
-अनिल अनूप
पुलवामा में सीआरपीएफ जवानों की हत्या के बाद एक बार फिर पाकिस्तान के आतंकी चेहरे पर चर्चा गर्मा गई है। भारत सरकार और सेना ने पाकिस्तान में सक्रिय आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करके सभी आतंकी संगठनों को खत्म करने का संकल्प ले रखा है। भारत की सभी खुफिया एजेंसियों ने अपने-अपने तरीके से पाकिस्तान में भारत के खिलाफ सक्रिय आतंकियों के ठिकानों का विवरण तैयार करने का फैसला किया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि पाकिस्तान में जो आतंकी संगठन भारत के खिलाफ सक्रिय हैं उनको तो संरक्षण पाक सेना प्रतिष्ठान का है। जिस तरह रक्षा अकादमी से सेना के अधिकारी टेनिंग लेते हैं उसी तरह आतंकी संगठनों के ट्रेनिंग सेंटर हैं और उन्हें सारी सुविधाएं पाक सेना व आईएसआई उपलब्ध कराती है। पाकिस्तान के आतंकी संगठन जो भारत के खिलाफ सक्रिय हैं वह पाक सेना के तीनों अंगों (थल, नभ एवं जल) के अलावा चौथा महत्वपूर्ण जेहादी अंग है। इसीलिए पाकिस्तान में सेना प्रतिष्ठान भारत के खिलाफ सक्रिय आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन और हरकत उल मुजाहिद्दीन को अपना लड़ाकू चौथा अंग मानता है जिन्हें वह जेहादी कहता है।
26 फरवरी को जब भारतीय वायुसेना ने जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग सेंटरों पर हमला करके उन्हें नष्ट किया तो पाक सेना की नाराजगी स्वाभाविक थी। इसीलिए पाक वायुसेना ने एफ-16 युद्धक विमान भेजकर भारतीय सेना के ठिकानों को निशाना बनाने की असफल कोशिश की। मतलब यह कि भारत यदि पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर हमले करेगा तो पाक सेना भारत के सैन्य ठिकानों को निशाना बनाएगी। ऐसा इसीलिए है क्योंकि पाक सेना भारत के खिलाफ युद्ध अपने जेहादी लड़ाकों के माध्यम से लड़ रही है और यदि जेहादियों को भारतीय सेना निशाना बनाएगी तो पाक सेना का भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाना स्वाभाविक है।
असल में 1971 में युद्ध हारने के बाद पाक सेना को इस बात का अहसास हो गया कि अब वह परंपरागत युद्ध में भारत को कभी भी पराजित करने में सफल नहीं होगी। इसीलिए तत्कालीन तानाशाह जनरल जिया उल हक ने दो काम शुरू किए। पहला तो यह कि सेना में उर्दू भाषा के माध्यम से पढ़े युवकों को कमीशन प्राप्त अधिकारी बनने की छूट दे दी ताकि सेना में वर्दी वाले मुल्लों की संख्या बढ़ सके तथा दूसरा काम भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों के माध्यम से कम लागत पर युद्ध लड़ने के लिए जेहादी सरगनाओं को प्रोत्साहित किया। उसी वक्त अफगानिस्तान में मुजाहिद्दीनों को धन और असलहे उपलब्ध कराने का ठेका अमेरिकी प्रशासन ने जिया उल हक को सौंप दिया। यही कारण है कि कश्मीर में जो आतंकी हमले 1979 में होते वह 10 वर्ष आगे टल गए और 1989 में तब शुरू हुए जब अफगानिस्तान में मुजाहिद्दीन ने सोवियत सेना को वापस भेज दिया। पाक सैन्य तानाशाह जनरल जिया उल हक ने तो बहुत पहले ही कश्मीर में जेहादी संगठनों के माध्यम से युद्ध छेड़ने की योजना बना डाली थी किन्तु संयोग से यह काम सेना और आईएसआई ने 1989 में बेनजीर भुट्टो के शासनकाल में शुरू किया। पाकिस्तान की सेना ने इस देश को सिक्योरिटी स्टेट घोषित कर दिया है इसलिए वहां चुनी हुई