कविता हे सांड़ देवता नमस्कार! August 30, 2020 / August 30, 2020 | Leave a Comment हे सांड़ देवता नमस्कार !हे सांड़ देवता नमस्कार!नित दर्शन दे करते उद्धार, हे सांड़ देवता नमस्कार! खेतों में रात भर पड़े रहे, सब लाठी लेकर खड़े रहेपत्ती सब आप ग्रास करते, भूमि में बस जड़ पड़े रहेक्यों इतना लेते हो आहार , हे सांड़ देवता नमस्कार! जब मार्ग कोई अवरुद्घ किये ,तो आप भी उसके […] Read more » सांड़ देवता
कविता थूको July 20, 2020 / July 20, 2020 | Leave a Comment खाया पान भरा जो मुंह में सोचा थूक कहा आऊँनाली के जब पास गया तो कीड़ा बोला हट जाऊँउद्दल सामने आया वो और मुझे देखकर गुर्रायाबहुत जोर से मुझको डॉटा और डॉटकर समझायाअगर थूकना ही है तुमको थूको उस शिक्षालय परशिक्षा का स्तर जो गिराते थूको उस विद्यालय परखाते पान चबाते गुटखा बीयर और सिगरेट […] Read more »
कविता हाय ये मास्क ! July 14, 2020 / July 14, 2020 | Leave a Comment पर्दे पे परदा कर रुख हमसे छिपाये रखिएवक्त कहता है हाय ये मास्क! लगाये रखिए।।लगा जरूरी तो आँखों से बात कर लेंगेपड़ी है परदे की आदत तो बनाए रखिएवक्त कहता है हाय ये मास्क! लगाये रखिए।। मास्क ने छीन लिया सुर्ख होंठों की लालीरबर ने छीन लिया उसके कानों की बालीहोंठ भी दिखते नहीं अब […] Read more » हाय ये मास्क
कविता मालिक एक।। July 9, 2020 / July 9, 2020 | Leave a Comment कोई गीता समझता है कोई कुरआन पढ़ता हैमगर ईश्वर की महिमा को नहीं नादाँ समझता है।वो तेरे पास ऐसे है, हृदय में श्वास जैसे हैजो उनका बन ही जाता है, ये बस वो ही समझता है।कोई गीता समझता है कोई कुरआन पढता है,मगर ईश्वर की महिमा को नहीं नादाँ समझता है।धर्म मजहब के नामों पर […] Read more » मालिक एक
कविता किस्सा वो प्यार का । June 17, 2020 / June 17, 2020 | Leave a Comment अब तो पुराना हो गया वो किस्सा प्यार काकोई यार दूसरा हुआ अब मेरे यार काचलती थी जो बिखेरते राहों में खुशबुएंकोई पता बता दे मेरे उस बहार काअब तो पुराना हो गया वो किस्सा प्यार का ।। बस्ता लिये जो घर से पढ़ाई को निकलतेहो दोस्तों से दूर उनके पीछे थे चलतेवो सिर मुड़ा […] Read more » poem on love किस्सा वो प्यार का
कविता मेरी बहना। May 10, 2020 / May 10, 2020 | Leave a Comment कभी वो दोस्त जैसी है, वो दादी मां भी बनती हैबचाने की मुझे खातिर, वो डांटे मां की सुनती हैअभी सर्दी नहीं आया, वो रखती ख्याल है मेरावो मेरी बहना है मेरे लिए स्वेटर जो बुनती है। कभी लड़ती झगड़ती प्यार भी करती वो कितनी हैजो रखती हाथ सिर पे मां के आशीर्वाद जितनी हैवो […] Read more » मेरी बहना
कविता क्या कहानी हो गई । April 5, 2020 / April 5, 2020 | Leave a Comment प्रेम की बातें अचानक बेइमानी हो गई आजकल तो प्रेम करना जान जानी हो गई। ना करूं स्पर्श उनका ना लगाएं अब गले पहले क्या था और देखो क्या कहानी हो गई।। देखकर मुझको वो खुद मेरी दिवानी हो गई लत मोहब्बत की लगी और वो रुहानी हो गई। अब वो कहती एक मीटर का […] Read more » क्या कहानी हो गई
कविता यही तो इश्क है। March 2, 2020 / March 2, 2020 | Leave a Comment दुनिया में उसको छोड़ ना परवाह किसी की आ जाये बिना बुलाये कभी याद किसी की तस्वीर गर जो आंखों में बस जाय किसी की कहते है दुनिया वाले कि यही तो इश्क है। दीदार उनका करने को जो दिल रहे बेताब उनके बगैर दुनिया में सब कुछ लगे खराब मिलते ही खुद बखुद अगर […] Read more » यही तो इश्क है।
कविता वो लोग अब नही मिलते । February 19, 2020 / February 19, 2020 | Leave a Comment शाम को साथ बैठने वाले, अपने अनुभव बांटने वाले रात को देर में सोने वाले, सुबह जल्दी जागने वाले बिना पनही चलने वाले, भोर में घूमने वाले बिना जूते अब नही चलते,वो लोग अब नही मिलते । आंगन की तुलसी को पूजने वाले, पूजा के लिए डांटने वाले पौधों को नि:स्वार्थ पानी देने वाले, पूजा […] Read more » वो लोग अब नही मिलते
कविता कुछ किया जाये। February 19, 2020 / February 19, 2020 | Leave a Comment ये जो संस्कृति हमारी खत्म होती जा रही है गांव से वो घूंघट सिर पे लाने को चलो अब कुछ किया जाये। मकां हैं ईंट के पक्के और तपती सी दीवारें वो छप्पर फिर से लाने को चलो अब कुछ किया जाये। मचलते थे बहुत बच्चे भले काला सा फल था वो वो फल जामुन […] Read more » कुछ किया जाये।
कविता नवा साल मंगल होय, दुइ हजार बीस।। January 9, 2020 / January 9, 2020 | Leave a Comment जे कबहू ना बोलत रहा, रहा दूरि अउ चाहे नियर आज ऊहै कहत बाटै, हैप्पी न्यू इयर ह्वाटस्अप पै मैसेज देय, हाथ जोड़ि सिम्बल दुइ हजार उन्निस मा, बन्द रहा बोलचल बिटवा कहै बाप से तू बाटा उन्नीस ता हम बाटी बीस नवा साल मंगल होय, दुइ हजार बीस।। केहू रहै भूखा नंगा, फटेहाल भीखमंगा […] Read more » नवा साल मंगल होय
कविता समय की मार।। January 9, 2020 / January 9, 2020 | Leave a Comment जिस्म मेरा यूं समय से लड़ रहा है सांसों को भी आजमाना पड़ रहा है आजमाना चाहूं गर जीवन को मैं स्वयं को भी भूल जाना पड़ रहा है। जिनकी आंखों मे भरी है नफरतें उनसे भी आँखें मिलाना पड़ रहा है दूसरों को सौंपता हूं खुद को जब तब स्वयं से दूर जाना पड़ […] Read more »