आखिरकार आतंकवाद की जन्मस्थली में मारा गया ओसामा बिन लादेन

नीरज कुमार दुबे

 

आखिरकार दुनिया के नंबर एक आतंकवादी अल कायदा सरगना ओसामा बिन लादेन को दुनिया के नंबर एक देश ने मार गिराया। अपने को बहुत बड़ा बहादुर बताने और समझने वाला ओसामा कितना बहादुर था यह दुनिया ने तब देख ही लिया जब वह डर के मारे एक गुफा से दूसरी गुफा में छिपता फिर रहा था। शायद ओसामा ने अपने हिसाब वाले कोई सदकर्म ही किये होंगे जो वह आतंकवाद की जन्मस्थली पाकिस्तान में मारा गया। ओसामा का मारा जाना आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक बहुत बड़ी कामयाबी है तो है ही साथ ही यह आतंकवाद के प्रतीक पर सबसे बड़ा हमला भी है। जिस तरह भले राजा बूढ़ा हो लेकिन उसके मारे जाने पर भी प्रजा को गुलाम बनना ही पड़ता है उसी तरह आतंकवाद के सबसे बड़े सरगना के मारे जाने पर निश्चित रूप से आतंकवादियों और आतंकवाद के समर्थकों का मनोबल गिरेगा। हालांकि संभावना यह भी है कि वह अपना हौसला पस्त नहीं होने का सुबूत देते हुए विश्व में कहीं भी आतंकवादी वारदात को अंजाम दें। अल कायदा, तालिबान और लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकवादी संगठनों के स्लीपर सेलों की बातें समय समय पर खुफिया एजेंसियां सामने लाती रही हैं। संभव है कि इन्हीं स्लीपर सेलों के माध्यम से किसी वारदात को अंजाम दिया जाए। हमें हाल ही में उजागर हुई अल कायदा की उस चेतावनी को नहीं भूलना चाहिए जिसमें उसने अल कायदा प्रमुख के मारे जाने पर पश्चिम तथा यूरोप पर परमाणु बम हमले की धमकी दी थी। लादेन के मारे जाने से निश्चित रूप से अमेरिका विरोध की भावना अब आतंकवादियों के मन में प्रबल होगी और अमेरिकी नागरिक, अमेरिकी प्रतिष्ठान आदि को सतर्कता बरते जाने की जरूरत है, शायद इसी बात को ध्यान में रखते हुए अमेरिका ने विश्व भर में अपने नागरिकों के लिये यात्रा परामर्श जारी किया है।

 

लादेन का पाकिस्तान में पकड़ा जाना और मारा जाना पाकिस्तान सरकार के उन दावों को भी झूठा साबित करता है कि लादेन पाकिस्तान में नहीं है या फिर लादेन मारा जा चुका है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और सरकार समय समय पर यही बात दोहराते रहे हैं कि लादेन पाकिस्तान में नहीं है। यही नहीं पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और वर्तमान राष्ट्रपति तो यहां तक कह चुके हैं कि उन्हें लगता है कि लादेन मर चुका है। लादेन की अनुपस्थिति और उसके मारे जाने की झूठी बात को बार बार कह कर पाकिस्तान ने इसे सच बनाने की कोशिश की लेकिन आखिरकार पाकिस्तान का असली चेहरा सबके सामने आ ही गया। यह तो बहुत ही अच्छा हुआ कि अमेरिका ने लादेन पर कार्रवाई की बात पाकिस्तान सरकार के साथ साझा नहीं की वरना वह उसे वहां से भगा देती। गौरतलब है कि लादेन के मारे जाने के बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जरदारी को इस बारे में जानकारी दी। आईएसआई प्रमुख शुजा पाशा ने भी हाल ही में अपने अमेरिकी दौरे के समय इस बात के भरसक प्रयास किये कि अमेरिका पाक में ड्रोन हमलों को रोक दे लेकिन अमेरिका जानता था कि पाकिस्तान यह निवेदन क्यों कर रहा है।

 

अब अमेरिका को यह बात समझनी चाहिए कि कैसे पाकिस्तान उसे कई वर्षों से ओसामा की मौजूदगी के बारे में गुमराह करता रहा जबकि पाकिस्तान से उसे सुरक्षित तरीके से छिपा रखा था। ओसामा जहां मिला वह स्थान पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद के पास है और वह ऐसा इलाका है जहां सामान्य तौर पर सेना के शीर्ष सेवानिवृत्त अधिकारी रहते हैं। अब दुनिया के सामने पाकिस्तान का वह झूठ भी सामने आ गया है जिसमें वह दाऊद इब्राहिम और मुंबई हमले के कुछ आरोपियों की अपने यहां उपस्थिति की बात से इंकार करता रहा है।

 

