पर्यावरण थार के संसाधनों पर मंडराता अस्तित्व का खतरा November 24, 2020 / November 24, 2020 | Leave a Comment दिलीप बीदावतबीकानेर, राजस्थान राजस्थान का थार क्षेत्र केवल बालू की भूमि ही नहीं है, बल्कि कुदरत ने इसे भरपूर प्राकृतिक संसाधनों से भी नवाज़ा है। लेकिन धीरे धीरे अब इसके अस्तित्व पर संकट के बादल गहराने लगे हैं। यह संकट मानव निर्मित हैं। जो अपने फायदे के लिए कुदरत के इस अनमोल ख़ज़ाने को छिन्न भिन्न करने पर आतुर […] Read more » An existential threat hovering over Thar resources थार के संसाधन
सार्थक पहल आपदा को अवसर में बदलती ग्रामीण महिलाएं November 22, 2020 / November 22, 2020 | Leave a Comment लीलाधर निर्मलकर भानुप्रतापपुर, छत्तीसगढ़ कोरोना महामारी ने देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ आम जनता की आर्थिक स्थिति को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। एक तरफ जहां लाॅक डाउन में लोगों का रोजगार छिन गया तो अनलाॅक होने के बाद भी लोगों को आसानी से काम नहीं मिल रहा है। शहरी क्षेत्रों में मजदूरों की आवश्यकता […] Read more » आपदा को अवसर
सार्थक पहल पर्यावरण का अलख जगाता किशोर वरद कुबल November 17, 2020 / November 17, 2020 | Leave a Comment अलका गाडगिल महाराष्ट्र वर्तमान में पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति दुनिया भर में एक गंभीर समस्या बन चुकी है। इसके दुष्प्रभाव से न केवल कई प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं बल्कि स्वयं मानव सभ्यता खतरे में पड़ चुकी है। हालांकि अब इसके लिए दुनिया भर में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। ताकि सतत विकास के […] Read more » Kishore Varad Kubal Kishore Varad Kubal raises the reputation of environment
लेख सार्थक पहल गोबर के दीयों से मिला रोज़गार November 9, 2020 / November 9, 2020 | Leave a Comment सूर्यकांत देवांगन कांकेर, छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना शुरू होने के बाद से यहां गोबर का महत्व लगातार बढ़ता जा रहा है, कल तक सिर्फ कण्डे और खाद बनाने के काम आने वाला गोबर अब रंग बिरंगे दीयों का रूप लेकर दीपावली में जगमगाने को तैयार है। स्व-सहायता समूह की महिलाएं गोठानों में खाद […] Read more » Got employment from cow dung lamps गोधन न्याय योजना गोबर के दीयों से मिला रोज़गार
लेख लघु उद्योग बदल सकते है पहाड़ी गांवों का स्वरूप November 6, 2020 / November 6, 2020 | Leave a Comment नरेन्द्र सिंह बिष्ट नैनीताल, उत्तराखंड संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा प्रकाशित नवीनतम मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखण्ड में बेरोज़गारी दर 2004-2005 में 2.1 प्रतिशत से बढ़कर 2017-2018 में 4.2 प्रतिशत थी जो राज्य सरकार के लिए चिन्ता का विषय है। विशेषज्ञों का भी मानना है कि उच्च बेरोज़गारी दर के पीछे सरकारी व […] Read more » Small scale industries can change the nature of hill villages लघु उद्योग
समाज मुख्यधारा से अभी भी दूर है पहाड़िया समाज November 2, 2020 / November 2, 2020 | Leave a Comment अमरेन्द्र सुमन दुमका, झारखंड संथाल परगना प्रमण्डल के हरित पर्वत मालाओं, घने जंगलों, स्वच्छंद नदी-नालों तथा प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के लिए अंग्रेजों, जमींदार और महाजनों जैसे शोषक वर्गों से लोहा लेने वाली आदिम जाति पहाड़िया समुदाय का अपना एक विशिष्ट इतिहास रहा है। इसे भारत की दुर्लभ जनजातियों में से एक माना जाता है। […] Read more » Pahadia society is still far from mainstream पहाड़िया समाज
