विश्व जनमत का अपमान

प्रवीण गुगनानी

लादेन को पकड़ने में मदद करने वाले को सजा यानी विश्व जनमत का अपमान

हमारे इस भारत देश के साथ साथ सम्पूर्ण विश्व की तीनों पीढियों यानि बच्चे, जवान और बुजुर्गो की चेतना में दो बाते साफ साफ अंकित हो गई है – न.1. पकिस्तान सदा आतंकवाद विरोध की खुली बात करेगा और गुप्त रूप से आचरण आतंकवाद के समर्थन का करेगा. और न.2. अमेरिका सदा पकिस्तान को खुले रूप से डांटता और गुप्त रूप से उसे समर्थन देकर एशिया की राजनीति में मोहरे बैठाने की कूटनीति करता रहेगा चाहे उसे पकिस्तान के विरुद्ध आतंवाद को समर्थन देने के कितने ही प्रमाण क्यों न मिल जाएँ !!!

ओसामा बिन लादेन को पकडने और मृत्यु के द्वार तक पहुचाने में सहयोग करने वाले शकील अफरीदी को पाकिस्तानी न्यायालय द्वारा सजा देने के बाद और अमेरिका की आँखों पर इस घटना क्रम से चढ़े झूठे गुस्से और नूर कुश्ती के अभिनय के बाद यह बात और अधिक स्पष्ट और स्थापित हो जाती है.

हाल ही के दिनों में खैबर इलाके की एक पाकिस्तानी अदालत ने दुनिया के मोस्ट वांटेड आतंकवादी को पकड़ने में अमेरिकी एजेंसी सी आई ए को मदद करने वाले डाक्टर शकील आफरीदी को गिरफतार कर उसे दो माह के भीतर ही तेज रफ़्तार न्यायलीन कार्यवाही कर 33 माह की जेल और 32लाख रूपये के जुर्माने की सजा सुनाई है. सामान्यतः पाकिस्तानी अदालते इतनी तेज प्रक्रिया नहीं अपनाती है और मामलो का वर्षों लंबित रहना यहाँ आम बात है किन्तु आफरीदी को इतनी तेजी से पकड़ना और इसके बाद मात्र दो माह में सजा भी सुना देना और पेशावर की सेन्ट्रल जेल भेज देना अल कायदा से सुहानुभूति पूर्ण मानसिकता को प्रकट करता है.

इससे यह भी स्पष्ट होता है कि सम्पूर्ण पाकिस्तानी शासन सरंचना किस प्रकार अनुकूल वातावरण रखकर अल-कायदा को प्रसन्न रखना चाहती है.

आश्चर्य होता है कि पकिस्तान ने मुंबई के 26,नव. 2008 के हमलावरों जकी-उर- रहमान लखवी, जरार शाह, और अबू-अल कामा को फर, 2009 में गिरफ्तार किया था और अब तक उन पर अभियोजन भी स्पष्ट नहीं हुआ है. और तो और पाकिस्तानी अदालत ने हमारी मुंबई पर हुए हमले के मुख्य आरोपी और मास्टर माइंड हाफिज सईद को बरी कर पकिस्तान की इस मामले में संलिप्तता को खुले आम प्रदर्शित कर दिया है. यहाँ यह भी ध्यान रखने योग्य है कि इसी सईद के विरुद्ध भारतीय गृह मंत्रालय के सचिव स्तर के अधिकारीयों ने पाकिस्तानी अधिकारीयों को सबूत पेश कर दिए है. सईद कि रिहाई से और अफरीदी के गिरफ्तार और दण्डित होने के मामले से पकिस्तान की आतंकवाद सम्बन्धित नीति का दोमुंहा पन स्पष्ट प्रदर्शित होता है. इसके अलावा लश्कर -ए- झांगवी के नेता जो की श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हमले का आरोपी है उसे भी खुलाछोड़ दिया गया है. इस प्रकार ऐसे अनेक ज्वलंत मामले है जिनमे पाकिस्तानी अदालतों और प्रशासन ने आतंकवादियों के विरुद्ध संकल्पशील न्याय या दंड प्रक्रिया न अपनाकर उनके प्रति स्पष्ट नर्म मुलायम व सुहानुभूति पूर्ण रवैया प्रकट किया है. इन सभी दृष्टान्तों से पकिस्तान की आतंकवादियों से मित्रता और नजदीकी का वातावरण बनाने और उसे दिन प्रति दिन और अधिक अनुकूल बनाए रखने की प्रतिबद्धता प्रकट होती है.

पाकिस्तान द्वारा बड़ी तेजी से तलाशे, पकडे, सजा सुनाये व जेल भेज दिए जाने वाला यह शकील अफरीदी वही है जिसने पिछ्ले वर्ष सम्पूर्ण विश्व के मोस्ट वांटेड आतंकवादी लादेन को पकड़ने में अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेन्सी सी आई ए के इशारे पर एबटाबाद में एक फर्जी टीकाकरण अभियान चलाया और ओसामा के कथित घर से वेक्सिनेशन के नाम पर चार बच्चों के रक्त नमूने ले लिये जिसे बाद में डी.एन.ए. टेस्ट के लिये उपयोग कर ओसामा व उसके परिवार की उस मकान में रहने के तथ्य की पुष्टि हो गई थी और अंततः उसे पकड़ा व मार डाला गया था.

