बड़े आदमी की पोती होने का फ़ायदा.

grandवैसे तो बड़े आदमी का कुछ भी होने का बड़ा फ़ायदा होता है। जैसे की, बड़े आदमी का बीबी होने का फ़ायदा। बड़े आदमी का माँ होने का फ़ायदा| बाप होने का फ़ायदा। दोस्त होने का फ़ायदा| सबसे बड़ा दामाद होने का या चमचा होने का फायदा| पर, बड़े आदमी की पोती होने का भी बड़ा फ़ायदा होता है, ये पहली बार समझ में आया। बोले तो बड़े आदमी का पोती पैदा होते से ही बड़ा इंटेलीजेंट होता है। अब, अमिताभ बच्चन का पोती बोले तो 14 महने का है, पर, टेबलेट पर मनपसंद नर्सरी का धुन लगा लेता है। रिमोट हाथ में लेकर टीव्ही लगाने का ईशारा करता है| अमिताभ ब्लॉग पर लिखा तो वो न्यूज बन गया। वो ये नहीं बताया की जब सू सू आता है तो क्या ईशारा करता है या जब पॉटी आता है तो स्लीपर पहनकर बॉथरुम जाता है की नहीं? वैसे अपुन का पोती जब 6 महीने का था तो डॉक्टर के पास लेकर गया तो डॉक्टर का स्टेथिस्कोप पकड़ कर खेलने लगा। अपुन को लगा वो पक्का डॉक्टर बनेगा। अपुन, अपने घर दोस्त आया, उसको बताया की पोती डॉक्टर का स्टेथिस्कोप पकड़ कर खींचा है, वो पक्का डॉक्टर बनेगा। दोस्त हो हो करके हंस दिया। बोला, कल को कोई हाथी निकलेगा और तुम्हारा पोती उसको देखकर दोनों हाथ बढ़ाएगा तो क्या वो महावत बनेगा? अपुन को ऐसा लगा मानो कोइ तीर सीने से निकलकर सोफे से होते हुए दीवार में धंस गया है। दोस्त समझ गया, बोला बुरा मानने का नहीं, अभी वो बहुत छोटा है| बड़ा होने पर क्या बन्ने का , उस पर छोड़ दो। पर, अपुन को पूरा भरोसा है की अपुन का पोती भी बहुत इंटेलीजेंट है। कायकू, इस वास्ते की 6 महने की उमर में ही वो दो बार अपुन का चाय गिरा दिया| पक्का, उसको मालूम था की चाय पीना कोई अच्छी बात नहीं है। दो बरस का होते होते अपुन के दो मोबाईल जमीन पर फेंक कर तोड़ दिया। अपुन समझ गया वो इंटेलीजेंट है, कायकू, कि मोबाईल पर पूरे समय लगे रहना कोई अच्छी बात नहीं है और उससे निकलने वाली रेज हार्ट को नुकसान पहुंचाती हैं, इसी वास्ते उसने दो दो मोबाईल तोड़ दिए। एक साल की उमर से वो अपुन को न्यूज चैनल नहीं देखने देता। पूरे समय कार्टून देखने की जिद करता है, कायकू, उसको मालूम है कि आजकल जो कुछ न्यूज में आता है, उससे टेंशन ही बढ़ता है और वो अपने दद्दू का टेंशन नहीं बढ़ाना मांगता। अब वो चार साल का हो गया है। उसका स्कूल सुबह आठ बजे से लगता है। वो रोज स्कूल जाने से पहले , स्कूल नहीं जाने के लिए रोता है, कायकू उसको मालूम है, पढ़ने लिखने से कोई फ़ायदा नहीं, कितना भी पढ़ लो, पर कोई नौकरी तो मिलने से रही। पढ़ लिख भी गया, नौकरी भी मिल गया तो अपुन जैसे आदमी की पोती को सेफ्टी कहाँ से मिलेगा? अब, आप ही बताओ, अपुन का पोती इंटेलीजेंट है कि नहीं? अपुन सोचा कि ये सब ब्लॉग में लिख दें, लेकिन ब्लॉग भी तो बड़े आदमी का ही पढ़ा जाएगा। न्यूज तो बड़ा आदमी का ब्लॉग ही बनेगा। न्यूज बनने की बात दूर, अपुन का ब्लॉग भी कौन पढ़ेगा?

 

अरुण कान्त शुक्ला

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अरुण कान्त शुक्ला
भारतीय जीवन बीमा निगम से सेवानिवृत्त। ट्रेड यूनियन में तीन दशक से अधिक कार्य करता रहा। अध्ययन व लेखन में रुचि। रायपुर से प्रकाशित स्थानीय दैनिक अख़बारों में नियमित लेखन। सामाजिक कार्यों में रुचि। सामाजिक एवं नागरिक संस्थाओं में कार्यरत। जागरण जंक्शन में दबंग आवाज़ के नाम से अपना स्वयं का ब्लॉग। कार्ल मार्क्स से प्रभावित। प्रिय कोट " नदी के बहाव के साथ तो शव भी दूर तक तेज़ी के साथ बह जाता है , इसका अर्थ यह तो नहीं होता कि शव एक अच्छा तैराक है।"

6 COMMENTS

  1. हमने पढ़ा आपका ब्लाग !
    बिलकुल सहमत आपकी बात से, हमारे ब्लाग भी कहाँ खास पढ़े जाते हैं .बस अपनी लिखास पूरी करते हैं हमलोग..
    बंगाली टोन मे लिखा आपने और मज़ेदार हो गया- बधाई !

  2. वाह भई वाह !! आप तो व्यंग-महारथी निकले। हास्य की पिचकारियाँ छोड़ छोड़ कर पूरी तरह मन को भिगो दिया।
    विश्वास है कि आपकी पोती अवश्य ही नाम कमाएगी ।

  3. बहुत ख़ूब,वाकई आपकी पोती बहत बुद्धिमान है।बहुत सुन्दर व्यंग रचना मज़ा आगया।

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