अमेरिकी मीडिया में अब नरेंद्र मोदी के कसीदे

भारत के नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेशों में खूब प्रशंसा जारी है। चाहे वहां के राष्ट्राध्यक्ष हों या विदेशी मीडिया, सब जगह नरेंद्र मोदी का गुणगान है। राजनीतिक, आर्थिक, प्रौद्योगिक, औद्योगिक और राजनयिक क्षेत्रों में नरेंद्र मोदी की रचनात्मक कार्यप्रणाली की व्याख्या हो रही है। कल तक जिसे ‘खतरनाक आदमी’ बताया जा रहा था, आज उसमें महानायक दिखाई देने लगा है। अमेरिकी मीडिया ने तो प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह को व्यापक कवरेज दिया और दक्षिण एशियाई देशों के नेताओं को आमंत्रित करने के उनके फैसले की खूब सराहना की है।
वाशिंगटन पोस्ट ने कहा कि सितंबर में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद प्रौद्योगिकी प्रेमी मोदी ने भारत के इतिहास में तकनीक पर आधारित महत्वाकांक्षी राजनीतिक अभियान चलाया और 180,000 मील से अधिक का सफर तय करते हुए 5,000 से अधिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। सीएनएन ने भी कहा है कि भारत के नए नेता ने ये उम्मीदें भी जगाई हैं कि उनकी सरकार भारत की मंद अर्थव्यवस्था को बदलने में सफल होगी, अधिक नौकरियां सृजित करेगी और महंगाई तथा गहराई तक व्याप्त भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाएगी, ये मुद्दे ऐसे हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि इनकी उपेक्षा ही मनमोहन सिंह की सरकार के पतन का कारण बने।
लॉस एंजिलिस टाइम्स ने अपने यहां शीर्षक दिया है-‘नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, बदलाव के संकेत’ लॉस एंजिलिस टाइम्स ने लिखा है-‘नरेंद्र मोदी ने भारत के 15वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और आर्थिक सुधारों के लिए लालायित एक नई सरकार की पेशकश की।’ शपथ ग्रहण समारोह में दक्षेस नेताओं, खासकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मौजूदगी के संदर्भ में अखबार की रिपोर्ट में कहा गया है कि नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मौजूदगी के लिए काफी महत्वपूर्ण था, जिन्होंने कथित तौर पर समारोह में नहीं जाने की अपनी खुफिया एजेंसी की सलाह की अनदेखी कर दी। अखबार ने कहा कि परमाणु हथियारों से लैस दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे हैं।
नरेंद्र मोदी की नम्र पारिवारिक एवं विचारात्मक पृष्ठभूमि को उकेरते हुए ‘द वाल स्ट्रीट जर्नल’ ने कहा है कि चाय बेचने वाले के बेटे और भारत के हिंदू राष्ट्रवादी आंदोलन की राजनीतिक जड़ों से जुड़े नरेंद्र मोदी ने विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली और छोटा मंत्रिमंडल रखा तथा भारतीयों को एक शानदार भविष्य का वायदा किया। वाल स्ट्रीट ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि को तेज रफ्तार प्रदान करना नरेंद्र मोदी के लिए शीर्ष प्राथमिकता होगा, जिन्हें मतदाताओं ने सत्ता तक पहुंचाया, जो बेहतर नौकरी, अवसर, जीवन के उच्च मानक तथा अधिक सक्षम सरकार चाहते हैं। पत्रिका ने कहा है कि कुछ विश्लेषकों का कहना है कि प्रधानमंत्री कार्यालय से नरेंद्र मोदी द्वारा बड़े फैसले किए जाने की संभावना है, जो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की शैली से अलग होंगे।
द ‘शिकागो ट्रिब्यून’ ने कहा है कि पहली बार, भारत ने सभी आठ दक्षेस राष्ट्रों के प्रमुखों को प्रधानमंत्री की शपथ समारोह में आमंत्रित किया और सभी आए या प्रतिनिधि भेजे। अखबार ने लिखा है कि इसमे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की मौजूदगी सबसे प्रमुख थी, जिनके बारे में कहा गया कि उन्होंने अपने देश की खुफिया एजेंसी आईएसआई के विरोध के बावजूद भारत यात्रा की। नवाज शरीफ की मौजूदगी का संज्ञान वाशिंगटन पोस्ट ने भी लिया। उसने कहा कि शरीफ की मौजूदगी को प्रतिद्वंद्वी देशों के बीच सद्भावना के संकेत के रूप में देखा गया है। 

2 COMMENTS

  1. वैसे भी मोदी का बहिष्कार अमेरिका के खुद के दिमाग उपज कम कांग्रेस द्वारा मोदी के खिलाफ बनाये माहौल की उपज ज्यादा थी

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