कविता साहित्य चलो, दिवाली आज मनाएं October 20, 2017 | Leave a Comment हर आँगन में उजियारा हो तिमिर मिटे संसार का। चलो, दिवाली आज मनाएं दीया जलाकर प्यार का। सपने हो मन में अनंत के हो अनंत की अभिलाषा। मन अनंत का ही भूखा हो मन अनंत का हो प्यासा। कोई भी उपयोग नहीं सूने वीणा के तार का । चलो, दिवाली आज मनाएं दीया जलाकर प्यार का। इन दीयों से दूर न […] Read more » दिवाली
कविता साहित्य चलो, दिवाली आज मनायें October 28, 2016 | Leave a Comment चलो, दिवाली आज मनायें Read more » चलो दिवाली आज मनायें
कहानी साहित्य विश्वनाथ February 25, 2016 | Leave a Comment ‘विश्वनाथ! अरे ओ हमार लाल, कहाँ चला गवा रे तू! तोरे बिना हमार मन नाहीं लागत है रे! हे भगवान! हमार बिटवा के हमरे पास वापस भेज दे, ना त हमरा के उके पास भेज दे भगवान!’ गुलेटन दास अपने प्यारे बेटे को याद कर रोये जा रहा था, तभी उसके छोटे बेटे की पत्नी […] Read more » विश्वनाथ
कविता बड़े दिनों पर February 10, 2015 / February 10, 2015 | 1 Comment on बड़े दिनों पर उम्मीदों के फूल खिले, मन की कलियाँ मुस्काईं। बड़े दिनों पर लोकतंत्र ने ली ऐसी अंगड़ाई। बड़े दिनों पर जन-जीवन में लौटी नयी रवानी, बड़े दिनों पर जनमत की ताकत सबने पहचानी, बड़े दिनों पर उद्वेलित जनता सड़कों पर आयी। बड़े दिनों पर लोकतंत्र ने ली ऐसी अंगड़ाई। बड़े दिनों पर […] Read more » बड़े दिनों पर
कविता शहीदों के प्रति January 30, 2015 | Leave a Comment कब्र पर जिनके आँसू बहाया गया। जिन्दगी भर जिन्हें आजमाया गया। जान जिसने लुटा दी वतन के लिए, सिरफ़िरा कल उन्हें ही बताया गया। फ़ख्र से गीत जिनके पढ़े जा रहे, विष उन्हें कल यहीं पर पिलाया गया। सिलसिले वायदों के चले आ रहे, क़र्ज़ फिर भी न उनका चुकाया गया। Read more » शहीदों के प्रति
स्वास्थ्य-योग संतुलन ही स्वास्थ्य है January 21, 2015 | 1 Comment on संतुलन ही स्वास्थ्य है संतुलित जीवन में सौम्यता, सद्भावना, सदाचार एवं सद्वृत्ति जैसे सद्गुणों का प्रादुर्भाव होता है। वहीं असंतुलन की स्थिति में दुर्भावना, दुराचार एवं दुष्प्रवृत्ति जैसे दुर्गुण जन्म लेते हैं। परिवर्तन प्रकृति का नियम है किन्तु संतुलित एवं सातत्यपूर्ण परिवर्तन ही शुभ एवं कल्याणकारी होते हैं। असंतुलित एवं सातत्यविहीन परिवर्तन अशुभ, अमांगलिक एवं विध्वन्सकारी होते हैं। कलियों […] Read more » संतुलन ही स्वास्थ्य है
कविता न्यारी गौ माँ January 17, 2015 | Leave a Comment स्नेह, शील, सौम्यता में न्यारी गौ माँ। भावना की भव्य फुलवारी गौ माँ। प्राणिमात्र की सदैव रक्षा कर रही, विश्व की महान हितकारी गौ माँ।। स्नेह, शील, सौम्यता में न्यारी गौ माँ। स्वास्थ्य सम्पदा की वरदान गौ माँ। एकता, अखण्डता की शान गौ माँ। पालती और पोषती निःस्वार्थ भाव से, ऐसी प्रेमवत्सला हमारी […] Read more » न्यारी गौ माँ
