
मैं जानता हूँ
मेरे जाने के बाद
कौन किस तरह से
करेगा मुझे याद
कोई मन-ही-मन मुस्कुराएगा
कोई ठहाके भी लगाएगा
कुछ को अफ़सोस होगा
तो कोई बहुत पछताएगा
कोई ढूँढ़ेगा मुझे मेरी ग़ज़लों में
कोई प्रेम के पर्यायवाची शब्दों में
पढ़ने मेरी एक और किताब
रब से करेगा कोई फ़रियाद
मैं जानता हूँ
मेरे जाने के बाद
कौन किस तरह से
करेगा मुझे याद
कुछ कहेंगे अभिमानी था
कुछ सोचेंगे स्वाभिमानी था
कुछ कहेंगे आशिक़ भी
कुछ कहेंगे कामी था
देखकर मेरी मुस्कुराती हुई तस्वीर
किसी की आँखों से बहेंगे नीर
कोई हँसेगा याद कर मेरी हँसी
कोई रहेगा हर पल नाशाद
मैं जानता हूँ
मेरे जाने के बाद
कौन किस तरह से
करेगा मुझे याद
आलोक कौशिक