दुनिया के सामने पाकिस्तान का सच सामने आने के बाद अब यह भारत के लिए सही समय है कि वह मुंबई हमले के दोषियों को उसे (भारत को) सौंपने के लिए दबाव बनाये और सीमा पर मौजूद आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों पर कार्रवाई के लिए दबाव बनाये या फिर खुद ही कार्रवाई कर इन आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को ध्वस्त कर दे क्योंकि गर्मियां शुरू हो चुकी हैं और अब पाकिस्तान की ओर से घुसपैठ के प्रयास शुरू होंगे। भारत सरकार को पाकिस्तान से वार्ता शुरू करने की बजाय दीर्घकालीन दृष्टि से सोचना चाहिए और पाकिस्तान में मौजूद अपने लिए खतरों को खत्म करने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।

 

हमें अमेरिका से यह बात सीखनी चाहिए कि वह अपने नागरिकों पर हमलों की बात को भूलता नहीं है और उसका बदल ले कर रहता है। 9/11 को भले दस साल हो गये हों लेकिन अमेरिकी सरकार के लिए उसके जख्म हमेशा ताजा रहे और उसने आखिरकार ओसामा को मार कर बदला ले लिया जिसके बाद ओबामा ने बयान दिया कि अमेरिका ने न्याय कर दिया है। हमारे यहां तो यदि किसी को मृत्युदंड सुना भी दिया जाता है तो भी उसे जिंदा रखा जाता है कि कहीं वोट बैंक प्रभावित न हो जाए। भारत दुनिया में आतंकवाद से सर्वाधिक पीडि़त रहा है लेकिन आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में नगण्य रहा है। आज भी अफजल और अजमल कसाब को जिंदा रखा गया है। यदि उन्हें सजा सुनाए जाने के तत्काल बाद मौत के घाट उतार दिया गया होता तो आतंकवाद पीडि़तों को बड़ी राहत पहुंचती। हमारे यहां तो माओवादियों अथवा नक्सलियों के खिलाफ भी यदि सैन्य बल कोई कार्रवाई कर देते हैं तो मानवाधिकार कार्यकर्ता उसे मुद्दा बना देते हैं।

 

बहरहाल, हमें आतंकवाद के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई के लिए अमेरिका की सराहना तो करनी ही चाहिए साथ ही सतर्कता भी बरतनी चाहिए। हमें चाहिए कि बाजार, पर्यटन स्थलों और धर्म स्थलों पर अत्यधिक सतर्कता बरतें क्योंकि आतंकवादी तथा उन्मादी अपनी ताकत दिखाने के लिए किसी भी हिंसक वारदात को अंजाम दे सकते हैं। हमें सुरक्षा एजेंसियों की जांच के दौरान भी सहयोग देना चाहिए।

 

दूसरी ओर, आतंकवाद के खिलाफ मिली यह सबसे बड़ी सफलता बराक ओबामा के लिए सबसे ज्यादा राहत लेकर आई है। वह घरेलू मोर्चे पर काफी चुनौतियों से जूझ रहे थे और अगले वर्ष होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में भी उन्हें कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद की जा रही थी क्योंकि विभिन्न सर्वेक्षणों में उनकी लोकप्रियता में कमी आने की बात कही गई थी। लेकिन अब ओबामा के मारे जाने के बाद ओसामा के लिए पुनः निर्वाचन की राह आसान हो गई है। हालांकि उन्हें इस सफलता का श्रेय कुछ हद तक पूर्व राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश को भी देना चाहिए क्योंकि उन्हीं के कार्यकाल में अफगानिस्तान और पाकिस्तान के कुछ क्षेत्रों में अमेरिकी सेना के नेतृत्व में नाटो बलों की तैनाती हुई। बुश ने आतंकवाद के खिलाफ जो आपरेशन चलाया उसे अंजाम तक ओबामा ने पहुंचाया। बुश को जहां अपने कार्यकाल में सद्दाम हुसैन मामले में सफलता मिली वहीं ओबामा को ओसामा को मारने में सफलता मिली। लेकिन इन दोनों सफलताओं में एक बहुत बड़ा फर्क यह है कि जहां आधी से ज्यादा दुनिया सद्दाम को मारे जाने की विरोधी थी वहीं समूची दुनिया ओसामा के मारे जाने से खुश है।

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नीरज कुमार दुबे
नीरज जी लोकप्रिय हिन्दी समाचार पोर्टल प्रभासाक्षी डॉट कॉम में बतौर सहयोगी संपादक कार्यरत हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक की शिक्षा हासिल करने के बाद आपने एक निजी संस्थान से टीवी जर्नलिज्म में डिप्लोमा हासिल कीं और उसके बाद मुंबई चले गए। वहां कम्प्यूटर जगत की मशहूर पत्रिका 'चिप' के अलावा मुंबई स्थित टीवी चैनल ईटीसी में कार्य किया। आप नवभारत टाइम्स मुंबई के लिए भी पूर्व में लिखता रहे हैं। वर्तमान में सन 2000 से प्रभासाक्षी डॉट कॉम में कार्यरत हैं।