बच्चों का पन्ना इंसान बनो तुम November 27, 2014 | Leave a Comment नवयुग की मुस्कान बनो तुम। मानवता के मान बनो तुम। विश्व क्षितिज पर ध्रुवतारे सी, भारत की पहचान बनो तुम। नवयुग की मुस्कान बनो तुम। चमको चाँद सितारे बनकर। सबकी आँखों के तारे बनकर। मातृभूमि के रखवाले हो, मातृभूमि की शान बनो तुम। नवयुग की मुस्कान बनो तुम। सुनना और समझना सीखो। क्या कहना है, कहना सीखो। जीर्ण शीर्ण मान्यताएं तोड़ो, जन-जन के अरमान बनो तुम। नवयुग की मुस्कान बनो तुम। शीतल मन्द समीर बनो तुम। जन मानस के पीर बनो तुम। तुलसी, सूर, कबीर, जायसी, घनानंद, रसखान बनो तुम। नवयुग की मुस्कान बनो तुम। हँसना और हंसाना सीखो। सबको गले लगाना सीखो। जाति, धर्म, सीमाएं […] Read more » इंसान बनो तुम
बच्चों का पन्ना अच्छा लगता है November 27, 2014 | Leave a Comment बच्चों का हँसना मुस्काना अच्छा लगता है। अभी हमें चिड़ियों का गाना अच्छा लगता है। माँ की मधुमिश्रित बातें मन को बहलाती हैं, दादी की उजली रातें मन को बहलाती हैं, घर में मेहमानों का आना अच्छा लगता है। अभी हमें चिड़ियों का गाना अच्छा लगता है। आँखों की आँखों से कहना […] Read more » अच्छा लगता है
बच्चों का पन्ना चिड़िया November 27, 2014 | Leave a Comment मीठी-मीठी, प्यारी-प्यारी, लोरी रोज सुनाये चिड़िया। दूर देश अनजानी नगरी की भी, सैर कराये चिड़िया। खेतों-खलिहानों में जाकर, दाने चुंगकर लाये चिड़िया। बैठ घोसले में चूँ-चूँ कर, खाये और खिलाये चिड़िया। अपने मधुमय कलरव से प्राणों में अमृत घोले चिड़िया। अपनी धुन में इस डाली से, उस डाली पर डोले चिड़िया। अपनी इस अनमोल […] Read more » चिड़िया
जन-जागरण स्वास्थ्य-योग गायों को ऑक्सीटोसीन इंजेक्शन क्यों ? November 13, 2014 / November 15, 2014 | 2 Comments on गायों को ऑक्सीटोसीन इंजेक्शन क्यों ? आधुनिक मनुष्य अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए पालतू पशुओं के साथ सहअस्तित्व की भावना का निर्वाह न करते हुए जो दुर्व्यवहार कर रहा है, प्रकृति उसे कभी माफ नहीं कर सकती। सर्वविदित है कि माँ के दूध पर संपूर्ण अधिकार उसके बच्चे का होता है। हालांकि मानव अपने व्यावसायिक हितों का ध्यान रखते हुये […] Read more » गायों को ऑक्सीटोसीन इंजेक्शन
कविता अभिलाषा October 21, 2014 / November 15, 2014 | 2 Comments on अभिलाषा अभिलाषा हर आँगन में उजियारा हो, तिमिर मिटे संसार का। चलो, दिवाली आज मनायें, दीया जलाकर प्यार का। सपने हो मन में अनंत के, हो अनंत की अभिलाषा। मन अनंत का ही भूखा हो, मन अनंत का हो प्यासा। कोई भी उपयोग नहीं, सूने वीणा के तार का । चलो, दिवाली आज मनायें, दीया जलाकर प्यार का। इन दीयों से […] Read more » अभिलाषा