आर्थिकी विविधा

आज की स्वदेशी की मर्यादाएँ

swadeshiडॉ. मधुसूदन

प्रवेश: स्थूल सांख्यिकी के आधार पर स्वदेशी पर विचार।
प्रश्न:(१)
क्या कोई देश आज बिना आयात/निर्यात मात्र स्वदेशी के आधारपर आगे बढ सकता है?

उत्तर(१):
आज की परिस्थिति में यह संभव नहीं है।
अभी अभी बने ’तेजस’ का इंजन अमेरिकन है, रेडार और हथियार प्रणाली इस्राइली हैं और इजेक्‍शन सीट ब्रिटिश है। इसके अलावा कई अन्‍य कलपुर्जे बाकी देशों से आयात किए गए हैं।
एक आगे बढा हुआ देश दिखा दीजिए, जो बिना आयात-निर्यात आगे बढा है। ऐसा देश आपको आज मिलेगा नहीं। स्वदेशी के चिन्तकों को इसपर विचार करना चाहिए। अमरिका भी आयात करता है।

प्रश्न (२)
और क्या निर्यात भी आवश्यक है?
उत्तर(२)
औद्योगिक विकास देश की प्रगति की जड है। औद्योगिक विकास के दूषण भी अवश्य हैं।किन्तु उसके कारण औद्योगिक विकास रोका नहीं जा सकता। आज की स्थिति में लेखक को निर्यात के स्पष्ट लाभ दिखाई देते हैं।
औद्योगिक विकास से ही समृद्धि भी आती है। विकास रोकना समृद्धि को रोकने समान है। औद्योगिक विकास से ही प्रजा को रोजी और रोटी मिलती है। आजीविका उपलब्ध होती है। साहस भी उत्तेजित होता है। शासन के दान पर जीवित, आलसी अनुत्पादक प्रजा श्रम करने प्रोत्साहित होती है। उसका साहस बढता है।

प्रश्न (३)
कृषि से सभी कृषकों को आजीविका क्यों उपलब्ध नहीं होती?
उत्तर(३)
हमारी ६० कोटि की जनसंख्या कृषि क्षेत्र में श्रम करती है। इस ६० कोटि जनों का सकल घरेलु (Gross National Product) उत्पाद में मात्र १५ % का योगदान है। सारे १०० प्रतिशत सकल घरेलु उत्पाद का, मात्र १५%!
और बाकी का ८५ % सकल घरेलु उत्पाद अन्य क्षेत्रों से होता है।
और लगभग भारत की आधी(४५ से ५०%) जनसंख्या का जीवन निर्वाह इस १५ % पर निर्भर करता है।
मात्र १५% सकल घरेलु उत्पाद के विक्रय राशि पर ४५% जनता का जीवन ?
अच्छा जब मान्सून की वर्षा अनियमित होती है, तो यह सकल घरेलु उत्पाद का % घटकर १३ से १३.५ % रह जाता है।
प्रश्न (४)
क्या यही कारण है, कि, कृषकों की आत्महत्त्याएँ होती है ?
उत्तर(४)
आप सोचिए; कि, कृषकों की आत्महत्त्याएँ क्यों होती है?१३ से १५ % सकल घरेलु उत्पाद पर ४५% जनसंख्या निम्नतम आजीविका भी जुटा नहीं पाती। जब मान्सून अनियमित होता है, तो कृषकीय उत्पाद घटकर १३% हो जाते हैं। और आत्महत्त्याएँ।

प्रश्न (५) तो क्या भारत कृषि प्रधान देश नहीं है?
उत्तर:(५) जब आज का भारत मात्र कृषिपर निर्भर नहीं रह सकता।
तो भारत कृषि प्रधान देश कैसे है? किस अर्थ मे?
जब ४५% जनसंख्या कृषिपर आधार रखती है; पर उसकी रोटी रोजी ही नहीं निकल सकती।
क्या आत्महत्त्याओं में कृषि की प्रधानता है? सोचिए।