6 COMMENTS

  1. This comment was written for some American News paper and it has got already published in internet edition of the Washington Post. Thinking that it may not be out of place to reproduce the same comment here I am taking liberty to send it to Pravkta
    “In early stages of war against terror, which was synonymous with capturing or getting rid of Osama Bin Laden so far as America was concerned, Pakistan Government, rather its military establishment thought that Osama Bin Laden would be captured in no time and perhaps they kept themselves limited to some clandestine help here and there in making him escape. It was in that period that Osama was found escaping from American’s siege of area, sometimes by his intelligent move or sometimes by sheer luck, in this game of hide and seeks. In this way sometime passed. At that those early stages also, it may not be wild thought that some individuals in the Pakistan establishment helped Osama to escape, but as time lapsed and Osama could not be caught, perhaps a grand design was hatched by the rulers of Pakistan. They thought that, though now Osama had established himself as a big fugitive, there is every likely hood that sooner or later he would be caught. Why not to make him complete safe so that Americans never reach him and we go on blackmailing them in the guise of helping them in catching Osama and continue to thrive on US aid. This seems to be the only reason to hide him in the vicinity of Military Academy, one of the safest places in whole of Pakistan. If somebody tells even now that he was hiding without knowledge of actual rulers of Pakistan i.e. its Army and ISI ,then either he is living in fools or considering others fool. Nobody in his wildest thought could have imagined that Osama was hiding there. Almost a decade passed, but perpetual failure of successive regime of America in capturing Osama made them to think about the improbable. It seems that somebody in present American establishment has a mind of detective story or novel writer and he or a group of them thought something which is unimaginable. Perhaps constant failure and disbelief on Pakistan had made them wiser by the passing of time. Result is. Osama Bin Laden is killed. In my opinion the actual brain working behind this theory was none other, but the brain of the President ओबामा”

  2. अंतराष्ट्रिय मंच पर हमे अमेरिकी दादागिरी के विरुद्ध इस्लाम का साथ देना चाहिए। अमेरिका यानी ईसाइयत की बढती सामरिक शक्ति पर लगाम कसा जाना जरुरी है।

  3. भाई दुबे जी आपने जो लिखा वह तो ठीक है पर सवाल कुछ और भी हैं जिन पर विचार होना चाहिए. जो मरा वह लादेन था भी या नहीं ? क्या लादेन आज तक ज़िंदा था? अगर होता तो अपने सहायकों के क्लिप क्यूँ जारी करता रहा, अपने क्यूँ नहीं ? एक और बात भी है खलने वाली. लादेन का चेहरा मोहरा महिलाओं जैसा कोमल था. टी.वी. पर दिखाई लाश का चेहरा तो लादेन की तुलना में बहुत कठोर था, वह काफी जवान लग रहा था जो की नहीं लगना चाहिए था. लादेन की दाढ़ी काफी सफ़ेद होनी चाहिए थी पर इस नकली (?) लादेन की तो थी नहीं. डी.एन.ए के बारे में कह दिया गया की वह लादेन का ही था. लाश तो नष्ट कर दी अब कोई कहे तो कहता रहे की डी.एन.ए की रपट झूठी है.
    – अमेरिका जैसे अनेक मुख वाले असुर की हर कथनी-करनी में कोई गहरा राज़, कुटिलता छुपी होती है. अतः इस घटना के पीछे भी कुछ क्या बहुत कुछ छुपा हो सकता है जो कभी तो सामने आही जाएगा. बस अपनी आँखे खुली रखिये. बिके हुए मीडिया की नहीं अपनी विवेक बुद्धि से घटनाओं को परखने का प्रयास करना होगा.

  4. ओसामा हरे आतंकवाद का चेहरा था । ओबामा सफेद आतंकवाद का चेहरा है। दोनो राक्षस है।

  5. धन्यवाद दुबे जी. बिलकुल सही कह रहे है. भारत को इस कार्यवाही से सबक लेना चहिये. पहली बार प्रवक्ता पर अमेरिका की कारवाही की तारीफ कर रहा हूँ.
    हम क्यों उन देश द्रोही, देश की संसद पर, मुंबई पर हमला करने वालो को फांसी की सजा नहीं दे देते जो की हमारे कब्जे में है. हम क्यों चुपचाप बैठे रहते है और आशा करते है की पाकिस्तान हमें हमारे अपराधी सौप देगा. हक़ लड़कर लेना पड़ता है. जवाब देना पडता है. हमारी एक कठोर कारवाही पाकिस्तान को हिला कर रख देगी. जिस प्रकार कुछ कुछ कंकड़ पत्थर लेकर बच्चा कोई युद्ध नहीं जीत सकता है वैसे ही कुछ मिसाइल से पाकिस्तान भारत को डरा नहीं सकता है. जरुरत है अपने स्वाभिमान को जिन्दा रखने की.
    जय हिंद, जय भारत.

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