगा ||
कह रस्तोगी कविराय,कैसे सुंदर अवसर |
ऊपर से नीचे तक भ्रष्ट है सब अफसर ||

आर के रस्तोगी 
मो 9971006425