सरकार की भारत के खिलाफ सक्रिय आतंकियों को राजनीतिक संरक्षण देना मजबूरी है। जनरल जिया उल हक ने बेनजीर भुट्टो के पिता को फांसी दी थी। उनकी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी का नारा था कि `भुट्टो हम शर्मिंदा हैं तेरे कातिल जिन्दा हैं’ किन्तु जनरल जिया उल हक के भारत विरोधी रणनीति पर पाबंदी लगाने का साहस बाद में प्रधानमंत्री बनीं बेनजीर भी नहीं कर पाईं। इसीलिए आतंकवाद पाकिस्तान की राष्ट्रीय रणनीति का हिस्सा है। पाकिस्तान में इन दिनों कुल 48 आतंकी संगठन सक्रिय हैं। कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के अखबार डान न्यूज में प्रकाशित एक विश्लेषण में स्पष्ट किया गया था कि देश में तीन तरह के आतंकी संगठन सक्रिय हैं। पहला अफगानिस्तान के खिलाफ दूसरा पाकिस्तान के अंदर ही हमला करने वाले और तीसरे कश्मीर में जेहाद करने वाले। डान न्यूज के इस विश्लेषण के बाद चौथे तरह के आतंकी भी पाकिस्तान में सक्रिय हो गए हैं और वह हैं ईरान के खिलाफ हमला करने वाले। एक अन्य अध्ययन के मुताबिक पाकिस्तान में मौजूद सक्रिय आतंकियों को तीन प्रकार से बांटा गया है। पहले प्रकार के वह आतंकी हैं जो पाकिस्तान की धरती पर ही पैदा हुए। दूसरे तरह के वह आतंकी हैं जिनके जनक तो दूसरे देश हैं किन्तु उनका सारा काम पाक में ही है। तीसरे तरह के आतंकी वह हैं जिन्हें कश्मीर व भारत में हमले के लिए पाकिस्तान में ही संगठित किया गया है। इसी अध्ययन के मुताबिक पाकिस्तान में पैदा हुए आतंकी संगठनों की संख्या 12 है जबकि दूसरे देशों से आकर पाकिस्तान में आधिकारिक तौर पर पलने वाले आतंकियों की संख्या 32 है। इसके अलावा पाकिस्तान में आधिकारिक तौर से पलने वाले आतंकी संगठनों की संख्या चार है। इस तरह पाकिस्तान में इस वक्त कुल 48 आतंकी संगठन सक्रिय हैं। पाकिस्तान आज कितना विरोधाभासी देश बन चुका है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि जब आर्थिक रूप से कंगाल सरकार को अपने देश के आतंकी संगठनों को आर्थिक सहायता इसलिए देनी पड़ती है ताकि वह भारत एवं कश्मीर में विध्वंसक गतिविधियां जारी रख सकें। विश्व की तमाम अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से कर्ज मांगने वाले देश की सेना अपने पड़ोसियों को आतंकित करने के लिए वित्त-पोषित आतंकी संगठन पाले हुए है। पाकिस्तान इस वक्त भारतीय सेना द्वारा की गई कार्रवाई से भयभीत इसीलिए है क्योंकि पाक सेना भारतीय वायुसेना द्वारा जैश के ठिकानों पर हमले को अपने खिलाफ मान रही है जबकि पूरी दुनिया में फजीहत इमरान सरकार की हो रही है। पाक सेना को युद्ध लड़ने का अनुभव नहीं है। इसीलिए वह भारत के खिलाफ अपने जेहादी संगठनों को सक्रिय किए हुए है किन्तु यदि भारत ने यह तय कर लिया है कि वह अपने खिलाफ सक्रिय आतंकी संगठनों के सरगनाओं और उनके ठिकानों को चुन-चुनकर खत्म करेगा तो निश्चित रूप से इमरान खान और पाक के अन्य राजनेताओं के न चाहने के बावजूद दोनों देशों के बीच टकराव और बढ़ेगा। सच पूछें तो भारत ने भले ही आतंकी संगठनों के खिलाफ युद्ध तेज कर दिया है किन्तु पाक सेना इसे अपने खिलाफ ही मान रही है। यही कारण है कि असली खुराफात की जड़ पाक सेना है। इसीलिए जब तक पाकिस्तान की सेना कमजोर नहीं हो जाती तब तक भारत की चिन्ताएं दूर नहीं हो सकतीं।