विविधा

अन्‍ना हजारे अनशन पर, प्रधानमंत्री निराश

सुप्रसिद्ध समाजसेवी अन्‍ना हजारे जन लोकपाल बिल लाने की मांग को लेकर आज से नई दिल्‍ली स्थित जंतर-मंतर पर आमरण अनशन पर बैठ गए। देश के विशिष्‍टजनों सहित हजारों लोग उन्‍हें अपना समर्थन देने वहां जुट रहे हैं।

अनशन स्‍थल पर उमड़े जनजवार को संबोधित करते हुए श्री हजारे ने कहा कि हम सरकार से बस यही मांग रहे हैं कि एक कमिटी बनाओ जिसमें आधे लोग आपके और आधे लोग पब्लिक के हों और यह जनलोकपाल बिल का ड्राफ्ट बनाने का काम शुरू करे।

उन्होंने कहा कि सरकार अकेले ही बिल का मसौदा तैयार करती है तो यह निरंकुश है, यह लोकशाही नहीं है। अन्ना ने ऐलान किया कि जब तक बिल की मांग पूरी नहीं होती वह महाराष्ट्र नहीं जाएंगे। उन्होंने बताया कि देश भर में 500 शहरों में और महाराष्ट्र में 250 ब्लॉक में लोग आंदोलन के समर्थन पर अनशन पर बैठे हैं।

आमरण अनशन पर बैठने से पहले अन्ना हजारे सुबह राजघाट गए और महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। फिर एक खुली जीप में इंडिया गेट की ओर रवाना हुए। इस दौरान स्कूली बच्चे और तिरंगा लहराते समर्थक उनके साथ थे। हजारे ने प्रधानमंत्री की अपील को ठुकराते हुए आमरण अनशन शुरू किया। पीएमओ ने सोमवार रात उनके फैसले पर निराशा जताई थी और बयान जारी कर कहा था कि इस बात पर गहरी निराशा प्रकट करते हैं कि हजारे अब भी अपनी भूख हड़ताल पर जाने के बारे में सोच रहे हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि यह भ्रष्ट सरकार उन्हें किसी भी तरह से रोकने में कामयाब नहीं रहेगी। ये बिल उनकी मांग के अनुसार ही परिवर्तित होकर पास होगा और वे इसके लिए पूरे प्रयास करेंगे।

उन्होंने कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया है लेकिन वर्तमान व्यवस्था को देखकर वे काफी दुखी हैं। करोड़ों का धन भ्रष्ट व्यवस्था के कारण देश के बाहर जा रहा है, और सरकार भी ऐसे तत्वों की मदद कर रही है।

देश भर के कार्यकर्ता इसे आजादी की दूसरी लड़ाई की संज्ञा दे रहे हैं और इस काम में उनका साथ मेधा पाटकर, किरण बेदी, बाबा रामदेव, श्री श्री रविशंकर, अरविंद केजरीवाल, एडवोकेट प्रशांत भूषण, संतोष हेगड़े, स्वामी अग्निवेश जैसे समाजसेवी भी शामिल हैं।

भ्रष्‍टाचार का महारोग देश की सेहत को नुकसान पहुंचा रहा है। राजधानी से गांव तक और संसद से पंचायत तक सभी क्षेत्रों में भ्रष्‍टाचार ने अपनी जड़ें मजबूत कर ली है। आम आदमी परेशान है। हमारे समक्ष नैतिक बल से संपन्‍न ऐसे आदर्श की कमी है जो भ्रष्‍टाचार के विरुद्ध जन-जागरण कर सकें, ऐसे में 78 साल के वयोवृद्ध समाजसेवी अन्‍ना हजारे ने इस मुद्दे पर सरकार को ललकारा है। लोकपाल बिल 2010 अभी संसद के पास विचाराधीन है। इस बिल में प्रधानमंत्री और दूसरे मंत्रियों के खिलाफ शिकायत करने का प्रावधान है। श्री हजारे के अनुसार बिल का वर्तमान ड्राफ्ट प्रभावहीन है और उन्होंने एक वैकल्पिक ड्राफ्ट सुझाया है। आइए, हम भी आर्थिक शुचिता के पक्षधर बनें, इस मसले पर जनजागरण करें और भ्रष्‍टाचारमुक्‍त समाज व शासन सुनिश्चित करने का संकल्‍प लें।