संघ का एक सच्चा स्वयंसेवक – संजय जोशी

संघ का एक सच्चा स्वयंसेवक कैसा होता है ? यह जानना चाहते हो तो संजय जोशी जी की कार्य जीवन शैली और संगठन के प्रति उनकी निष्ठा को देख सकते हैं | आपको पता चल जाएगा कि एक सच्चा स्वयंसेवक कैसा होता है | संजय जोशी संघ का वह स्वयंसेवक है, जो अपने नाम से नहीं, बल्कि संगठन में किये गए अपने काम से पहचाना जाता है | जो बिना किसी भेदभाव के सभी कार्यकर्ताओं को समान दृष्टि से देखता है | हर मौसम में, हर परिस्थिति में एक सच्चे स्वयंसेवक की रूप में अपने संगठन का कार्य करते रहते है | आज के समय में हर व्यक्ति अपने अधिकार के बारे में सोचता है | लेकिन संगठन के प्रति उसका कर्तव्य क्या होना चाहिए ? उसके बारे में कोई नहीं सोचता | पद प्रतिष्ठा प्राप्त करना सभी चाहते हैं, लेकिन उस पद की गरिमा रखने हेतु अपने कर्तव्य का पालन करना कोई नहीं चाहता | आराम व विलासिता के साधन सबको चाहिए, लेकिन मेहनत करना कोई नहीं चाहता | इसके विपरीत संजय जोशी संघ का वह स्वयंसेवक है, जो अपने अधिकारों की चिंता किए बिना, अपने कर्तव्य को पूरा करने में लगा रहता है | जो दिन-रात निस्वार्थ भाव से इसी चिंतन में लगा रहता है, कि संगठन को कैसे मजबूत किया जा सके | आज के समय में कोई व्यक्ति छोटा सा पद प्राप्त कर लेता है तो अभिमानी हो जाता है | पद के अभिमान में इतना चूर हो जाता है, कि अपने कार्यकर्ताओं का काम करना तो दूर, उनको मुलाकात करने का समय भी नहीं देता है | लेकिन इसके विपरीत संजय जोशी भारतीय जनता पार्टी के सर्वोच्च पद (राष्ट्रीय महासचिव संगठन) पर रहने के बाद भी उनमे अभिमान नाम की कोई चीज देखने को नहीं मिलती | कार्यकर्ताओं को संजय जोशी जी से मुलाकात करने के बाद इतनी संतुष्टि होती है, कि वे किसी नेता से नहीं, अपितु अपने बड़े भाई से मिलाने आये हो | इतने बड़े पद पर होने के बाद भी हमेशा साधारण स्वयंसेवक की भांति ही काम करते आये है | आज भी वे बिल्कुल साधारण रूप में ही कार्यकर्ताओं से मिलते दिखाई देते है | आप कभी संजय जोशी जी से मिलने गए होंगे, तो आपने अनुभव किया होगा कि आप किसी नेता से नहीं, बल्कि संघ के किसी सच्चे स्वयंसेवक से मिल रहे हो | हमेशा आपको संजय जोशी के पास अपनत्व का भाव ही मिला होगा | आपने अनुभव किया होगा कि संजय जोशी जी के यहां कोई भी वीआईपी कल्चर नहीं है | वे अपने कार्यकर्ताओं से समान रुप से मिलते हैं | उनकी नजर में आपको कोई भी छोटा बड़ा नजर नहीं आएगा | कार्य करने का यही तरीका उन्हें एक सच्चे स्वयंसेवक के रूप में पहचान दिलाता है | कभी संघ के एकत्रीकरण को होते आपने देखा होगा जहां सभी स्वयंसेवक एकत्रित होकर संगठन व आने वाले कार्यक्रमों के विषय में चर्चा करते हैं | वैसे ही हर रोज संजय जोशी जी के आवास पर कार्यकर्ताओं का एकत्रीकरण होता रहता है | जहां कार्यकर्ता को अपने विचार रखने का समान अवसर प्राप्त होता है | आज किसी भी पद न होने के बाद भी संजय जोशी एक सच्चे स्वयंसेवक के रूप में कार्य कर रहे हैं | कार्यकर्ता अपने प्रश्नों एवं अपनी समस्याओं को संजय जोशी के सामने रखते है | उसके बाद संजय जोशी जी उन प्रश्नों एवं समस्याओं के समाधान हेतु अपनी तरफ से सुझाव देते है | उन सुझाओं से कार्यकर्त्ता अपने आप को संतुष्ट महसूस करते है | अपने कार्यकर्त्ताओं की संतुष्टि करवाना ही, एक सच्चे स्वयंसेवक का कर्त्तव्य होता है | उसी कर्तव्य का पालन संजय जोशी जी आज तक करते आये हैं |
लेखक
बालकृष्ण उपाध्याय

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