लेख अस्पताल है, मगर डॉक्टर नहीं October 23, 2020 / October 23, 2020 | Leave a Comment फूलदेव पटेल पूरे देश में सरकारी अस्पताल की स्थिति किसी से छुपी नहीं है। आये दिन अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली व आरजकता की ख़बरें अखबार की सुर्खियों में रहती है। उप्र, झारखंड, बिहार समेत कई राज्यों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का बुरा हाल है, तो दूसरी ओर इन्हीं क्षेत्रों में निजी अस्पतालों की चांदी है। सरकारी डाक्टर […] Read more » no doctor no doctor in hospitals डॉक्टर
खेत-खलिहान परेशान हैं छोटे स्तर के किसान October 15, 2020 / October 15, 2020 | Leave a Comment बसंत पांडे हल्द्वानी, उत्तराखंड देश की अर्थव्यवस्था में जीडीपी का सर्वाधिक प्रतिशत कमाने वाली कृषि को लेकर जहां एक तरफ देशभर में राजनीति चरम पर है, वहीं दूसरी तरफ छोटी-छोटी जोतों के मालिक यानि छोटे स्तर के करोड़ो किसान परेशान हैं। सरकारी नीतियों के कारण उन्हें हाशिये पर धकेल दिया गया है। अब उनके सामने […] Read more » Small scale farmers are worried छोटे स्तर के किसान
समाज पानी जब ज़हर बन गया October 12, 2020 / October 12, 2020 | Leave a Comment रब नवाज आलम साहेबगंज, झारखंड दो साल से खाट पर पड़ा हूँ। हाथ-पैर काम नहीं करता। दर्द ऐसा कि सहा तक नहीं जाता। क्या करूँ बाबू, परिवार के लिए बोझ ही तो बन गया हूँ? बस अब पड़े-पड़े मौत का इंतजार कर रहा हूं! बांस और टाट से निर्मित एक टूटी सी झोपड़ी के अंधेरे […] Read more » When water became poison फ्लोरोसिस
लेख समाज आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक कदम October 5, 2020 / October 5, 2020 | Leave a Comment सूर्यकांत देवांगन भानुप्रतापपुर, कांकेर छत्तीसगढ़ प्रधानमंत्री ने भारत को आत्मनिर्भर बनाने का अभियान कुछ महीनों पहले ही शुरू किया है, लेकिन छत्तीसगढ़ की एक ग्रामीण महिला रेणुका ढीमर ने इसकी शुरूआत आज से चार साल पहले ही कर दी थी। खेती और मजदूरी करके गुजर-बसर करने वाले परिवार की इस बहू ने 2016 में प्रशासन से […] Read more » A step towards self-reliant India आत्मनिर्भर भारत
लेख किसान बिल नहीं, बाढ़ से परेशान है September 28, 2020 / September 28, 2020 | Leave a Comment अमरेन्द्र कुमार मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार कृषि सुधार विधेयक 2020 के समर्थन और विरोध में दिए जा रहे तर्कों के बीच किसानों का भविष्य उलझ कर रह गया है। सरकार इस बिल को जहां ऐतिहासिक और किसान हितैषी बता रही है तो वहीं विपक्ष इसे किसान विरोधी बता कर इसका विरोध कर रहा है। हालांकि इस राजनीतिक उठापटक से दूर किसान आज भी देश […] Read more » Farmers are worried about floods कृषि सुधार विधेयक 2020
खेत-खलिहान ज्यादा मुनाफ़ा दे रहा जैविक खेती का सामूहिक प्रयास September 21, 2020 / September 21, 2020 | Leave a Comment Respected Sir/Madam, सूर्यकांत देवांगन भानुप्रतापपुर, कांकेर देश में कृषि सुधार विधेयक पर जमकर घमासान मचा हुआ है। सरकार जहां इस विधेयक को ऐतिहासिक और किसानों के हक़ में बता रही है, वहीं विपक्ष इसे किसान विरोधी विधेयक बता कर इसका पुरज़ोर विरोध कर रहा है। हालांकि संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद यह […] Read more » The collective effort of organic farming is giving more profit जैविक खेती का सामूहिक प्रयास