अखिलेश के मन की पीड़ा

0
145

पहले पकड़ा था राहुल का हाथ,
उसने भी न दिया था मेरा साथ|
इस बार माया के हाथी पे बैठा,
उसने भी घुमा कर मारी लात ||

दोनों तरफ से मेरा बुरा हुआ ,
किसी न दिया है मेरा साथ |
मैंने अपनी खुद नाव डुबोई ,
इसलिए मैंने खाई है मात ||

जिसकी थी जीरो सीट,
उसको हो गयी पूरी दस |
मेरी तो पांच रह गयी,
कैसे भंवर में गया फस ||

पत्नि भी मेरी हार गयी ,
कन्नोज ने न दिया साथ |
चचेरे भाई भी हार गये ,
अब मै किससे करू बात ||

मुलायम बोले :-

तुझे पहले भी समझाया था,
अब भी तुझे समझा रहा हूँ |
तूने परिवार से अलग होकर ,
पकड़ा था दूजो का हाथ ||

जो सगे बाँप का नहीं हुआ ,
वह फिर देश का क्या होगा |
ऐसे नेताओ का तो अब,
उनका हाल अब यही होगा ||

आर के रस्तोगी
मो 9971006425

Previous articleराष्ट्रवाद के प्रेरक : वीर सावरकर
Next articleऋषि दयानन्द अविद्या निवारणार्थ विद्या-अविद्या का प्रकाश किया
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here