अमेरिका की ओर से इस डाक्टर आफरीदी को सजा सुनाये जाने के प्रति नाराजी प्रकट की जा चुकी है, व इस मामले में अमेरिकन संसद, अमेरिकी मानवाधिकार संगठन, विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ,रक्षा मंत्री लियोन पेनेटा आदि पकिस्तान के प्रति अपनी नाराजी भी प्रकट कर चुके है. व्हाईट हाउस के प्रतिनिधि जे. कार्ने ने इस सम्बन्ध में स्पष्ट कहा कि यदि किसी ने ओसामा को पकड़ने में अमेरिका की मदद की है तो उसे अल –कायदा का विरोधी माना जाना चाहिए पकिस्तान का नहीं. रिपब्लिकन पार्टी के वरिष्ठ सांसद लिंडसे ने दो टूक कहा कि पाकिस्तान को हमारी जरुरत है न कि हमें पकिस्तान की अतः पकिस्तान हमारे साथ दोहरा खेल न खेले. डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता डीयान फिन्श्टाइन ने कहा कि “यह सजा बताती है कि अदालत अल-कायदा को ही पकिस्तान मानती है.” यद्दपि अमेरिका ने पकिस्तान में आतंकवादियों को पकड़ने वाले को सजा देने के मामले में कड़ी नाराजी प्रदर्शित की है तथापि यहाँ यह भी स्पष्ट है कि अमेरिका ऐसा कई बार कर चुका है ; अमेरिका सदा पकिस्तान को आतंक वादी समझता और पुकारता चला आ रहा है किन्तु वह पकिस्तान के गले में हाथ डालकर मित्रता प्रदर्शित करने, उसकी जेबों में नोट भरने और ह्रदय में मुस्लिम कट्टरवाद को भरने का कोई मौका भी नहीं छोडता है.

अमेरिका और पाकिस्तान के बीच के इस पूरे प्रपंच से हमें यह भी सीखना होगा कि जब अपरिपक्व लोकतंत्र और सैनिक शासन के दंश झेल रहा पाकिस्तान इस प्रकार की तेज न्यायलींन कार्यवाही करके आफरीदी को सजा सुना सकता है और अमेरिका को अंगूठा दिखा सकता है तो हम विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होकर क्यों अब तक 26 नव. 2008 के मुंबई हमलों के अपराधी कसाब और संसद पर हमले के सन 2002के अपराधी अफजल को क्यों अब तक सपोलों की भाँति पाल पाल कर बड़ा कर रहे है ? अफजल को स्थानीय अदालत ने वर्ष 2002 में फांसी की सजा सुनाई थी और 4 अगस्त 2005 को सुप्रीम कोर्ट ने फांसी कि सजा का निर्णय पुष्ट कर दिया था. हैरानी है कि पूरे राष्ट्र की एक राय होने के बाद भी हम कसाब और अफजल जैसे मानवता विरोधी, खूंखार और रक्तपिपासु आतंकवादियों को अब तक उनके किये की सजा नहीं दे पाए है और उनकी सुरक्षा और बिरयानी पर देश के नागरिको का करोडो रुपया पानी में बहा रहे है.

आशा है की देश की सरकार पकडे गये आतंकवादियों अफजल और कसाब को शीघ्र सजा देगी और वैश्विक मामलों पर नजर रखने वाले शकील आफरीदी को सजा दिए जाने पर पकिस्तान को अन्तराष्ट्रीय आतंकवाद का एक बड़ा समर्थक मानने की तरफ सोचेंगे जरूर.

2 COMMENTS

  1. पाकिस्तान और अमेरिका का दोहरा चरित्र सामने आया है तो भारत की सरकार भी इस मामले में कहीं पीछे नहीं है.वोह भी आतंकवाद को ख़तम करने का महज नाटक करती है.कांग्रेस सरकार की जान भी मुस्लिम वोट बैंक में पड़ी है.इसलिए कुछ भी हो जाये भारत में आतंकवाद कम नहीं बल्कि बढेगा ही
    कसाब यदि बिरयानी खा रहा है तो अफजल भी जल्दी ही श्री नगर जाने वाला है.इन दो का कुछ नहीं हुआ तो अबू का भी कुछ नहीं बिगड़ेगा,यह तो भारत की जनता का एक और शाही मेहमान है.चिदम्बरम चाहे कितने ही डोसीएर पाकिस्तान को सोंप दे एक ही जवाब मिलेगा की saboot पूरे नहीं है..
    मुस्लिम भी छाहे कितना ही सरकार को कोस लें वोह जानते है की कोस कर और ज्यादा सुविधाएँ मिलेंगी,इससे अच्छी कोई सरकार भारत में आ ही नहीं सकती. वोट बैंक की राजनीती में देश डूबे तो हमारा क्या, बेचारा राष्ट्रवादी मुसलमान इस कारण,औ संदेह क्र घेरे में आ जाता है,

  2. प्रवीण जी जहाँ तक पाकिस्तान का प्रश्न है पाकिस्तान इस खेल का मंझा हुआ खिलाडी है .जैसे परियों की कहानियों में राक्षस की ज़ान एक तोते में होती थी वैसे ही पाकिस्तान की जान तालिबान, अलकायदा ,लश्कर ए तैयबा,जैश ए मोहम्मद और जमात उद दावा में है .यादी इन्हें ख़तम करेगा तो पाकिस्तान की पहचान ही खातं हो जाएगी .अफजल और कसाब को कांग्रेस ने इसलिए गले लगा रखा ताकि देश द्रोही लोगों के वोट मिलते रहें. देश जाए भाड़ में .

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

* Copy This Password *

* Type Or Paste Password Here *

17,851 Spam Comments Blocked so far by Spam Free Wordpress